फायदेमंद है मंदी में घर खरीदना- Navbharat Times:
आने वाले दिनों में घरेलू रीयल एस्टेट मार्केट में सुस्तीऔर बढ़ सकती है। दरअसल , घरेलू अर्थव्यवस्था कोप्रभावित करने की क्षमता रखने वाली वैश्विक सुस्ती केअलावा रिजर्व बैंक की तरफ से रीपो रेट में बढ़ोतरी काइस सेक्टर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। पिछले एकसाल में होम लोन की ब्याज दरें 9.5 फीसदी से बढ़कर 12फीसदी हो चुकी हैं। जाहिर है , इससे मकान खरीदने केइच्छुक लोगों की खरीददारी क्षमता पर बुरा असर हुआ है।जाहिर है , ब्याज दरों की वजह से ईएमआई बढ़ेगी ,जिसका सीधा - सीधा इफेक्ट कस्टमर्स के बजट पर पड़ताहै। उदाहरण के तौर पर देखें , तो ब्याज दर के 12 फीसदीहोने से 20 साल के एक लाख रुपये लोन पर ईएमआई1,101 रुपए बनती है , जो 9.5 फीसदी के हिसाब से 934रुपये होती थी। 50 लाख रुपये के इतनी ही अवधि के लोनकी ईएमआई 46,585 रुपये से 8,465 रुपये बढ़कर55,050 रुपए हो गई है।
ब्याज दरों में बढ़ोतरी के साथ 10 फीसदी से ज्यादा की महंगाई दर के चलते निर्माण की लागत बढ़ रही है। येसब चीजें बिल्डर्स को कीमतें बढ़ाने पर मजबूर कर सकती है , जिससे मकानों की मांग भी प्रभावित हो सकती है।मकानों की मांग सुस्त बने रहने से डिवेलपर निर्माण की लागत में बढ़ोतरी का पूरा बोझ ग्राहकों पर नहीं डालपाएंगे , जिससे उनके मार्जिन पर दबाव बनेगा। जाहिर है , ऐसी सूरत में डिवेलपर निर्माण गतिविधियों में सुस्तीला सकते हैं , जिससे रिहायशी रियल एस्टेट की सप्लाई प्रभावित होगी।
ब्याज दरों का असर
कुशमैन ऐंड वेकफील्ड इंडिया के एमडी अनुराग माथुर के मुताबिक , संस्थागत फाइनैंसरों की बेरुखी और बढ़तीनिर्माण लागत के चलते पहले से ही घटी मांग की चुनौतियों से जूझ रहे डिवेलपरों पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी काबुरा असर होगा। एक सीनियर बैंकर ने बताया कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी के चलते रिहायशी मकानों की मांग परबुरा असर हो सकता है। ब्याज दरों में बदलाव होने से उपभोक्ताओं की लोन लेने और लोन पर ब्याज चुकाने कीक्षमता घटेगी। और तो और आने वाले दिनों में बैंकों की तरफ से होम लोन और बाकी लोन की ब्याज दरों मेंबढ़ोतरी होने के भी आसार बने हुए हैं।
इस सारे माहौल में दिल्ली और मुंबई जैसे ऊंची मांग वाले बाजारों में उपभोक्ताओं की ओर से मांग में कमी काअसर दिखने लगा है। महंगाई की ऊंची दर और अर्थव्यवस्था को लेकर बने निगेटिव सेंटीमेंट से बाजार मेंअस्थिरता की स्थिति बनने का संकेत जा सकता है। हालांकि , अतीत में देखा गया है कि ऊंची ब्याज दरों केमाहौल में भी भारतीय रियल्टी बाजार मकानों की कीमतों में कमी का गवाह नहीं बनता है। जब ब्याज दरों मेंनरमी आती है , तो कीमतें तेजी से चढ़ने लगती हैं। लिहाजा , अगर आज आप मकान खरीदें , तो आपको ज्यादाईएमआई का भुगतान करना पड़ सकता है क्योंकि ब्याज दरें ऊंची हैं। हालांकि ध्यान रहे कि जैसे ही ब्याज दरों मेंनरमी आएगी , आपको ज्यादा कीमतों के चलते अधिक ईएमआई के भुगतान की कंडिशन का सामना करना पड़सकता है।
फ्लोटिंग रेट
अगर आप फ्लोटिंग ब्याज दर पर कर्ज ले रहे हैं , तो ब्याज दरें घटने पर ईएमआई में कमी आ सकती है। अगरआप मकान खरीदने के लिए ब्याज दरें घटने का इंतजार करेंगे , तो हो सकता है कि वही मकान आप अधिककीमत में खरीदें और भुगतान की पूरी अवधि में आपकी ईएमआई ज्यादा बनी रह सकती है। लिहाजा , बेहतरयही होगा कि आप अभी से ऐसे मकान पर दांव लगा दीजिए , जो आपकी जरूरतें पूरी करता हो। इस वक्त सुस्तीके दौर में आप जगह और कीमत दोनों के हिसाब से बेहतर मोलभाव भी कर सकते हैं।
No comments:
Post a Comment