Tuesday, April 10, 2012

पावर ऑफ अटॉर्नी के पेच में हजारों फंसे - Navbharat Times

पावर ऑफ अटॉर्नी के पेच में हजारों फंसे - Navbharat Times:


नगर संवाददाता ॥ नवयुग मार्केट : जीडीए और यूपीएसआईडीसी की ओर से अलॉट करीब 17 हजार प्रॉपर्टी पावर ऑफ अटार्नी के आधार पर खरीदकर लोग परेशान हैं। सालों से ये लोग पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार रजिस्ट्री कराने की छूट का इंतजार कर रहे हैं। अगर इन प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होती है तो इससे सरकार को भी करोड़ों रुपये का स्टांप शुल्क मिल सकता है। जीडीए और यूपीएसआईडीसी की ओर से हाल ही में एक लेटर प्रदेश सरकार को भेजा गया था। 


ये होंगे फायदे नुकसान 


पांच साल पहले प्रदेश सरकार ने पॉवर ऑफ अटार्नी के बेस पर खरीदी गई प्रॉपर्टी की डायरेक्ट रजिस्ट्री करने की सुविधा दी थी लेकिन फिर इसे रोक दिया गया। ऐसे में अगर पॉवर ऑफ अटॉर्नी होल्डर रजिस्ट्री करते हैं तो इसके लिए इसके दो नुकसान हैं। पहला ये कि पॉवर ऑफ अटॉर्नी के तहत जितनी बार भी प्रॉपर्टी बेची गई है उन सब के नाम पहले रजिस्ट्री करानी होगी। इससे कई गुना स्टांप शुल्क देना होगा। दूसरा कि प्रॉपर्टी के मौजूदा सर्किल रेट के आधार पर जमीन की रजिस्ट्री करानी होगी। 


वहीं, अगर प्रदेश सरकार से छूट का आदेश आता है तो इसके दो फायदे हैं। पहला फायदा कि अगर एक प्रॉपर्टी को मूल आवंटी के बाद तीन लोगों ने बेचा है तो अंतिम खरीददार के नाम डायरेक्ट रजिस्ट्री हो जाएगी। दूसरा कि संबंधित प्रॉपर्टी पर उस दौरान का स्टांप शुल्क उस समय का ही देना लागू होगा जब प्रॉपर्टी आवंटित हुई थी। 


कोट 


जीडीए की ओर से पावर ऑफ अटॉर्नी धारकों को रजिस्ट्री कराने के लिए छूट देने के लिए एक प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। किन्हीं कारणों से शासन ने इस प्रस्ताव को नहीं माना है। 


आर.पी. पांडे , जीडीए के ओएसडी 

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