घर खरीदते समय कई ऐसे
डॉक्युमेंट होते हैं जिनकी तहकीकात कर लेना बेहद ही जरूरी होता है। एक्सपर्ट्स की
मानें तो इन डॉक्युमेंट के सही नहीं होने पर आपको कभी भी धोखा हो सकता है। इनमें
सेल डीड, बिल्डर बायर्स अग्रीमेंट, जीपीए, इन्कम्ब्रेंस
सर्टिफिकेट आदि काफी अहम हैं। इन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट के बारे में बता रहे हैं
शंभू नाथ:
लीगल जानकार और वकील
मुरारी तिवारी बताते हैं कि इंकम्ब्रेंस सर्टिफिकेट एक बेहद ही अहम दस्तावेज है।
इँन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट एक तरीके से फैक्ट्स रिप्रंजेटेशन है। यदि घर खरीदते समय
डिवेलपर्स आपको इंकम्ब्रेंस सर्टिफिकेट दे रहा है तो आप इस बात से पूरे तरीके से बेफिक्र
हो सकते है कि उस प्रॉपर्टी पर किसी भी प्रकार की देनदारी नहीं है और वह पूरी
तरीके से टाइटल फ्री है। वहीं रियल एस्टेट के एक्सपर्ट्स अखिलेश कुमार मिश्रा
बताते हैं कई बार घर खरीदते समय में लोगों के जेहन में कई सारे सवाल कौंधते रहते
हैं कि कहीं सेलर ने इस पर लोन तो नहीं ले रखा है, कहीं
यह किसी के यहां गिरवी तो नहीं रखा है, इस
प्रॉपर्टी पर मुझे लोन मिलेगा या नहीं। तो इन सारे सवालों का जवाब है यह
इंकम्ब्रेंस सर्टिफिकेट। अगर आपके पास प्रॉपर्टी का इंकम्ब्रेंस सर्टिफिकेट है तो
आपको इन सारे सवालों के बारे में सोचने की कतई भी जरूरत नहीं है।
प्रॉपर्टी में निवेश करना या प्रॉपर्टी बेचनी हो तो यहां क्लिक करें
कहां से बनवाएं?
अखिलेश बताते हैं कि इंन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट देने का अधिकार केवल और केवल उस इलाके के रजिस्ट्रार यानि तहसीलदार को ही है जिस इलाके में यह प्रॉपर्टी है। इसे बनवाने के लिए तहसीलदार के यहां एक ऐप्लीकेशन देना होता है। ऐप्लीकेशन देने के बाद पटवारी उस प्रॉपर्टी की पूरी तहकीकात करता है। तहकीकात पूरी होने जाने के बाद ही इसे जारी किया जाता है। इसके लिए लगभग 15-20 दिन का समय लिया जाता है।
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कहां से बनवाएं?
अखिलेश बताते हैं कि इंन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट देने का अधिकार केवल और केवल उस इलाके के रजिस्ट्रार यानि तहसीलदार को ही है जिस इलाके में यह प्रॉपर्टी है। इसे बनवाने के लिए तहसीलदार के यहां एक ऐप्लीकेशन देना होता है। ऐप्लीकेशन देने के बाद पटवारी उस प्रॉपर्टी की पूरी तहकीकात करता है। तहकीकात पूरी होने जाने के बाद ही इसे जारी किया जाता है। इसके लिए लगभग 15-20 दिन का समय लिया जाता है।
क्या है इस्तेमाल?
इन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट से आपको केवल यह मालूम नहीं होता है कि आपकी प्रॉपर्टी पूरी तरीके से टाइटल फ्री है और इसके उपर किसी भी प्रकार की देनदारी नहीं है। बल्कि इसके अलावा भी इससे कई तरह की जानकारी मिलती है। इसके बारे में करण सिंह बताते हैं कि एंकमब्रेंस सर्टिफिकेट आपको यह पुख्ता करता है कि लीगली प्रॉपर्टी पूरी तरीके से सही है। साथ ही कई बैंक ऐसे हैं जो किसी भी प्रॉपर्टी पर लोन देने से पहले प्रॉपर्टी के इंकम्ब्रेंस सर्टिफिकेट की डिमांड करते हैं। यदि आपके पास यह नहीं है तो ऐसे में आपको लोन मिलने में परेशानी भी हो सकती है। इसके साथ ही इसका इस्तेमाल प्रॉपर्टी के लीगल डॉक्युमेंट के रूप में भी किया जा सकता है।
फर्जीवाड़े से रहें सावधान
कई सेलर बेहद ही चालाकी से फर्जी इंकमब्रेंस सर्टिफिकेट भी दे देते हैं। एक्सपर्ट्स ऐसे फर्जीवाड़े से अक्सर सचेत रहने की सलाह देते हैं। अखिलेश बताते हैं कि इन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट को लेकर एक बार इलाके में तहसीलदार के दफ्तर जरूर जाना चाहिए। इससे चीजें साफ हो जाएंगी। यह सर्टिफिकेट उसी प्रॉपर्टी का बन सकता है जो पूरी तरीके से रजिस्टर्ड हो, बिना रजिस्टर्ड प्रॉपर्टी का सर्टिफिकेट नहीं बन पाएगा।
http://navbharattimes.indiatimes.com/business/property/property-news/this-certificate-is-necessary-for-you/articleshow/49893212.cms
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