नई दिल्ली
क्या आप किसी ऐसी जगह पर प्रॉपर्टी खरीदकर रकम दोगुनी करने का मन बना रहे हैं, जहां एयरपोर्ट, मेट्रो, एक्सप्रेस-वे या फिर पोर्ट बनना प्रस्तावित है। यदि ऐसा है तो एक बार फिर से विचार कर लीजिए। यदि किसी इलाके में सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट प्रस्तावित होगा तो सरकार प्रॉपर्टी खरीदने वाले लोगों से \'बेटरमेंट फीस\' वसूलेगी। कई देशों में सरकारें शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए वैल्यू कैप्चर फाइनैंस (वीसीएफ) के नाम से इस तरह का चार्ज वसूलती हैं।
केंद्र सरकार 1 अप्रैल से इस स्कीम की शुरुआत कर सकती है। अभी सरकार इस बेटरमेंट फीस को वसूलने के तरीकों पर विचार कर रही है। इस चार्ज की वसूली स्थानीय निकाय और डिवेलपमेंट अथॉरिटीज के द्वारा की जाएगी। वीसीएफ की व्यवस्था पब्लिक फाइनैंसिंग पूल जैसी है। माना जाता है कि शहरी इलाकों में भूमि की बढ़ती कीमतों और तेज आर्थिक विकास के चलते इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े पैमाने पर निवेश करना पड़ता है।
इस पॉलिसी के तहत सरकार कुछ अतिरिक्त टैक्स लगाने जैसे कुछ तरीके अपनाती है। फिर इस राशि को भविष्य के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स में लगाया जाता है। इस स्कीम के तहत संभावित इंफ्रास्ट्रक्चर से इलाके में प्रॉपर्टी की कीमतों में होने वाले इजाफे का भी आकलन किया जाता है। यह आकलन मेट्रो, स्पीड रेल, हाईवे, पोर्ट्स और एयरपोर्ट्स जैसे प्रॉजेक्ट की फीजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार किए जाने के वक्त होता है।
बेटरमेंट फीस की वसूली लगभग 5 साल या फिर तब तक की जाती है, जब तक कि प्रॉपर्टी की कीमतों में स्थिरता न आ जाए। कुछ देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से कई जिलों को ही तय कर दिया है, जिनसे बेटरमेंट फीस वसूली जाती है। इस जोन में रहने वाले लोगों से अडिशनल टैक्स वसूला जाता है ताकि किसी भी परियोजना की लागत को हासिल किया जा सके। एक विकल्प यह भी होता है कि सरकार ऐसे इलाकों में लैंड पूलिंग करे और निश्चित परियोजनाओं के विकास के बाद बची हुई भूमि को वह प्रीमियम रेट्स पर बेच दे।
क्या आप किसी ऐसी जगह पर प्रॉपर्टी खरीदकर रकम दोगुनी करने का मन बना रहे हैं, जहां एयरपोर्ट, मेट्रो, एक्सप्रेस-वे या फिर पोर्ट बनना प्रस्तावित है। यदि ऐसा है तो एक बार फिर से विचार कर लीजिए। यदि किसी इलाके में सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट प्रस्तावित होगा तो सरकार प्रॉपर्टी खरीदने वाले लोगों से \'बेटरमेंट फीस\' वसूलेगी। कई देशों में सरकारें शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए वैल्यू कैप्चर फाइनैंस (वीसीएफ) के नाम से इस तरह का चार्ज वसूलती हैं।
केंद्र सरकार 1 अप्रैल से इस स्कीम की शुरुआत कर सकती है। अभी सरकार इस बेटरमेंट फीस को वसूलने के तरीकों पर विचार कर रही है। इस चार्ज की वसूली स्थानीय निकाय और डिवेलपमेंट अथॉरिटीज के द्वारा की जाएगी। वीसीएफ की व्यवस्था पब्लिक फाइनैंसिंग पूल जैसी है। माना जाता है कि शहरी इलाकों में भूमि की बढ़ती कीमतों और तेज आर्थिक विकास के चलते इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े पैमाने पर निवेश करना पड़ता है।
इस पॉलिसी के तहत सरकार कुछ अतिरिक्त टैक्स लगाने जैसे कुछ तरीके अपनाती है। फिर इस राशि को भविष्य के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स में लगाया जाता है। इस स्कीम के तहत संभावित इंफ्रास्ट्रक्चर से इलाके में प्रॉपर्टी की कीमतों में होने वाले इजाफे का भी आकलन किया जाता है। यह आकलन मेट्रो, स्पीड रेल, हाईवे, पोर्ट्स और एयरपोर्ट्स जैसे प्रॉजेक्ट की फीजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार किए जाने के वक्त होता है।
बेटरमेंट फीस की वसूली लगभग 5 साल या फिर तब तक की जाती है, जब तक कि प्रॉपर्टी की कीमतों में स्थिरता न आ जाए। कुछ देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से कई जिलों को ही तय कर दिया है, जिनसे बेटरमेंट फीस वसूली जाती है। इस जोन में रहने वाले लोगों से अडिशनल टैक्स वसूला जाता है ताकि किसी भी परियोजना की लागत को हासिल किया जा सके। एक विकल्प यह भी होता है कि सरकार ऐसे इलाकों में लैंड पूलिंग करे और निश्चित परियोजनाओं के विकास के बाद बची हुई भूमि को वह प्रीमियम रेट्स पर बेच दे।
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