Monday, January 30, 2012

वोटर कार्ड बनवाने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं- Navbharat Times

वोटर कार्ड बनवाने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं- Navbharat Times:

नई दिल्ली।। अब वोटर कार्ड बनवाने के लिए वोटर रजिस्ट्रेशन एंड एपिक सेंटर (वीआरईसी) के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। यह सुविधा घर बैठे भी ले सकते हैं। इसके लिए दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय की वेबसाइट www.ceodelhi.nic.in पर जाकर क्लिक करना होगा। यहां दिए लिंक पर आप वोटर कार्ड बनवाने के लिए फॉर्म नंबर-6 भर सकते हैं। वोटर कार्ड से जुड़े दूसरे काम भी ऑनलाइन करा सकते हैं। इस काम में कोई समस्या आने पर सीधे सीईओ यानी मुख्य चुनाव अधिकारी को ईमेल कर शिकायत कर सकते हैं। इसका तत्काल निपटारा किया जाएगा।

मुख्य चुनाव अधिकारी रीना रे का कहना है कि हमारी कोशिश है कि लोग अपना वोटर कार्ड बनवाने के लिए वीआरईसी में न जाए। अधिक से अधिक लोग ऑनलाइन फॉर्म जमा करें। वेबसाइट पर वोटर अपने विधानसभा क्षेत्र की जानकारी ले सकता है। इसके अलावा इलाके के बूथ लेवल ऑफिसर का पता भी साइट पर दिया गया है। बीएलओ का नाम, उसका मोबाइल या टेलिफोन नंबर साइट पर मौजूद है। ऑनलाइन फॉर्म भरते वक्त वोटर कोशिश यह करें कि अपना फोटो भी स्कैन करके भेज दें। इससे उनके वोटर कार्ड पर फोटो अच्छा आएगा। ऐसा नहीं कर पाते हैं तो अपना एड्रेस प्रूफ, फोटो और जरूरत के मुताबिक डेट ऑफ बर्थ सर्टिफिकेट की फोटो कॉपी बीएलओ को दे दें।

जॉब करते हैं तो बीएलओ को फोन करके बता सकते हैं कि आप घर पर किस दिन मिलेंगे। फिर बीएलओ आपके एड्रेस आदि की जांच करने के लिए उसी दिन आपके घर आएगा। किराए पर रहते हैं और आपका कोई एड्रेस प्रूफ नहीं है तो 50 पैसे के पोस्ट कार्ड को अपने आप लिखकर अपने पते पर पोस्ट कर लें। यही आपके एड्रेस प्रूफ में काम आ जाएगा। सारे दस्तावेज सही होने पर कोशिश की जाएगी कि 21 दिन में आपका वोटर कार्ड आपके घर स्पीड पोस्ट से भेज दिया जाए। सीईओ रीना रे का कहना है कि मौजूदा समय में करीब 25 फीसदी लोग इंटरनेट के माध्यम से वोटर कार्ड बनवा रहे हैं। हम इस आंकड़े को 100 फीसदी चाहते हैं ताकि लोगों को वीआरईसी जाने की जरूरत न पड़े।

इस सुविधा में वोटर को बीएलओ या अन्य किसी अधिकारी से कोई समस्या होती है तो वह सीधे साइट पर सीईओ के दिए गए लिंक पर उन्हें ईमेल कर इसकी शिकायत कर सकते हैं। शिकायत पर तुरंत कार्रवाई होगी। इसके अलावा आप मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय की हेल्पलाइन नंबर- 1950 या फिर 23918888 पर भी फोन करके जानकारी ले सकते हैं। वोटर समस्या समाधान के लिए जॉइंट इलेक्शन ऑफिसर को भी वर्किंग डेज में 23970498 नंबर पर फोन कर सकते हैं।

Sunday, January 29, 2012

दिल्ली है राइट चॉइस- Navbharat Times

दिल्ली है राइट चॉइस- Navbharat Times:

सर्वे पर नजर डालें तो ओवरऑल बंगलुरू को 141 वां स्थान मिला जबिक दिल्ली 143वें नंबर पर रही। मुंबई और चेन्नई जैसे शहर भी इनके आसपास ही हैं। भारतीय शहरों के लिहाज से कोलकाता सबसे पीछे 151वें नंबर पर रहा।

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दुनिया में रहने लायक बेहतरीन शहरों के एक हालिया सर्वे में अपनी दिल्ली को भी ठीकठाक रेटिंग मिली है। सर्वे ह्यूमन रिसोर्स कंसलटेंट कंपनी मर्सर ने किया था। इस सर्वे में दुनिया में सबसे बेहतरीन शहर ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना को बताया गया। सर्वे के जरिये कुल 221 बेहतरीन शहरों की इस सूची तैयार की गई जिसमें अपने भारत के भी पांच शहरों को भी जगह दी गई।

सूची में भारत के चार महानगर: दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई के अलावा बंगलुरू का भी नाम शामिल है। भारत के लिहाज से देखें तो अपनी दिल्ली दूसरे स्थान पर है। भारत के इन पांचों शहरों में सबसे ऊपर बंगलुरू का नाम है।

चढ़ा दिल्ली का ग्राफ

दिल्ली का ग्राफ कई कारणों से चढ़ा है। इसमें सबसे ऊपर जानकार कॉमनवेल्थ गेम्स का नाम लेते हैं। पिछले साल आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स की वजह से दिल्ली के इंफ्रास्ट्रक्चर में जबरदस्त सुधार देखने को मिला है। सर्वे पर नजर डालें तो ओवरऑल बंगलुरू को 141 वां स्थान मिला जबकि दिल्ली 143वें नंबर पर रही। मुंबई और चेन्नई जैसे शहर भी इनके आसपास ही हैं। मुंबई 144वें पर है तो चेन्नई को 150वां स्थान हासिल हुआ। भारतीय शहरों के लिहाज से कोलकाता सबसे पीछे 151वें नंबर पर रहा।

कैसे हुआ सर्वे

सर्वे का आधार व्यापक रहा। इसमें शहर की आधारभूत संरचनाओं, यातायात व्यवस्था, स्वास्थ्य सुविधाएं, हरियाली और इमारतों के अलावा प्रदूषण स्तर को बनाया गया। राजधानी की बात करें, तो इन मामलों में इस शहर की रेटिंग ठीक रही। जानकारों का कहना है कि आबादी के साथ प्रदूषण के स्तर को कम कर लिया जाए, तो संभव है कि आने वाले बरसों में इस सूची में दिल्ली को और ऊपरी स्थान मिल सकता है।

बेहतर और भी

दुनिया भर के इन ड्रीम सिटीज के अलावा देश में रहने के लिहाज से बेहतरीन शहर कौन से हैं , ऐसा ही एक सर्वेरियल्टी सेक्टर की सेवाएं देने वाली एक वेबसाइट ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च करने वाली कंपनी के साथमिलकर किया है। इस सर्वे में भी बंगलुरु का नाम टॉप तीन शहरों में शामिल है। इस सर्वे में दिल्ली को शिक्षा ,स्वास्थ्य और करियर के लिहाज से तो बेहतर बताया गया है , लेकिन सुरक्षा के लिहाज से यह पीछे है। रोजगारकी संभावनाओं और आय के लिहाज से दिल्ली को बंगलुरु और मुंबई के बाद तीसरा स्थान दिया गया है। इस सर्वेमें दूसरी और तीसरी श्रेणी में आने वाले शहरों को भी शामिल किया गया था।

रहने के लिहाज से ही देखें तो जहां चंडीगढ़ अव्वल रहा , वहीं अहमदाबाद का भी नाम शामिल किया गया।सुरक्षित शहरों में चंडीगढ़ के साथ वडोदरा और शिमला को भी शामिल किया गया है। इन शहरों की स्थिति भीकाफी सुधार देखने को मिला है। रियल्टी सेक्टर में विकास की गतिविधियों के लिहाज से भी डिवेलपर्स इन्हींशहरों में ऑप्शन तलाश रहे हैं। रियल्टी एक्सपर्ट्स की मानें तो दिल्ली में अगर कानून और व्यवस्था पर ध्यानदिया जाए तो इस शहर और भी बेहतर बनाया जा सकता है। इस सर्वे की बात करें तो देश के विभिन्न शहरों मेंरहने वाले छह हजार से भी ज्यादा लोगों के जरिये सूचनाएं लेकर आंकड़े तैयार किए गए थे। सर्वे पर नजर डालें तो ओवरऑल बंगलुरू को 141 वां स्थान मिला जबिक दिल्ली 143वें नंबर पर रही। मुंबई और चेन्नई जैसे शहर भी इनके आसपास ही हैं। भारतीय शहरों के लिहाज से कोलकाता सबसे पीछे 151वें नंबर पर रहा।

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दुनिया में रहने लायक बेहतरीन शहरों के एक हालिया सर्वे में अपनी दिल्ली को भी ठीकठाक रेटिंग मिली है। सर्वे ह्यूमन रिसोर्स कंसलटेंट कंपनी मर्सर ने किया था। इस सर्वे में दुनिया में सबसे बेहतरीन शहर ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना को बताया गया। सर्वे के जरिये कुल 221 बेहतरीन शहरों की इस सूची तैयार की गई जिसमें अपने भारत के भी पांच शहरों को भी जगह दी गई।

सूची में भारत के चार महानगर: दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई के अलावा बंगलुरू का भी नाम शामिल है। भारत के लिहाज से देखें तो अपनी दिल्ली दूसरे स्थान पर है। भारत के इन पांचों शहरों में सबसे ऊपर बंगलुरू का नाम है।

चढ़ा दिल्ली का ग्राफ

दिल्ली का ग्राफ कई कारणों से चढ़ा है। इसमें सबसे ऊपर जानकार कॉमनवेल्थ गेम्स का नाम लेते हैं। पिछले साल आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स की वजह से दिल्ली के इंफ्रास्ट्रक्चर में जबरदस्त सुधार देखने को मिला है। सर्वे पर नजर डालें तो ओवरऑल बंगलुरू को 141 वां स्थान मिला जबकि दिल्ली 143वें नंबर पर रही। मुंबई और चेन्नई जैसे शहर भी इनके आसपास ही हैं। मुंबई 144वें पर है तो चेन्नई को 150वां स्थान हासिल हुआ। भारतीय शहरों के लिहाज से कोलकाता सबसे पीछे 151वें नंबर पर रहा।

कैसे हुआ सर्वे

सर्वे का आधार व्यापक रहा। इसमें शहर की आधारभूत संरचनाओं, यातायात व्यवस्था, स्वास्थ्य सुविधाएं, हरियाली और इमारतों के अलावा प्रदूषण स्तर को बनाया गया। राजधानी की बात करें, तो इन मामलों में इस शहर की रेटिंग ठीक रही। जानकारों का कहना है कि आबादी के साथ प्रदूषण के स्तर को कम कर लिया जाए, तो संभव है कि आने वाले बरसों में इस सूची में दिल्ली को और ऊपरी स्थान मिल सकता है।

बेहतर और भी

दुनिया भर के इन ड्रीम सिटीज के अलावा देश में रहने के लिहाज से बेहतरीन शहर कौन से हैं , ऐसा ही एक सर्वेरियल्टी सेक्टर की सेवाएं देने वाली एक वेबसाइट ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च करने वाली कंपनी के साथमिलकर किया है। इस सर्वे में भी बंगलुरु का नाम टॉप तीन शहरों में शामिल है। इस सर्वे में दिल्ली को शिक्षा ,स्वास्थ्य और करियर के लिहाज से तो बेहतर बताया गया है , लेकिन सुरक्षा के लिहाज से यह पीछे है। रोजगारकी संभावनाओं और आय के लिहाज से दिल्ली को बंगलुरु और मुंबई के बाद तीसरा स्थान दिया गया है। इस सर्वेमें दूसरी और तीसरी श्रेणी में आने वाले शहरों को भी शामिल किया गया था।

रहने के लिहाज से ही देखें तो जहां चंडीगढ़ अव्वल रहा , वहीं अहमदाबाद का भी नाम शामिल किया गया।सुरक्षित शहरों में चंडीगढ़ के साथ वडोदरा और शिमला को भी शामिल किया गया है। इन शहरों की स्थिति भीकाफी सुधार देखने को मिला है। रियल्टी सेक्टर में विकास की गतिविधियों के लिहाज से भी डिवेलपर्स इन्हींशहरों में ऑप्शन तलाश रहे हैं। रियल्टी एक्सपर्ट्स की मानें तो दिल्ली में अगर कानून और व्यवस्था पर ध्यानदिया जाए तो इस शहर और भी बेहतर बनाया जा सकता है। इस सर्वे की बात करें तो देश के विभिन्न शहरों मेंरहने वाले छह हजार से भी ज्यादा लोगों के जरिये सूचनाएं लेकर आंकड़े तैयार किए गए थे।

म्यूटेशन कराते समय इन बातों का रखें ध्यान - Navbharat Times

म्यूटेशन कराते समय इन बातों का रखें ध्यान - Navbharat Times:

कानूनी भाषा में म्यूटेशन का मतलब रेवेन्यू रिकार्ड्स में प्रॉपर्टी के टाइटल के मालिक का नाम बदलने से है। अगर टाइटिल को किसी अन्य व्यक्ति के नाम ट्रांसफर दर्ज कराना हो , तो इसके लिए इलाके के तहसीलदार या सक्षम पदाधिकारी को एक ऐप्लिकेशन देनी होगी। इसे एक सादे कागज पर लिखकर नॉन जुडिशल स्टाम्प्स के साथ जमा कराना होगा।

सबसे पहले यह बताना जरूरी है कि प्रॉपर्टी किस तरह की है और किस इलाके में है ? फिर बताएं कि प्रॉपर्टी का मालिकाना हक किस कानून के अंतर्गत बदला गया ? दोनों पक्षों के नाम , पिता का नाम और पूरे पते भी दर्ज करने होंगे। प्रॉपर्टी का हक किस तारीख को बदला गया। इनके अलावा , उन तमाम कागजात की एक कॉपी भी देनी होगी ,जिनके आधार पर म्यूटेशन की रिक्वेस्ट की जा रही है।

इन कागजों में सेल डीड या वसीयत आदि शामिल हैं। ट्रांसफर ड्यूटी के रूप में कुछ रकम भी चुकानी होगी। अगर कुछ हिस्से का म्यूटेशन कराना है ; तो उतने की फीस चुकानी पड़ेगी , जबकि पूरी प्रॉपर्टी बेचने पर पिछला बकाया और पूरे हिस्से पर लागू फीस देनी होगी। म्यूनिसिपल रिकार्ड्स में म्यूटेशन इसलिए कराया जाता है , जिससे प्रॉपर्टी टैक्स आदि को जमा करने में कोई परेशानी न हो। एप्लिकेशन देने के बाद सरकारी विभाग की तरफ से एक इश्तहार दिया जाता है , जिसमें पूछा जाता है कि इस नाम परिवर्तन को लेकर किसी को कोई आपत्ति तो नहीं है ?

ऐसे कराएं
अब बात करते हैं इस जानकारी की। सबसे पहले तो यह बताना जरूरी है कि प्रॉपर्टी किस तरह की है और किस इलाके में है ? फिर बताएं कि प्रॉपर्टी का मालिकाना हक किस कानून के अंतर्गत बदला गया ? दोनों पक्षों के नाम ,पिता का नाम और पूरे पते भी दर्ज करने होंगे। प्रॉपर्टी का हक किस तारीख को बदला गया। इनके अलावा , उन तमाम कागजात की एक कॉपी भी देनी होगी , जिनके आधार पर म्यूटेशन की रिक्वेस्ट की जा रही है। इन कागजों में सेल डीड या वसीयत आदि शामिल हैं। ट्रांसफर ड्यूटी के रूप में कुछ रकम भी चुकानी होगी। अगर कुछ हिस्से का म्यूटेशन कराना है , तो उतने की फीस चुकानी पड़ेगी , जबकि पूरी प्रॉपर्टी बेचने पर पिछला बकाया और पूरे हिस्से पर लागू फीस देनी होगी।

म्यूनिसिपल रिकार्ड्स में म्यूटेशन इसलिए कराया जाता है , जिससे प्रॉपर्टी टैक्स आदि को जमा करने में कोई परेशानी न हो। एप्लिकेशन देने के बाद सरकारी विभाग की तरफ से एक इश्तहार दिया जाता है , जिसमें पूछा जाता है कि इस नाम परिवर्तन किसी को कोई आपत्ति तो नहीं है ? इसके लिए कम से कम 15 दिन का समय दिया जाता है। इसके बाद किसी आपत्ति पर ध्यान नहीं दिया जाता और कर्मचारी अपनी रिपोर्ट जमा कर देता है। रिपोर्ट से पहले दोनों पक्षों का बयान लेकर उसका मिलान कागजात में दर्ज तथ्यों से किया जाता है। अगर म्यूटेशन के लिए कोई आपत्ति नहीं आती है , तो इसे लागू कर दिया जाता है और कोई आपत्ति आने पर मामले को इलाके के रेवेन्यू असिस्टेंट के पास सुनवाई के लिए भेज दिया जाता है। अगर कोई पक्ष रेवेन्यू असिस्टेंट के फैसले से असंतुष्ट रहता है , तो वह आदेश जारी होने के 30 दिनों के अंदर अडिशनल कलेक्टर (डिप्टी कमिश्नर) के पास अपील कर सकता है।

किसी भी प्रॉपर्टी पर जो व्यक्ति प्रॉपर्टी टैक्स देता है , अगर वह प्रॉपर्टी को बेचे यानी टाइटल किसी और के नाम में ट्रांसफर हो , तो इसकी सूचना म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन को जरूरी देनी चाहिए। इस बीच , अगर प्रॉपर्टी टैक्स आदि में बढ़ोत्तरी होती है या कोई बकाया रह जाता है , तो इसकी देनदारी प्रॉपर्टी लेने वाले व्यक्ति पर होगी। इससे बचने के लिए टाइटल लेने वाले को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि पिछला सभी बकाया चुका दिया गया है। अगर प्रॉपर्टी टैक्स चुकाने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है , तो उसके बाद प्रॉपर्टी जिस व्यक्ति के नाम पर हस्तांतरित होती है , उसे मृत्यु के छह महीने के अंदर इसकी सूचना म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन को देनी होगी। तभी म्यूटेशन हो सकेगा।

अगर प्रॉपर्टी का कुछ हिस्सा बेचा गया हो , तो इस हिस्से का भी म्यूटेशन हो सकता है , बशर्ते उस हिस्से पर लागू सभी बकाया और निर्धारित फीस चुकाई जाए। इसी तरह , उत्तराधिकार के नियमों के अंतर्गत अगर कोई प्रॉपर्टी सभी कानूनी उत्तराधिकारियों के नाम ट्रांसफर होती है , तो इन सभी के नाम म्यूटेशन तभी होगा , जब उनके हिस्सों पर लागू सभी टैक्स चुका दिए जाएं।