कैलाश बाबर/सोबिया खान, मुंबई/बेंगलुरु
बीते साल 8 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान बाद से तमाम अहम मार्केट्स में रियल एस्टेट सेल्स ठहर सी गई है। कुछ बाजारों में इसमें तकरीबन 20 फीसदी तक की गिरावट हुई है। नोटबंदी और बेनामी प्रॉपर्टीज ऐक्ट की कार्रवाई के डर, दोनों वजहों से निवेशक रियल्टी में पैसा लगाने से बच रहे हैं, जबकि एंड यूजर्स को नोटबंदी के बाद ब्याज दरों में कटौती और प्राइस करेक्शन का डर है।
बेनामी संपत्तियों पर सख्त कार्रवाई की संभावना है। हालांकि, अधिकारी आय से ज्यादा संपत्ति के संबंध में मालिकाना हक स्थापित करने के लिए इनकम के स्तर का मिलान करेंगे। प्रॉपर्टी ब्रोकर्स का कहना है कि घर के खरीदारों को केंद्रीय बजट का इंतजार है और उन्हें हाउसिंग लोन रेट में कटौती के अलावा टैक्स बेनेफिट्स का भी इंतजार है।
लाइसेज फोराज रियल एस्टेट रेटिंग एंड रिसर्च के एमडी पंकज कपूर ने बताया, 'दिसंबर को खत्म क्वॉर्टर के दौरान राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और कोलकाता समेत नॉर्थ इंडिया के टियर-1 और टियर-2 शहरों के मार्केट्स में प्रॉपर्टी की सेल्स में 15-20 फीसदी की गिरावट का अनुमान है। खास तौर पर नोटबंदी के 50 दिनों में यह आंकड़ा शायदा 30 फीसदी तक पहुंच जाए। पश्चिम और दक्षिण भारत के शहरों में असर अपेक्षाकृत कम था। 8 नवंबर 2016 के बाद से मार्केट में कोई गतिविधि नहीं दिखी और फिलहाल मार्केट अब फिर से चीजें तय करने के मूड में है।'
कपूर को ब्याज दरों मे कटौती और प्रॉपर्टी की कीमतों में वास्तविक गिरावट तक मार्केट में सुस्ती जारी रहने का अनुमान है। इसमें कुछ महीनों का वक्त लग सकता है। सरकार ने हाल में बेनामी सौदे (पाबंदी) संशोधन कानून, 1988 को मंजूरी दी है। इस कानून का उल्लंघन करने पर 7 साल की सजा होगी और प्रॉपर्टी के मालिक को कोई सजा दिए बिना संपत्ति को जब्त करने की भी बात है। इस कानून के दायरे में अचल, चल, तमाम तरह की संपत्तियां शामिल हैं। संशोधित कानून में टैक्स चोरी के मकसद और आय से ज्ञात साधनों से इतर इनकम के जरिये फर्जी नाम पर खरीदी गई मौजूद संपत्तियों को जब्त करने के लिए सरकार को अधिकार दिया गया है।
पीडब्ल्यूटीसी में टैक्स एंड रेगुलेटरी सर्विसेज, पार्टनर अभिषेक गोयनका ने बताया, 'यह एक मुश्किल काम हो सकता है, लेकिन अधिकारी प्रॉपर्टी खरीदारों के इनकम का पता कर सकती है और खरीदारी के वक्त प्रॉपर्टी की वैल्यू से इस इनकम का मिलान कर सकती है। इससे लोअर इनकम और इसके अनुपात से अधिक संपत्तियों की खरीद के मामलों को पकड़ा जा सकता है। इसके बाद लोगों को नोटिस भेजे जा सकते हैं और अगर जवाब संतोषजनक नहीं है, उनसे आगे भी पूछताछ होनी चाहिए।'
बीते साल 8 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान बाद से तमाम अहम मार्केट्स में रियल एस्टेट सेल्स ठहर सी गई है। कुछ बाजारों में इसमें तकरीबन 20 फीसदी तक की गिरावट हुई है। नोटबंदी और बेनामी प्रॉपर्टीज ऐक्ट की कार्रवाई के डर, दोनों वजहों से निवेशक रियल्टी में पैसा लगाने से बच रहे हैं, जबकि एंड यूजर्स को नोटबंदी के बाद ब्याज दरों में कटौती और प्राइस करेक्शन का डर है।
बेनामी संपत्तियों पर सख्त कार्रवाई की संभावना है। हालांकि, अधिकारी आय से ज्यादा संपत्ति के संबंध में मालिकाना हक स्थापित करने के लिए इनकम के स्तर का मिलान करेंगे। प्रॉपर्टी ब्रोकर्स का कहना है कि घर के खरीदारों को केंद्रीय बजट का इंतजार है और उन्हें हाउसिंग लोन रेट में कटौती के अलावा टैक्स बेनेफिट्स का भी इंतजार है।
लाइसेज फोराज रियल एस्टेट रेटिंग एंड रिसर्च के एमडी पंकज कपूर ने बताया, 'दिसंबर को खत्म क्वॉर्टर के दौरान राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और कोलकाता समेत नॉर्थ इंडिया के टियर-1 और टियर-2 शहरों के मार्केट्स में प्रॉपर्टी की सेल्स में 15-20 फीसदी की गिरावट का अनुमान है। खास तौर पर नोटबंदी के 50 दिनों में यह आंकड़ा शायदा 30 फीसदी तक पहुंच जाए। पश्चिम और दक्षिण भारत के शहरों में असर अपेक्षाकृत कम था। 8 नवंबर 2016 के बाद से मार्केट में कोई गतिविधि नहीं दिखी और फिलहाल मार्केट अब फिर से चीजें तय करने के मूड में है।'
कपूर को ब्याज दरों मे कटौती और प्रॉपर्टी की कीमतों में वास्तविक गिरावट तक मार्केट में सुस्ती जारी रहने का अनुमान है। इसमें कुछ महीनों का वक्त लग सकता है। सरकार ने हाल में बेनामी सौदे (पाबंदी) संशोधन कानून, 1988 को मंजूरी दी है। इस कानून का उल्लंघन करने पर 7 साल की सजा होगी और प्रॉपर्टी के मालिक को कोई सजा दिए बिना संपत्ति को जब्त करने की भी बात है। इस कानून के दायरे में अचल, चल, तमाम तरह की संपत्तियां शामिल हैं। संशोधित कानून में टैक्स चोरी के मकसद और आय से ज्ञात साधनों से इतर इनकम के जरिये फर्जी नाम पर खरीदी गई मौजूद संपत्तियों को जब्त करने के लिए सरकार को अधिकार दिया गया है।
पीडब्ल्यूटीसी में टैक्स एंड रेगुलेटरी सर्विसेज, पार्टनर अभिषेक गोयनका ने बताया, 'यह एक मुश्किल काम हो सकता है, लेकिन अधिकारी प्रॉपर्टी खरीदारों के इनकम का पता कर सकती है और खरीदारी के वक्त प्रॉपर्टी की वैल्यू से इस इनकम का मिलान कर सकती है। इससे लोअर इनकम और इसके अनुपात से अधिक संपत्तियों की खरीद के मामलों को पकड़ा जा सकता है। इसके बाद लोगों को नोटिस भेजे जा सकते हैं और अगर जवाब संतोषजनक नहीं है, उनसे आगे भी पूछताछ होनी चाहिए।'
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