दिल्ली में हर दसवां मकान खाली - Indian Real Estate Forum - www.indianrealestateforum.com:
दिल्ली में हर दसवां मकान खाली
एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में 11 लाख 30 हजार आवासों की कमी है, लेकिन जनगणना निदेशालय का आंकड़ा कुछ और कह रहा है। वर्ष 2011 के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में हर दसवां भवन खाली है। आंकड़ों से पता चलता है कि करीब 1.37 लाख घरों में प्रत्येक में एक ही छत के नीचे तीन या इससे अधिक युगल गुजर-बसर करते हैं। शहर के दो लाख मकानों में एक ही घर में नौ लोग साथ-साथ रहते हैं। दूसरी ओर 59.3 इलाके में ही पाइप सीवरेज की व्यवस्था है। यानी लगभग 40 घरों में सीवरेज की व्यवस्था नहीं है। 10.5 फीसदी घरों में शौचालय की व्यवस्था नहीं है। नौ फीसदी घरों में नहाने की व्यवस्था नहीं है। दिल्ली के लिए सोमवार को जारी जनगणना निदेशालय ने आंकड़ों के मुताबिक शहर में 33,40,538 मकानों में से 25.6 फीसदी में छह से आठ सदस्य एक ही छत के नीचे रहते हैं। छह फीसदी घरों(करीब दो लाख) में नौ लोग रहते हैं। आंकड़ों के मुताबिक 3.7 फीसदी घरों में केवल एक व्यक्ति रहते हैं, जबकि 7.6 फीसदी घरों में दो लोग और 12.8 फीसदी घरों में तीन लोग रहते हैं। 24 फीसदी घरों में चार सदस्य हैं। 20.4 फीसदी घरों में सदस्यों की संख्या पांच है। आंकड़ों से पता चलता है कि 32.2 फीसदी मकानों में केवल एक कमरा है, जबकि 29.6 फीसदी में दो कमरे और 20 फीसदी आवासों में तीन कमरे हैं। 36 फीसदी बढ़ी मकानों की संख्या : जनगणना 2011 के मुताबिक दिल्ली में मकानों की संख्या पिछले दस सालों के मुकाबले काफी बढ़ गई है। वर्ष 2001 के मुकाबले वर्ष 2011 में भवनों की संख्या में 36 फीसदी वृद्धि हुई है, इनमें रिहाइशी घरों की संख्या में 31 फीसदी का इजाफा है। दिल्ली में अच्छे मकानों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। वर्ष 2001 मेच् अच्छे घरों की संख्या 58 फीसद थी, जो 2011 में 65.8 फीसदी दर्ज की गई, जबकिच्कच्चे मकानों की संख्या 2001 में 3.3 फीसदी थी जो घट कर 1.2 फीसदी रह गई। बिना संपत्ति वाले मकानों की संख्या घटी : ऐसे मकान जहां रेडियो, टेलीविजन, लैंडलाइन या मोबाइल फोन, बैंक सेवा, साइकिल, स्कूटर या कार नहीं हो, उनकी भी संख्या कम हुई है। वर्ष 2001 में ऐसे मकानों की संख्या 14.1 फीसरी थी, जो वर्ष 2011 में 2.9 फीसदी पहुंच गई। 68 फीसदी लोगों के पास मकान : 2011 की गणना के मुताबिक राजधानी में 68.2 फीसदी लोगों के पास अपना मकान है। हालांकि वर्ष 2001 में 67.1 फीसदी लोगों के पास अपना मकान था। किराये पर रहने वालों की संख्या 28.2 फीसदी है, वर्ष 2001 में इनकी संख्या 25.6 फीसदी थी। एक कमरे वाले मकान घटे : राजधानी में वर्ष 2001 में एक कमरे वाले भवनों की संख्या 38 फीसदी थी जो दस साल में घट कर 32.2 फीसदी पहुंच गई। दो कमरों वाले भवनों की संख्या 27 से बढ़ कर 29 फीसदी, तीन कमरे वाले भवनों की संख्या 18 से बढ़ कर 20 फीसदी, चार कमरे वालों की संख्या 9 से बढ़ कर 10.4 फीसदी पहुंच गई। छह कमरे वाले भवनों की संख्या 4.1 से घटकर 3.5 फीसदी हो गई। बढ़ गए फोन यूजर : वर्ष 2001 में दिल्ली में 34.2 फीसदी लोग फोन का इस्तेमाल करते थे, जबकि वर्ष 2011 में 90.8 फीसदी लोग फोन का इस्तेमाल करते हैं। दिल्ली में लैंड लाइन व मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले घरों की संख्या 30 लाख 31 हजार है। 20 फीसदी घरों में कारें : दिल्ली में लगभग 20.7 फीसदी घरों में कारें हैं। दिल्ली जनगणना निदेशक वर्षा जोशी के मुताबिक 6 लाख 92 हजार 279 घरों में कार या जीप हैं। इसी तरह 10 लाख 22 हजार घरों (30.6 फीसदी) में साइकिल व 12 लाख 98 हजार घरों में (38.9 फीसदी) स्कूटर या बाइक हैं। वर्ष 2001 में मात्र 13 फीसदी घरों में कार व 28 फीसदी घरों में स्कूटर-बाइक थी। दिलचस्प यह कि 37 फीसदी लोगों के पास कोई परिवहन साधन नहीं है। रेडियो घटे, टीवी बढ़े : वर्ष 2001 में लगभग 50 फीसदी घरों में रेडियो था, वर्ष 2011 में घट कर 33 फीसदी पहुंच गया, लेकिन टेलीविजन की संख्या बढ़ी। वर्ष 2001 में 74.5 फीसदी घरों में टेलीविजन था, जबकि वर्ष 2011 में 88 फीसदी पहुंच गया। मगर इंटरनेट यूजर कम : दिल्ली के 99 फीसदी से अधिक शहरीकृत दिल्ली में अभी भी 17 फीसदी घरों में इंटरनेट इस्तेमाल होता है, जबकि 29 फीसदी घरों में कंप्यूटर या लैपटाप है।
-Dainik jagran
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