डीडीए की जगह आएगा नया रेगुलेटर- Navbharat Times:
नई दिल्ली।। डीडीए की जगह हाउसिंग सेक्टर के लिए नया रेगुलेटर बनाने की कवायद तेज कर दी गई है। अभी डीडीए डिवेलपर और रेगुलेटर दोनों का काम करती है। टाउन प्लानर का भी मानना है कि इससे अर्बनाइजेशन में दिक्कत आएगी। इसलिए एक इंडिपेंडेंट रेगुलेटर की जरूरत हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि दिल्ली में हाउसिंग सेक्टर में इमरजेंसी की स्थिति है जिस पर तुरंत गंभीरता से काम करने की जरूरत है। इसके लिए एक इंडिपेंडेंट रेगुलेटरी बॉडी के साथ ही इच्छाशक्ति वाले लोग भी चाहिए।
सबसे पहले 2006 में तेंजेंद्र खन्ना कमिटी ने यह सिफारिश की थी कि डीडीए डिवेलपर और रेगुलेटर एक साथ नहीं हो सकता है। इसके लिए दिल्ली अर्बन रेगुलेटरी अथॉरिटी होनी चाहिए और डीडीए एक्ट के सेक्शन 11 से लेकर 14 तक जो भी अधिकार हैं वह दिल्ली अर्बन रेगुलेटरी अथॉरिटी को ट्रांसफर होने चाहिए। सेक्शन 11 में लैंड यूज चेंज, डिवेलपमेंट कंट्रोल, एफएआर कितना होगा और हाइट कितनी होगी, जैसे मसले आते हैं। सेक्शन 12 के तहत डिवेलपमेंट एरिया नोटिफाई होता है। सेक्शन 13 के तहत बिल्ंिडग प्लान पास किए जाते हैं और सेक्शन 14 के जरिए इंफोर्समेंट अधिकार मिलते हैं।
2007 में उपराज्यपाल ने कुछ अधिकारियों और एक्सपर्ट की मदद से दिल्ली अर्बन रेगुलेटरी एंड अपीलेट अथॉरिटी बिल 2007 ड्राफ्ट किया। इसे अर्बन डिवेलपमेंट मिनिस्ट्री को भेजा गया। आवासीय शहरीय गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने भी एक एक्ट बनाया। इसके बाद इस संबंध में कुछ मीटिंग्स भी हुई लेकिन मामला टलता चला गया। तत्कालीन अर्बन डिवेलपमेंट मिनिस्टर जयपाल रेड्डी ने संसद में वादा किया था कि हम हाउसिंग सेक्टर के लिए रेगुलेटरी अथॉरिटी बना रहे हैं। अब इस पर कवायद तेज हो गई है। फाइनैंस मिनिस्ट्री ने डीडीए की जगह हाउसिंग सेक्टर के लिए नया रेगुलेटर बनाने का काम शुरू कर दिया है। अलोकेशन ऑफ नेचरल रिसोर्स पर बनी कमिटी ने सरकार से कहा है कि हाउसिंग सेक्टर के लिए रेगुलेटरी बॉडी का तुरंत गठन किया जाए।
कमिटी का मानना है कि रेगुलेटर की मौजूदगी में कम कीमत पर ज्यादा घर मुहैया कराने मंे मदद मिलेगी। डीडीए जमीन अधिग्रहण करता है, इसका विकास करता है और इसे कमर्शल और हाउसिंग के लिए अलॉट करता है। डीडीए ही हॉस्पिटल, क्लब, स्कूल, कॉलेज जैसे इंस्टिट्यूशन के लिए जमीन अलॉट करता है। डीडीए के वाइस चेयरमैन पटनायक ने कहा कि हम सारा काम डीडीए एक्ट के तहत कर रहे हैं। हमने सिर्फ हाउसिंग के लिए ही नहीं बल्कि जमीन, ग्रीन एरिया सभी के लिए मास्टर प्लान बनाया है। हाउसिंग के लिए अलग रेगुलेटर का मतलब क्या है इसे डिफाइन करने की जरूरत है। अगर यह बिल्डिंग स्ट्र्क्चर के बारे में है तो यह बिल्ंिडग बायलॉज के तहत होता है।
डीडीए के पूर्व प्लानिंग कमिश्नर ए . के . जैन ने कहा कि रेगुलेटर का अधिकार डीडीए के पास रहने से हित आपसमें टकराते हैं। लोगों को डर है कि प्राइवेट डिवेलपर्स को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता। इसके लिए एक इंडिपेंडेडरेगुलेटरी जरूरी है। जब बड़े स्तर पर अर्बनाइजेशन होना है तब यह और भी जरूरी हो जाता है। मास्टर प्लान2021 में 24 लाख नए घर बनने हैं , 27 हजार हेक्टेयर एरिया का विकास होना है और 5 नई सब सिटी बननी है।यह सब डीडीए अकेले नहीं कर पाएगा। प्लानिंग और एक्जीक्यूशन का काम डीडीए कर सकता है। रेगुलेटर अलगसे होना चाहिए।
दिल्ली अर्बन आर्ट कमिशन के पूर्व चेयरमैन प्रो . के . टी . रवींद्रन कहते हैं कि डीडीए का मूल मकसद था कि वहसभी को घर मुहैया कराए लेकिन वह ऐसा कर नहीं पाया। हाउसिंग सेक्टर मंे इमरजेंसी की स्थिति है। करीब 60फीसदी आबादी अनऑथराइज्ड कॉलोनी में रह रही है , लाखों लोग स्लम में रह रहे हैं और करीब डेढ़ लाख लोगबेघर हैं। हाउसिंग मैकेनिजम में तुरंत सुधार की जरूरत है। इसके लिए एक इंडिपेंडेंट रेगुलेटरी बॉडी की जितनीजरूरत है उतनी ही जरूरत उस में सही लोगों को बैठाने की।
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