म्यूटेशन कराते समय इन बातों का रखें ध्यान - Navbharat Times:
कानूनी भाषा में म्यूटेशन का मतलब रेवेन्यू रिकार्ड्स में प्रॉपर्टी के टाइटल के मालिक का नाम बदलने से है। अगर टाइटिल को किसी अन्य व्यक्ति के नाम ट्रांसफर दर्ज कराना हो , तो इसके लिए इलाके के तहसीलदार या सक्षम पदाधिकारी को एक ऐप्लिकेशन देनी होगी। इसे एक सादे कागज पर लिखकर नॉन जुडिशल स्टाम्प्स के साथ जमा कराना होगा।
सबसे पहले यह बताना जरूरी है कि प्रॉपर्टी किस तरह की है और किस इलाके में है ? फिर बताएं कि प्रॉपर्टी का मालिकाना हक किस कानून के अंतर्गत बदला गया ? दोनों पक्षों के नाम , पिता का नाम और पूरे पते भी दर्ज करने होंगे। प्रॉपर्टी का हक किस तारीख को बदला गया। इनके अलावा , उन तमाम कागजात की एक कॉपी भी देनी होगी ,जिनके आधार पर म्यूटेशन की रिक्वेस्ट की जा रही है।
इन कागजों में सेल डीड या वसीयत आदि शामिल हैं। ट्रांसफर ड्यूटी के रूप में कुछ रकम भी चुकानी होगी। अगर कुछ हिस्से का म्यूटेशन कराना है ; तो उतने की फीस चुकानी पड़ेगी , जबकि पूरी प्रॉपर्टी बेचने पर पिछला बकाया और पूरे हिस्से पर लागू फीस देनी होगी। म्यूनिसिपल रिकार्ड्स में म्यूटेशन इसलिए कराया जाता है , जिससे प्रॉपर्टी टैक्स आदि को जमा करने में कोई परेशानी न हो। एप्लिकेशन देने के बाद सरकारी विभाग की तरफ से एक इश्तहार दिया जाता है , जिसमें पूछा जाता है कि इस नाम परिवर्तन को लेकर किसी को कोई आपत्ति तो नहीं है ?
ऐसे कराएं
अब बात करते हैं इस जानकारी की। सबसे पहले तो यह बताना जरूरी है कि प्रॉपर्टी किस तरह की है और किस इलाके में है ? फिर बताएं कि प्रॉपर्टी का मालिकाना हक किस कानून के अंतर्गत बदला गया ? दोनों पक्षों के नाम ,पिता का नाम और पूरे पते भी दर्ज करने होंगे। प्रॉपर्टी का हक किस तारीख को बदला गया। इनके अलावा , उन तमाम कागजात की एक कॉपी भी देनी होगी , जिनके आधार पर म्यूटेशन की रिक्वेस्ट की जा रही है। इन कागजों में सेल डीड या वसीयत आदि शामिल हैं। ट्रांसफर ड्यूटी के रूप में कुछ रकम भी चुकानी होगी। अगर कुछ हिस्से का म्यूटेशन कराना है , तो उतने की फीस चुकानी पड़ेगी , जबकि पूरी प्रॉपर्टी बेचने पर पिछला बकाया और पूरे हिस्से पर लागू फीस देनी होगी।
म्यूनिसिपल रिकार्ड्स में म्यूटेशन इसलिए कराया जाता है , जिससे प्रॉपर्टी टैक्स आदि को जमा करने में कोई परेशानी न हो। एप्लिकेशन देने के बाद सरकारी विभाग की तरफ से एक इश्तहार दिया जाता है , जिसमें पूछा जाता है कि इस नाम परिवर्तन किसी को कोई आपत्ति तो नहीं है ? इसके लिए कम से कम 15 दिन का समय दिया जाता है। इसके बाद किसी आपत्ति पर ध्यान नहीं दिया जाता और कर्मचारी अपनी रिपोर्ट जमा कर देता है। रिपोर्ट से पहले दोनों पक्षों का बयान लेकर उसका मिलान कागजात में दर्ज तथ्यों से किया जाता है। अगर म्यूटेशन के लिए कोई आपत्ति नहीं आती है , तो इसे लागू कर दिया जाता है और कोई आपत्ति आने पर मामले को इलाके के रेवेन्यू असिस्टेंट के पास सुनवाई के लिए भेज दिया जाता है। अगर कोई पक्ष रेवेन्यू असिस्टेंट के फैसले से असंतुष्ट रहता है , तो वह आदेश जारी होने के 30 दिनों के अंदर अडिशनल कलेक्टर (डिप्टी कमिश्नर) के पास अपील कर सकता है।
किसी भी प्रॉपर्टी पर जो व्यक्ति प्रॉपर्टी टैक्स देता है , अगर वह प्रॉपर्टी को बेचे यानी टाइटल किसी और के नाम में ट्रांसफर हो , तो इसकी सूचना म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन को जरूरी देनी चाहिए। इस बीच , अगर प्रॉपर्टी टैक्स आदि में बढ़ोत्तरी होती है या कोई बकाया रह जाता है , तो इसकी देनदारी प्रॉपर्टी लेने वाले व्यक्ति पर होगी। इससे बचने के लिए टाइटल लेने वाले को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि पिछला सभी बकाया चुका दिया गया है। अगर प्रॉपर्टी टैक्स चुकाने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है , तो उसके बाद प्रॉपर्टी जिस व्यक्ति के नाम पर हस्तांतरित होती है , उसे मृत्यु के छह महीने के अंदर इसकी सूचना म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन को देनी होगी। तभी म्यूटेशन हो सकेगा।
अगर प्रॉपर्टी का कुछ हिस्सा बेचा गया हो , तो इस हिस्से का भी म्यूटेशन हो सकता है , बशर्ते उस हिस्से पर लागू सभी बकाया और निर्धारित फीस चुकाई जाए। इसी तरह , उत्तराधिकार के नियमों के अंतर्गत अगर कोई प्रॉपर्टी सभी कानूनी उत्तराधिकारियों के नाम ट्रांसफर होती है , तो इन सभी के नाम म्यूटेशन तभी होगा , जब उनके हिस्सों पर लागू सभी टैक्स चुका दिए जाएं।
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