Tuesday, April 10, 2012

लागत ने हिलाई रीयल्टी की नींव - Navbharat Times

लागत ने हिलाई रीयल्टी की नींव - Navbharat Times:


रवि तेजा शर्मा 
नई दिल्ली।। कंस्यूमर डिमांड में कमी से रियल एस्टेट इंडस्ट्री पहले ही मुश्किल में है। कोयले की कीमतें और मालभाड़ा बढ़ने से उसके मार्जिन पर और प्रेशर बढ़ा है। इसी वजह से रीयल्टी कंपनियां प्रॉपर्टी की कीमत नहीं घटा नहीं पा रही हैं, जिसका असर डिमांड पर पड़ रहा है। अगर डिवेलपर्स घरों के दाम कर पाते तो इससे डिमांड बढ़ाने में मदद मिल सकती थी। इंडस्ट्री एग्ज़ेक्युटिव्स ने बताया कि पिछले तीन महीने से डिवेलपर्स को मजदूरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में, रियल एस्टेट कंपनियों को कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स पूरा करने के लिए मजदूरी बढ़ानी पड़ी है। इस दौरान सीमेंट और स्टील जैसे रॉ मटीरियल भी महंगे हुए हैं।

सीमेंट की कीमत (50 किलोग्राम) 220 रुपए से बढ़कर 280 रुपए हो गई है। नोएडा में इसका दाम 325 रुपए है। वहीं, बिहार में सीमेंट की कीमत 50 फीसदी बढ़कर 350 रुपए प्रति बैग हो गई है। कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डिवेलपर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) के प्रेज़िडेंट ललित कुमार जैन का कहना है, 'पिछले 3-4 महीने में रियल एस्टेट कंपनियों की लागत 50-60 फीसदी तक बढ़ गई है।' जैन कहते हैं, 'कंस्ट्रक्शन साइट पर बिहार से मजदूर आने बंद हो गए हैं। मनरेगा के चलते अब उन्हें अपने गांव में ही काम मिल जाता है। खेती का सीजन भी शुरू हो गया है।'

पिछले दो साल से भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर बढ़ते डिफॉल्ट की समस्या से भी जूझ रहा है। कमर्शल बैंक डिवेलपर्स को कड़ी शर्तों पर लोन दे रहे हैं। बैंकिंग चैनल से लोन मिलने में दिक्कत के चलते उन्हें दूसरे जरियों से पैसा जुटाना पड़ रहा है। इसके लिए रियल्टी कंपनियों को ज्यादा ब्याज देना पड़ रहा है। कंस्ट्रक्शन स्टील की कीमतें 40,000 रुपए टन से बढ़कर 52,000 रुपए टन हो गई हैं। कंस्ट्रक्शन ग्रेड स्टील बेचने वाली टॉप कंपनियों में से एक सेल ने बताया कि वह कुछ प्रॉडक्ट्स की कीमतें बढ़ा रही है।

सेल के प्रवक्ता ने कहा, 'अप्रैल से कंस्ट्रक्शन के काम में आने वाले कुछ प्रॉडक्ट्स की कीमतें 2.5 फीसदी तक बढ़ जाएंगी। हालांकि, सेल की कुल बिक्री में इसकी हिस्सेदारी महज 3 फीसदी है।' एक्साइज ड्यूटी बढ़ने से भी कंस्ट्रक्शन की लागत बढ़ेगी। रिसर्च फर्म प्रॉपइक्विटी के सीईओ समीर जसूजा का कहना है, 'लेबर और कंस्ट्रक्शन मटीरियल महंगा होने से रियल एस्टेट डिवेलपर्स की मुश्किलें बढ़ गई हैं।'

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