आशुतोष झा, नई दिल्लीदिल्ली के अलग-अलग इलाकों में बनी ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों में किसी तरह के अतिरिक्त निर्माण पर रोक लगा दी गई है। निगरानी रखने वाली एजेंसी एमसीडी को राजनिवास से स्पष्ट आदेश जारी किया गया है वह इस तरह के निर्माण के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करे।
राजधानी की अन्य रिहायशी कालोनियों में अवैध निर्माण का जो हाल है, कमोबेश हाउसिंग सोसायटी भी इससे अछूती नहीं है। दशकों पहले खरीदे गए इन फ्लैटों में जगह कम पड़ने से लोग धड़ल्ले से अल्टरेशन करा रहे हैं। जो एक तरह से अवैध निर्माण ही है, जिसे वे जुगाड़ से अंजाम तक पहुंचाते हैं। इस तरह का अतिरिक्त निर्माण हर लिहाज से दूसरों के लिए खतरनाक है। सोसायटी में रहने वाला एक बड़ा तबका विरोध करता है, लेकिन नियम सख्त न होने से कार्रवाई न के बराबर होती है। पिछले दिनों मामला उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना के समक्ष पहुंचा। संबंधित अधिकारियों के साथ हुई मीटिंग के बाद उपराज्यपाल ने तत्काल प्रभाव से सभी ग्रुप हाउसिंग सोसायटी में अतिरिक्त निर्माण पर रोक लगाने का आदेश दिया। आदेश की प्रति एमसीडी के भवन, इंजीनियरिंग विभाग को मिल गई है।
बता दें कि गत वर्ष नवंबर में एमसीडी ने ग्रुप हाउसिंग सोसायटी में इस तरह के अतिरिक्त निर्माण पर संपत्ति कर वसूलने का निर्णय लिया था। लेकिन जब यह मामला स्थायी समिति की बैठक में पहुंचा तो समिति अध्यक्ष योगेंद्र चंदोलिया ने इसे खारिज कर दिया। दिल्ली में द्वारका, रोहिणी, मयूर विहार, आइपी एक्सटेंशन समेत अन्य इलाकों में दर्जनों ग्रुप हाउसिंग सोसायटियां बनी हुई है। इनके फ्लैटों में रहने वालों की समय के साथ जरूरत बढ़ी तो अतिरिक्त जगह के लिए फ्लैट में बालकनी, गैराज आदि को कवर कर अतिरिक्त निर्माण करा लिए गए। विशेषज्ञों की मानें तो इस तरह के निर्माण से पूरी इमारत की मजबूती पर बुरा असर पड़ता है जो सुरक्षा के लिहाज से बिल्कुल ठीक नहीं है।
ग्रुप हाउसिंग सोसायटी फ्लैटों की स्थिति-
- द्वारका इलाके में सीजीएचएस के सोसायटी फ्लैटों की संख्या- 300
- बाहरी व पश्चिमी दिल्ली इलाके में सोसायटी फ्लैट - 200
- पूर्वी दिल्ली इलाके में ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के फ्लैट- 117
राजधानी की अन्य रिहायशी कालोनियों में अवैध निर्माण का जो हाल है, कमोबेश हाउसिंग सोसायटी भी इससे अछूती नहीं है। दशकों पहले खरीदे गए इन फ्लैटों में जगह कम पड़ने से लोग धड़ल्ले से अल्टरेशन करा रहे हैं। जो एक तरह से अवैध निर्माण ही है, जिसे वे जुगाड़ से अंजाम तक पहुंचाते हैं। इस तरह का अतिरिक्त निर्माण हर लिहाज से दूसरों के लिए खतरनाक है। सोसायटी में रहने वाला एक बड़ा तबका विरोध करता है, लेकिन नियम सख्त न होने से कार्रवाई न के बराबर होती है। पिछले दिनों मामला उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना के समक्ष पहुंचा। संबंधित अधिकारियों के साथ हुई मीटिंग के बाद उपराज्यपाल ने तत्काल प्रभाव से सभी ग्रुप हाउसिंग सोसायटी में अतिरिक्त निर्माण पर रोक लगाने का आदेश दिया। आदेश की प्रति एमसीडी के भवन, इंजीनियरिंग विभाग को मिल गई है।
बता दें कि गत वर्ष नवंबर में एमसीडी ने ग्रुप हाउसिंग सोसायटी में इस तरह के अतिरिक्त निर्माण पर संपत्ति कर वसूलने का निर्णय लिया था। लेकिन जब यह मामला स्थायी समिति की बैठक में पहुंचा तो समिति अध्यक्ष योगेंद्र चंदोलिया ने इसे खारिज कर दिया। दिल्ली में द्वारका, रोहिणी, मयूर विहार, आइपी एक्सटेंशन समेत अन्य इलाकों में दर्जनों ग्रुप हाउसिंग सोसायटियां बनी हुई है। इनके फ्लैटों में रहने वालों की समय के साथ जरूरत बढ़ी तो अतिरिक्त जगह के लिए फ्लैट में बालकनी, गैराज आदि को कवर कर अतिरिक्त निर्माण करा लिए गए। विशेषज्ञों की मानें तो इस तरह के निर्माण से पूरी इमारत की मजबूती पर बुरा असर पड़ता है जो सुरक्षा के लिहाज से बिल्कुल ठीक नहीं है।
ग्रुप हाउसिंग सोसायटी फ्लैटों की स्थिति-
- द्वारका इलाके में सीजीएचएस के सोसायटी फ्लैटों की संख्या- 300
- बाहरी व पश्चिमी दिल्ली इलाके में सोसायटी फ्लैट - 200
- पूर्वी दिल्ली इलाके में ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के फ्लैट- 117
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