सैकत दास, मुंबई
हाउजिंग फाइनैंस कंपनियों ने रेग्युलेटर नैशनल हाउजिंग बैंक (NHB) के साथ हुई मीटिंग में पिछले महीने की शुरुआत में घोषित किए गए डीमॉनेटाइजेशन के चलते रियल एस्टेट सेक्टर में दबाव को कम करके बताया। लेकिन, उन्हें डर है कि कन्ज्यूमर सेंटीमेंट कीमतों में गिरावट की उम्मीद कर रहा है, जो आने वाले महीनों में होम सेल्स पर असर डालने के साथ ग्रोथ को कमजोर कर सकता है। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले कई सूत्रों ने यह बात इकनॉमिक टाइम्स को बताई है।
डीमॉनेटाइजेशन के असर का आकलन करने के लिए पिछले दो हफ्तों में NHB ने दिल्ली, मुंबई और चेन्नै में 81 हाउजिंग फाइनैंस कंपनियों के साथ तीन मीटिंग्स की है। नेशनल हाउजिंग बैंक के सीईओ श्रीराम कल्याणरमन ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘डीमॉनेटाइजेशन के बीच स्थिति का आकलन करने के लिए हमने हाउजिंग फाइनैंस कंपनियों की रीजनल लेवल कॉन्फ्रेंस की है।’ उन्होंने बताया, ‘हमने इस सेक्टर में चुनौतियों, अवसरों के बारे में और हाउजिंग फाइनैंस कंपनियां (HFC) कैसे 2022 तक सभी लोगों के लिए घर के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में काम कर सकती हैं, इस पर विचार-विमर्श किया गया है।’
कल्याणरमन ने चुनौतियों के बारे में विस्तार से नहीं बताया, लेकिन मीटिंग में हिस्सा लेने वाले कुछ लोगों ने बताया कि उन्होंने रेग्युलेटर का ध्यान कीमतें घटने को लेकर कन्ज्यूमर की बढ़ती उम्मीदों की ओर खींचा। एक बड़ी HFC के हेड ने बताया कि रेंटल यील्ड और मॉर्गेज लोन यील्ड में करीब 3.4 फीसदी (टैक्स अडजेस्टेड) की गिरावट आई है, जो अभी किराये के घरों में रहने वाले लोगों की तरफ से हाउजिंग डिमांड को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है।
कई कन्ज्यूमर्स ने फिलहाल घर खरीदने के अपने फैसले को रोक रखा है, क्योंकि वह कीमतों में गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसका असर होम लोन डिमांड पर पड़ सकता है, ऐसी कयासबाजी खत्म करने के लिए उन्होंने NHB के दखल की मांग की है। रेग्युलेटर का मानना है कि घरों की कीमतों में थोड़ा शॉर्ट टर्म करेक्शंस (10-15%) देखने को मिल सकता है, लेकिन असल टैक्सपेयर्स के ट्रांसपैरेंट डील्स के लिए आने पर घरों की कीमतों में तेजी देखने को मिलेगी।
हाउजिंग फाइनैंस कंपनियों ने रेग्युलेटर नैशनल हाउजिंग बैंक (NHB) के साथ हुई मीटिंग में पिछले महीने की शुरुआत में घोषित किए गए डीमॉनेटाइजेशन के चलते रियल एस्टेट सेक्टर में दबाव को कम करके बताया। लेकिन, उन्हें डर है कि कन्ज्यूमर सेंटीमेंट कीमतों में गिरावट की उम्मीद कर रहा है, जो आने वाले महीनों में होम सेल्स पर असर डालने के साथ ग्रोथ को कमजोर कर सकता है। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले कई सूत्रों ने यह बात इकनॉमिक टाइम्स को बताई है।
डीमॉनेटाइजेशन के असर का आकलन करने के लिए पिछले दो हफ्तों में NHB ने दिल्ली, मुंबई और चेन्नै में 81 हाउजिंग फाइनैंस कंपनियों के साथ तीन मीटिंग्स की है। नेशनल हाउजिंग बैंक के सीईओ श्रीराम कल्याणरमन ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘डीमॉनेटाइजेशन के बीच स्थिति का आकलन करने के लिए हमने हाउजिंग फाइनैंस कंपनियों की रीजनल लेवल कॉन्फ्रेंस की है।’ उन्होंने बताया, ‘हमने इस सेक्टर में चुनौतियों, अवसरों के बारे में और हाउजिंग फाइनैंस कंपनियां (HFC) कैसे 2022 तक सभी लोगों के लिए घर के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में काम कर सकती हैं, इस पर विचार-विमर्श किया गया है।’
कल्याणरमन ने चुनौतियों के बारे में विस्तार से नहीं बताया, लेकिन मीटिंग में हिस्सा लेने वाले कुछ लोगों ने बताया कि उन्होंने रेग्युलेटर का ध्यान कीमतें घटने को लेकर कन्ज्यूमर की बढ़ती उम्मीदों की ओर खींचा। एक बड़ी HFC के हेड ने बताया कि रेंटल यील्ड और मॉर्गेज लोन यील्ड में करीब 3.4 फीसदी (टैक्स अडजेस्टेड) की गिरावट आई है, जो अभी किराये के घरों में रहने वाले लोगों की तरफ से हाउजिंग डिमांड को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है।
कई कन्ज्यूमर्स ने फिलहाल घर खरीदने के अपने फैसले को रोक रखा है, क्योंकि वह कीमतों में गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसका असर होम लोन डिमांड पर पड़ सकता है, ऐसी कयासबाजी खत्म करने के लिए उन्होंने NHB के दखल की मांग की है। रेग्युलेटर का मानना है कि घरों की कीमतों में थोड़ा शॉर्ट टर्म करेक्शंस (10-15%) देखने को मिल सकता है, लेकिन असल टैक्सपेयर्स के ट्रांसपैरेंट डील्स के लिए आने पर घरों की कीमतों में तेजी देखने को मिलेगी।
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