वॉशिंगटन।। क्या पूरी भीषण मंदी की चपेट में आने वाली है? क्या इस बार की मंदी भी 1930 की महान आर्थिक मंदी की तरह होगी? इन तमाम सवालों के बीच दुनिया भर में भीषण मंदी की सुगबुगाहट तेज हो गई है। गुरुवार को इंटरनैशनल मॉनिट्री फंड (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड कहा कि ग्लोबल इकॉनमी की तस्वीर धुंधली है, लेकिन अगर मंदी आती है तो दुनिया का कोई भी देश इससे सुरक्षित नहीं। उन्होंने कहा कि इस आर्थिक मंदी से निपटने के लिए दुनिया के सभी देशों को मिलकर काम करना होगा। इस समस्या के हल में एशिया और यूरोप के देश अग्रणी भूमिका निभाएंगे।
लेगार्ड ने कहा कि हम मंदी को लगातार फैलते देख रहे हैं। हमें यह दिख रहा है कि दुनिया का हर देश इसके चपेट में आ रहा है। इसमें अगर यह कोई सोचता है कि वह मंदी के असर से सुरक्षित है तो वह मुगालते में है। पूरी दुनिया को एक साथ मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि सभी देशों और सभी सेक्टर की ओर से कार्रवाई करके ही इसका स्थायी समाधान निकाला जा सकता है।
इधर, स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स रेटिंग एजेंसी ने 10 स्पैनिश बैंकों की रेटिंग घटा दी है। ग्रीस, पुर्तगाल, स्पेन और इटली की इकॉनमी पहले की कर्ज के जाल में फंसी हुई हैं। जर्मनी और फ्रांस की तमाम कोशिशों के बाद भी इन देशों के खस्ताहाल इकॉनमी में कोई खास सुधार नहीं दिख रहा है।
फ़्रांस, स्पेन और इटली में कर्ज पर ब्याज की दर लगातार बढ़ रही है। कई निवेशकों को डर है कि इनमें से एक यूरोजोन सदस्य को जल्दी ही सहायता पैकेज की जरूरत पड़ सकती है।
अमेरिका के वॉशिंगटन में अमेरिकी विदेश विभाग में बोलते हुए क्रिस्टीन लेगार्ड ने कहा कि दुनिया भर के नेताओं को मौद्रिक कमजोरी से निपटने के लिए एक साझा दृष्टिकोण अपनाना होगा। इसके लिए प्रयास करने की जरूरत होगी। साथ ही इसकी शुरुआत समस्या के जड़ से करनी होगी, जो स्पष्ट रूप से यूरोपीय देश हैं। खासकर वे जो यूरोजोन में हैं।
लेगार्ड ने कहा कि हम मंदी को लगातार फैलते देख रहे हैं। हमें यह दिख रहा है कि दुनिया का हर देश इसके चपेट में आ रहा है। इसमें अगर यह कोई सोचता है कि वह मंदी के असर से सुरक्षित है तो वह मुगालते में है। पूरी दुनिया को एक साथ मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि सभी देशों और सभी सेक्टर की ओर से कार्रवाई करके ही इसका स्थायी समाधान निकाला जा सकता है।
इधर, स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स रेटिंग एजेंसी ने 10 स्पैनिश बैंकों की रेटिंग घटा दी है। ग्रीस, पुर्तगाल, स्पेन और इटली की इकॉनमी पहले की कर्ज के जाल में फंसी हुई हैं। जर्मनी और फ्रांस की तमाम कोशिशों के बाद भी इन देशों के खस्ताहाल इकॉनमी में कोई खास सुधार नहीं दिख रहा है।
फ़्रांस, स्पेन और इटली में कर्ज पर ब्याज की दर लगातार बढ़ रही है। कई निवेशकों को डर है कि इनमें से एक यूरोजोन सदस्य को जल्दी ही सहायता पैकेज की जरूरत पड़ सकती है।
अमेरिका के वॉशिंगटन में अमेरिकी विदेश विभाग में बोलते हुए क्रिस्टीन लेगार्ड ने कहा कि दुनिया भर के नेताओं को मौद्रिक कमजोरी से निपटने के लिए एक साझा दृष्टिकोण अपनाना होगा। इसके लिए प्रयास करने की जरूरत होगी। साथ ही इसकी शुरुआत समस्या के जड़ से करनी होगी, जो स्पष्ट रूप से यूरोपीय देश हैं। खासकर वे जो यूरोजोन में हैं।
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