With Benami Holdings on Govt's Radar, Anxious Queries on New Rules - Navbharat Times
कैलाश बब्बर और सोबिया खान
ब्लैक मनी पर स्ट्राइक करने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी इशारा कर चुके हैं कि उनका अगला निशाना बेनामी संपत्ति पर होगा। बेनामी सौदों को रोकने के लिए बनाया गया कानून 1 नवबंर से प्रभाव में आ चुका है। नए सख्त कानूनों के बाद से लोग प्रॉपर्टी जब्त होने से बचाने के लिए लॉ फर्म्स का सहारा लेने की सोच रहे हैं लेकिन जांच के डर से वह वकीलों से सीधे बात भी नहीं कर रहे हैं।
वरिष्ठ वकील परिमल श्रॉफ ने बताया, 'ब्लैक मनी पर कार्रवाई के बाद लोगों में डर बैठ गया है कि अब अगला निशाना बेनामी संपत्ति पर होगा। लोग पूछ रहे हैं कि नए कानून के तहत सरकार किस हद तक ऐक्शन ले सकती है। लोग पूछ रहे हैं कि कैसे नए कानून में प्रॉपर्टी जब्त होने से बचाई जा सकती है।' बेंगलुरु की लॉ फर्म के वरिष्ठ मेंबर ने बताया, 'मुझे बेनामी कॉल्स आ रही हैं। प्रॉपर्टी जब्त होने के डर से क्लाइंट असली पहचान भी नहीं बता रहा है।'
सरकार ने अगस्त 2016 में बेनामी सौदा निषेध कानून को पारित किया था। इसके प्रभाव में आने के बाद मौजूदा बेनामी सौदे (निषेध) कानून 1988 का नाम बदलकर बेनामी संपत्ति कानून 1988 कर दिया गया है। संशोधनों के बाद सरकार को यह अधिकार है कि वह टैक्स से बचने के लिए दूसरे के नाम से खरीदी गई प्रॉपर्टी को जब्त कर सकती है। लोग वकीलों से इस बारे में पूछताछ कर रहे हैं लेकिन जांच से बचने के लिए वह दोस्तों या अन्य लोगों के नाम का सहारा ले रहे हैं।
क्या है बेनामी संपत्ति?
जैसा नाम से समझ आता है बेनामी का अर्थ ऐसी संपत्ति है जो असली खरीददार के नाम पर नहीं है। टैक्स से बचने और संपत्ति का ब्यौरा न देने के उद्देश्य से लोग अपने नाम से प्रॉपर्टी नहीं खरीदते। जिस व्यक्ति के नाम से यह खरीदी जाती है उसे बेनामदार कहते हैं और संपत्ति बेनामी कहलाती है। बेनामी संपत्ति चल या अचल दोनों हो सकती है। अधिकतर ऐसे लोग बेनामी संपत्ति खरीदते हैं जिनकी आमदनी का स्रोत संपत्ति से ज्यादा होता है।
क्या हो सकती है सजा?
अधिकतम सात साल की सजा और प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू के 25 प्रतिशत तक जुर्माना। जानबूझकर गलत जानकारी देने पर कम से कम छह महीने की सजा। अधिकतम पांच साल की सजा और संपत्ति के बाजार मूल्य का 10 फीसदी तक का जुर्माना।
कैलाश बब्बर और सोबिया खान
ब्लैक मनी पर स्ट्राइक करने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी इशारा कर चुके हैं कि उनका अगला निशाना बेनामी संपत्ति पर होगा। बेनामी सौदों को रोकने के लिए बनाया गया कानून 1 नवबंर से प्रभाव में आ चुका है। नए सख्त कानूनों के बाद से लोग प्रॉपर्टी जब्त होने से बचाने के लिए लॉ फर्म्स का सहारा लेने की सोच रहे हैं लेकिन जांच के डर से वह वकीलों से सीधे बात भी नहीं कर रहे हैं।
वरिष्ठ वकील परिमल श्रॉफ ने बताया, 'ब्लैक मनी पर कार्रवाई के बाद लोगों में डर बैठ गया है कि अब अगला निशाना बेनामी संपत्ति पर होगा। लोग पूछ रहे हैं कि नए कानून के तहत सरकार किस हद तक ऐक्शन ले सकती है। लोग पूछ रहे हैं कि कैसे नए कानून में प्रॉपर्टी जब्त होने से बचाई जा सकती है।' बेंगलुरु की लॉ फर्म के वरिष्ठ मेंबर ने बताया, 'मुझे बेनामी कॉल्स आ रही हैं। प्रॉपर्टी जब्त होने के डर से क्लाइंट असली पहचान भी नहीं बता रहा है।'
सरकार ने अगस्त 2016 में बेनामी सौदा निषेध कानून को पारित किया था। इसके प्रभाव में आने के बाद मौजूदा बेनामी सौदे (निषेध) कानून 1988 का नाम बदलकर बेनामी संपत्ति कानून 1988 कर दिया गया है। संशोधनों के बाद सरकार को यह अधिकार है कि वह टैक्स से बचने के लिए दूसरे के नाम से खरीदी गई प्रॉपर्टी को जब्त कर सकती है। लोग वकीलों से इस बारे में पूछताछ कर रहे हैं लेकिन जांच से बचने के लिए वह दोस्तों या अन्य लोगों के नाम का सहारा ले रहे हैं।
क्या है बेनामी संपत्ति?
जैसा नाम से समझ आता है बेनामी का अर्थ ऐसी संपत्ति है जो असली खरीददार के नाम पर नहीं है। टैक्स से बचने और संपत्ति का ब्यौरा न देने के उद्देश्य से लोग अपने नाम से प्रॉपर्टी नहीं खरीदते। जिस व्यक्ति के नाम से यह खरीदी जाती है उसे बेनामदार कहते हैं और संपत्ति बेनामी कहलाती है। बेनामी संपत्ति चल या अचल दोनों हो सकती है। अधिकतर ऐसे लोग बेनामी संपत्ति खरीदते हैं जिनकी आमदनी का स्रोत संपत्ति से ज्यादा होता है।
क्या हो सकती है सजा?
अधिकतम सात साल की सजा और प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू के 25 प्रतिशत तक जुर्माना। जानबूझकर गलत जानकारी देने पर कम से कम छह महीने की सजा। अधिकतम पांच साल की सजा और संपत्ति के बाजार मूल्य का 10 फीसदी तक का जुर्माना।
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