सर्कल बदलने से स्टांप ड्यूटी में काफी बदलाव आ जाता है। जी कैटेगरी के लिए लिए सर्कल रेट जहां 27,400 रुपये प्रति स्क्वेयर मीटर है, वहीं एच कैटेगरी में यह 13,800 रुपये प्रति स्क्वेयर मीटर है।
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कुछ सब रजिस्ट्रारों का कहना है कि सर्कल रेट के लिए अरबनाइज्ड विलेज की अलग कैटेगरी है और उन गांवों में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए इसी हिसाब से (जी कैटेगरी) स्टांप ड्यूटी वसूली जा रही है।
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निर्भय कुमार
दिल्ली के किसी गांव में प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो यह देख लें कि उसका टाइप क्या है। अगर प्रॉपर्टी शहरीकृत गांव में है तो उसकी कैटेगरी 'जी' होगी और आपको उसी के अनुसार स्टांप ड्यूटी देनी होगी। अब सिर्फ उन्हीं गांवों के लिए एच कैटेगरी के हिसाब से ड्यूटी ली जा रही है जो रूरल विलेज हैं।
सब रजिस्ट्रार 6 (सी)-सरस्वती विहार ने ऐसे मामलों को लेकर पैदा हो रहे विवाद के बारे में कहा कि यह बदलाव इसी साल कुछ महीने पहले आए आदेश के बाद हुए हैं। बकौल सब रजिस्ट्रार श्री त्रिपाठी: इस साल 4 फरवरी को एक नोटिफिकेशन आया था, जिसके द्वारा अरबनाइज्ड विलेज के लिए जी सर्कल के रेट्स तय हैं। यह नोटिफिकेशन दिल्ली में 7-8 फरवरी से लागू हुआ।
जनकपुरी सब-रजिस्ट्रार दफ्तर के आधिकारिक सूत्रों ने भी यही कहा कि सर्कल रेट के लिए अरबनाइज्ड विलेज की अलग कैटेगरी है और उन गांवों में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए इसी हिसाब से (जी कैटेगरी) स्टांप ड्यूटी वसूली जा रही है।
दरअसल , प्रॉपर्टी मामले के कुछ वकीलों ने सवाल उठाया था कि जब 2007 के नोटिफिकेशन में गांवों की जमीन( लाल डोरा ) के लिए एच कैटेगरी तय की गई थी , तो फिर कैटेगरी अलग - अलग कैसे हुई ? 27 जुलाई , 2007 के उस नोटिफिकेशन में जो चार बातें अहम थीं वे हैं - ऑल एनडीएमसी एरिया - ए कैटेगरी , ऑलकैन्टोनमेंट एरिया - सी केटेगरी , लैंड एंड प्रॉपर्टीज इन लाल डोरा - एच कैटेगरी , और इसके अतिरिक्त सभीप्रॉपर्टीज एमसीडी लिस्ट के अनुसार।
सरस्वती विहार के सब - रजिस्ट्रार ने रोहिणी जोन का हवाला देते हुए कहा कि इस जोन में नाहरपुर , रिठाला ,मंगोलपुरी और रजापुर आदि समेत करीब आधा दर्जन गांव शहरी हैं। लेकिन लोग पुराने नियमों में उलझे हुए हैं।2007 के नोटिफिकेशन की बात कर रहे हैं , लेकिन तब से अब तक कई अहम बदलाव हो चुके हैं। इस सालफरवरी में सर्कल रेट के लिए जो नोटिफिकेशन आया , उसी के अनुसार ' जी ' कैटगेरी के तहत नए सर्किल रेट्सतय हैं।
लेकिन कई वकील सब रजिस्ट्रार की बातों से अब भी सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि कुछ महीने पहले एकआदेश आया था , उसमें यह बात कही गई थी कि लोग गांव के बाहरी हिस्से की जमीन भी लाल डोरा के तहत (एच कैटेगरी ) में रजिस्टर्ड करा रहे हैं। इससे सरकार को हो रहे रेवेन्यू के नुकसान को रोकने की बात कही गई थी।शहरी गांव में लाल डोरा जमीन की कैटेगरी बदलने का कोई नोटिफिकेशन नहीं है। एक वकील ने कहा कि दिल्लीके गांव आज शहरीकृत नहीं हुए हैं। 1982 में ही गांवों को शहरीकृत किया गया था। कुछ समय पहले तक प्रैक्टिसमें अरबनाइज्ड गांवों की लाल डोरा जमीन पर एच कैटेगरी का रेट लगता था। अरबनाइज्ड विलेज में लाल डोराके अलावा एक्सटेंडेड आबादी वाली जमीनों पर तो पहले भी ' जी ' कैटेगरी के हिसाब से स्टांप ड्यूटी लगती थी।फरवरी के जिस नोटिफिकेशन की बात की जा रही है , उसमें कैटेगरी के हिसाब से सर्कल रेट बढ़ाने की बात है।लाला डोरा की बात है ही नहीं।
दरअसल , सारे विवाद की जड़ खरीददारों के पॉकेट पर पड़ रहा भार है। सर्कल बदलने से स्टांप ड्यूटी में काफीबदलाव आ जाता है। जी कैटेगरी के लिए लिए सर्कल रेट जहां 27,400 रुपये प्रति स्क्वेयर मीटर है , वहीं एचकैटेगरी में यह 13,800 रुपये प्रति स्क्वेयर मीटर है।
स्टांप ड्यूटी कैलकुलेशन
मान लीजिए आप किसी गांव में 100 वर्ग गज जमीन रजिस्टर्ड करा रहे हैं तो उस पर जी केटैगरी के हिसाब सेस्टांप ड्यूटी प्लॉट ( जमीन ) के लिए 27,400 रुपये प्रति स्क्वेयर मीटर और कॉस्ट ऑफ कंस्ट्रक्शन 4,750 रुपयेप्रति स्क्वेयर मीटर को मिला कर तय होगी। लेकिन जब वही प्रॉपर्टी एच कैटेगरी के तहत रजिस्टर्ड होगी तो स्टांपड्यूटी प्लॉट के लिए 13,800 रुपये प्रति स्क्वेयर मीटर के रेट में कॉस्ट ऑफ कंस्ट्रक्शन 2,370 रुपये प्रति स्क्वेयरमीटर को मिला कर तय होगी। स्टांप ड्यूटी कितनी बनेगी , यह इस बात पर डिपेंड करेगी कि प्रॉपर्टी पुरुष ,महिला या फिर दोनों के द्वारा संयुक्त रूप से खरीदी जा रही है।
बॉक्स :
अरबनाइज्ड विलेज - जी कैटेगरी
सर्कल रेट :
प्लॉट ( जमीन ) - 27,400 रुपये प्रति स्क्वेयर मीटर
कॉस्ट ऑफ कंस्ट्रक्शन - 4750 रुपये प्रति स्क्वेयर मीटर
रूरल विलेज - एच कैटेगरी
सर्कल रेट :
प्लॉट ( जमीन )- 13800 रुपये प्रति स्क्वेयर मीटर
कॉस्ट ऑफ कंस्ट्रक्शन - 2370 रुपये प्रति स्क्वेयर म ीटर
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कुछ सब रजिस्ट्रारों का कहना है कि सर्कल रेट के लिए अरबनाइज्ड विलेज की अलग कैटेगरी है और उन गांवों में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए इसी हिसाब से (जी कैटेगरी) स्टांप ड्यूटी वसूली जा रही है।
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निर्भय कुमार
दिल्ली के किसी गांव में प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो यह देख लें कि उसका टाइप क्या है। अगर प्रॉपर्टी शहरीकृत गांव में है तो उसकी कैटेगरी 'जी' होगी और आपको उसी के अनुसार स्टांप ड्यूटी देनी होगी। अब सिर्फ उन्हीं गांवों के लिए एच कैटेगरी के हिसाब से ड्यूटी ली जा रही है जो रूरल विलेज हैं।
सब रजिस्ट्रार 6 (सी)-सरस्वती विहार ने ऐसे मामलों को लेकर पैदा हो रहे विवाद के बारे में कहा कि यह बदलाव इसी साल कुछ महीने पहले आए आदेश के बाद हुए हैं। बकौल सब रजिस्ट्रार श्री त्रिपाठी: इस साल 4 फरवरी को एक नोटिफिकेशन आया था, जिसके द्वारा अरबनाइज्ड विलेज के लिए जी सर्कल के रेट्स तय हैं। यह नोटिफिकेशन दिल्ली में 7-8 फरवरी से लागू हुआ।
जनकपुरी सब-रजिस्ट्रार दफ्तर के आधिकारिक सूत्रों ने भी यही कहा कि सर्कल रेट के लिए अरबनाइज्ड विलेज की अलग कैटेगरी है और उन गांवों में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए इसी हिसाब से (जी कैटेगरी) स्टांप ड्यूटी वसूली जा रही है।
दरअसल , प्रॉपर्टी मामले के कुछ वकीलों ने सवाल उठाया था कि जब 2007 के नोटिफिकेशन में गांवों की जमीन( लाल डोरा ) के लिए एच कैटेगरी तय की गई थी , तो फिर कैटेगरी अलग - अलग कैसे हुई ? 27 जुलाई , 2007 के उस नोटिफिकेशन में जो चार बातें अहम थीं वे हैं - ऑल एनडीएमसी एरिया - ए कैटेगरी , ऑलकैन्टोनमेंट एरिया - सी केटेगरी , लैंड एंड प्रॉपर्टीज इन लाल डोरा - एच कैटेगरी , और इसके अतिरिक्त सभीप्रॉपर्टीज एमसीडी लिस्ट के अनुसार।
सरस्वती विहार के सब - रजिस्ट्रार ने रोहिणी जोन का हवाला देते हुए कहा कि इस जोन में नाहरपुर , रिठाला ,मंगोलपुरी और रजापुर आदि समेत करीब आधा दर्जन गांव शहरी हैं। लेकिन लोग पुराने नियमों में उलझे हुए हैं।2007 के नोटिफिकेशन की बात कर रहे हैं , लेकिन तब से अब तक कई अहम बदलाव हो चुके हैं। इस सालफरवरी में सर्कल रेट के लिए जो नोटिफिकेशन आया , उसी के अनुसार ' जी ' कैटगेरी के तहत नए सर्किल रेट्सतय हैं।
लेकिन कई वकील सब रजिस्ट्रार की बातों से अब भी सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि कुछ महीने पहले एकआदेश आया था , उसमें यह बात कही गई थी कि लोग गांव के बाहरी हिस्से की जमीन भी लाल डोरा के तहत (एच कैटेगरी ) में रजिस्टर्ड करा रहे हैं। इससे सरकार को हो रहे रेवेन्यू के नुकसान को रोकने की बात कही गई थी।शहरी गांव में लाल डोरा जमीन की कैटेगरी बदलने का कोई नोटिफिकेशन नहीं है। एक वकील ने कहा कि दिल्लीके गांव आज शहरीकृत नहीं हुए हैं। 1982 में ही गांवों को शहरीकृत किया गया था। कुछ समय पहले तक प्रैक्टिसमें अरबनाइज्ड गांवों की लाल डोरा जमीन पर एच कैटेगरी का रेट लगता था। अरबनाइज्ड विलेज में लाल डोराके अलावा एक्सटेंडेड आबादी वाली जमीनों पर तो पहले भी ' जी ' कैटेगरी के हिसाब से स्टांप ड्यूटी लगती थी।फरवरी के जिस नोटिफिकेशन की बात की जा रही है , उसमें कैटेगरी के हिसाब से सर्कल रेट बढ़ाने की बात है।लाला डोरा की बात है ही नहीं।
दरअसल , सारे विवाद की जड़ खरीददारों के पॉकेट पर पड़ रहा भार है। सर्कल बदलने से स्टांप ड्यूटी में काफीबदलाव आ जाता है। जी कैटेगरी के लिए लिए सर्कल रेट जहां 27,400 रुपये प्रति स्क्वेयर मीटर है , वहीं एचकैटेगरी में यह 13,800 रुपये प्रति स्क्वेयर मीटर है।
स्टांप ड्यूटी कैलकुलेशन
मान लीजिए आप किसी गांव में 100 वर्ग गज जमीन रजिस्टर्ड करा रहे हैं तो उस पर जी केटैगरी के हिसाब सेस्टांप ड्यूटी प्लॉट ( जमीन ) के लिए 27,400 रुपये प्रति स्क्वेयर मीटर और कॉस्ट ऑफ कंस्ट्रक्शन 4,750 रुपयेप्रति स्क्वेयर मीटर को मिला कर तय होगी। लेकिन जब वही प्रॉपर्टी एच कैटेगरी के तहत रजिस्टर्ड होगी तो स्टांपड्यूटी प्लॉट के लिए 13,800 रुपये प्रति स्क्वेयर मीटर के रेट में कॉस्ट ऑफ कंस्ट्रक्शन 2,370 रुपये प्रति स्क्वेयरमीटर को मिला कर तय होगी। स्टांप ड्यूटी कितनी बनेगी , यह इस बात पर डिपेंड करेगी कि प्रॉपर्टी पुरुष ,महिला या फिर दोनों के द्वारा संयुक्त रूप से खरीदी जा रही है।
बॉक्स :
अरबनाइज्ड विलेज - जी कैटेगरी
सर्कल रेट :
प्लॉट ( जमीन ) - 27,400 रुपये प्रति स्क्वेयर मीटर
कॉस्ट ऑफ कंस्ट्रक्शन - 4750 रुपये प्रति स्क्वेयर मीटर
रूरल विलेज - एच कैटेगरी
सर्कल रेट :
प्लॉट ( जमीन )- 13800 रुपये प्रति स्क्वेयर मीटर
कॉस्ट ऑफ कंस्ट्रक्शन - 2370 रुपये प्रति स्क्वेयर म ीटर
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