तोहफा बिना टैक्स वाला- Navbharat Times:
तोहफे से हर किसी को प्यार है। ये अक्सर शादी , सालगिरह और जन्मदिन के मौकों पर दिए जाते हैं। क्या आपको पता है कि आप अपने रिश्तेदारों को अचल या चल संपत्ति के रूप में गिफ्ट देकर उन्हें टैक्स बचाने में मदद कर सकते हैं ? रिश्तेदारों को संपत्ति देने के लिए गिफ्टिंग को प्रभावी तरीका मानने वालों की तादाद बढ़ रही है। गिफ्ट वह संपत्ति है , जिसे आप किसी को बगैर पैसे लिए देते हैं। इसे ऑफ मार्केट ट्रांजैक्शन कहा जाता है। शकीना बबवाणी बता रही हैं कि किस तरह आप अपने रिश्तेदारों को चल या संपत्ति बतौर गिफ्ट ट्रांसफर कर सकते हैं :
अचल संपत्ति
किसी अचल संपत्ति को गिफ्ट करने के लिए आपको गिफ्ट डीड (यह एक कानूनी दस्तावेज है , जिसमें संपत्ति का मालिकाना हक दूसरे को ट्रांसफर किया जाता है। इस दस्तावेज में संपत्ति के खरीद मूल्य का जिक्र करने की जरूरत नहीं होती) रजिस्टर कराना होता है और उस पर स्टांप लगवाना होता है। संपत्ति को रजिस्टर्ड दस्तावेज के जरिए ट्रांसफर करना होता है , जिस पर देने वाले या उसकी ओर से किसी के साइन होते हैं। गिफ्ट डीड कम से कम दो गवाहों की मौजूदगी में की जाती है। अगर गिफ्ट अचल संपत्ति है , तो उसके रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया किसी अचल संपत्ति की सेल डीड के रजिस्ट्रेशन की तरह ही होती है , जिसे सब रजिस्ट्रार के पास दर्ज कराया जाता है।
गिफ्ट ट्रांजैक्शन पर स्टांप ड्यूटी लगती है। बॉम्बे स्टांप एक्ट , 1958 के मुताबिक , मुंबई और कुछ दूसरे इलाकों में स्टांप ड्यूटी सामान्यतया अचल संपत्ति की मार्केट वैल्यू का 5 फीसदी होती है। ग्रामीण इलाकों में यह 5 फीसदी से भी कम होती है। अगर गिफ्ट पाने वाला आपका रिश्तेदार है , तो स्टांप ड्यूटी कम लगती है। ऐसे मामलों में यह संपत्ति की मार्केट वैल्यू का 2 फीसदी होती है। रिश्तेदारों को बतौर गिफ्ट संपत्ति ट्रांसफर करने के बड़े फायदों में से यह एक है।
- आपकी गिफ्ट डीड रजिस्टर्ड होनी चाहिए और उस पर पर्याप्त स्टांप ड्यूटी लगी होनी चाहिए।
जूलरी
दादी-नानियां पोतियों-नातिनों को अपनी एंटीक जूलरी गिफ्ट के रूप में दे सकती हैं। इससे जूलरी पाने वाले को टैक्स नहीं देना पड़ेगा। जब आप जूलरी जैसी चल संपत्ति बतौर गिफ्ट देते हैं , तो उसका रजिस्ट्रेशन वैकल्पिक होता है। इसे गिफ्ट डीड के साथ भी ट्रांसफर किया जा सकता है। ऐसी संपत्तियां गिफ्ट करते वक्त उन्हें बाकायदा ट्रांसफर करना और दूसरे को सौंपना होता है। ऐसे मामलों में रजिस्टर या अकाउंट बुक में एंट्री से ही काम नहीं चलता।
अगर संबंधी को गिफ्ट डीड के जरिए जूलरी का ट्रांसफर दर्ज नहीं किया गया है , तब भी स्टांप ड्यूटी देनी होगी। स्टांप ड्यूटी की दरें हर राज्य में अलग-अलग हैं। मुंबई में आपको स्टांप ड्यूटी के रूप में जूलरी की मार्केट वैल्यू का 2 फीसदी देना होता है , अगर यह किसी ऐसे शख्स को ट्रांसफर की गई है जो नजदीकी रिश्तेदार है। जूलरी किसी थर्ड पार्टी को ट्रांसफर करनी है , तो स्टांप ड्यूटी के रूप में उसकी मार्केट वैल्यू का 3 फीसदी देना होता है।
- आपको रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया से होकर नहीं गुजरना होता। इसे फिजिकली ट्रांसफर किया जा सकता है , बाद में गिफ्ट डीड देनी होती है।
शेयर और सिक्युरिटी
शेयर ट्रांसफर करने की प्रक्रिया थोड़ी अलग है। इसके लिए शेयर ट्रांसफर फॉर्म को कंपनी या रजिस्ट्रार और कंपनी के ट्रांसफर एजेंट के पास पेश करना होता है। रजिस्ट्रेशन एक्ट , 1908 के सेक्शन 18 के तहत भी शेयर ट्रांसफर से जुड़ी गिफ्ट डीड के रजिस्ट्रेशन को वैकल्पिक रखा गया है। स्टांप ड्यूटी के नियम भी अलग हैं। डीमैट फॉर्मैट में शेयर या सिक्युरिटीज़ गिफ्ट करते वक्त स्टांप ड्यूटी नहीं देनी होती। भारतीय स्टांप एक्ट , 1899 के तहत फिजिकल फॉर्म में जितने शेयर ट्रांसफर हुए हैं , उन पर हर 100 रुपये पर 25 पैसे की स्टांप ड्यूटी लगेगी।
- शेयर ट्रांसफर फॉर्म कंपनी या रजिस्ट्रार और कंपनी के ट्रांसफर एजेंट के सामने पेश किया जाता है। भारतीय रजिस्ट्रेशन एक्ट , 1908 के तहत शेयरों के ट्रांसफर के लिए गिफ्ट डीड रजिस्टर कराना वैकल्पिक है।
टैक्स का रगड़ा
जब गिफ्ट देने वाला और लेने वाला , दोनों रिश्तेदारों हों तो उन पर टैक्स की देनदारी नहीं बनती। शादी के दौरान , पैरंट्स , ग्रैंड पैंरंट्स से मिले गिफ्ट और बहू को सास-ससुर , वसीयत या विरासत में तोहफों को भी टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है। अगर आपको संपत्ति से कोई आय या आमदनी होती है , तो उसे गिफ्ट के तौर पर नहीं लिया जा सकता है या उसे गिफ्ट से सीधा नहीं जोड़ा जा सकता। इसका मतलब है कि संपत्ति से होने वाली आय गिफ्ट नहीं है , वह आपकी आमदनी है।
दूसरी अहम बात यह है कि अगर कोई चीज आपको गिफ्ट के तौर पर मिल रही है और उस पर टैक्स देय नहीं है या नहीं बनता है , इसके बावजूद वह चीज आपका इनकम टैक्स का दायरा बढ़ा सकती है। मगर यह आपके वेल्थ के रूप में गिनी जाएगी। यह वेल्थ टैक्स एक्ट के तहत आपकी परिसंपत्ति , आय और वेल्थ का आधार बढ़ा सकता है।
- गिफ्ट देने वाला अगर आपका रिश्तेदार नहीं है , तो आप इनकम टैक्स छूट का फायदा नहीं उठा सकते।
अचल संपत्ति
ऐसी कोई भी संपत्ति जिसे एक जगह से दूसरे जगह तक न ले जाया सके इस श्रेणी में आती है। इनके लिए आमतौर पर कहा जाता है कि ये जमीन से जुड़ी होती हैं , जैसे घर या जमीन का कोई टुकड़ा।
चल संपत्ति
ऐसी संपत्तियां , जिन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाया सके इस श्रेणी में आती हैं। सिविल कानून के मुताबिक , निजी संपत्ति ही चल संपत्ति कहलाती है। जैसे टीवी , वीइकल और कंप्यूटर आदि। इकनॉमिक्स के टर्म में इस संपत्ति के लिए आमतौर पर चैटल शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। अगर आप अपनी संपत्ति को किसी को ट्रांसफर करना चाहते हैं , तो इसमें कार्रवाई ट्रांसफर ऑफ प्रापर्टी एक्ट-1882 के तहत होगी।
तोहफे से हर किसी को प्यार है। ये अक्सर शादी , सालगिरह और जन्मदिन के मौकों पर दिए जाते हैं। क्या आपको पता है कि आप अपने रिश्तेदारों को अचल या चल संपत्ति के रूप में गिफ्ट देकर उन्हें टैक्स बचाने में मदद कर सकते हैं ? रिश्तेदारों को संपत्ति देने के लिए गिफ्टिंग को प्रभावी तरीका मानने वालों की तादाद बढ़ रही है। गिफ्ट वह संपत्ति है , जिसे आप किसी को बगैर पैसे लिए देते हैं। इसे ऑफ मार्केट ट्रांजैक्शन कहा जाता है। शकीना बबवाणी बता रही हैं कि किस तरह आप अपने रिश्तेदारों को चल या संपत्ति बतौर गिफ्ट ट्रांसफर कर सकते हैं :
अचल संपत्ति
किसी अचल संपत्ति को गिफ्ट करने के लिए आपको गिफ्ट डीड (यह एक कानूनी दस्तावेज है , जिसमें संपत्ति का मालिकाना हक दूसरे को ट्रांसफर किया जाता है। इस दस्तावेज में संपत्ति के खरीद मूल्य का जिक्र करने की जरूरत नहीं होती) रजिस्टर कराना होता है और उस पर स्टांप लगवाना होता है। संपत्ति को रजिस्टर्ड दस्तावेज के जरिए ट्रांसफर करना होता है , जिस पर देने वाले या उसकी ओर से किसी के साइन होते हैं। गिफ्ट डीड कम से कम दो गवाहों की मौजूदगी में की जाती है। अगर गिफ्ट अचल संपत्ति है , तो उसके रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया किसी अचल संपत्ति की सेल डीड के रजिस्ट्रेशन की तरह ही होती है , जिसे सब रजिस्ट्रार के पास दर्ज कराया जाता है।
गिफ्ट ट्रांजैक्शन पर स्टांप ड्यूटी लगती है। बॉम्बे स्टांप एक्ट , 1958 के मुताबिक , मुंबई और कुछ दूसरे इलाकों में स्टांप ड्यूटी सामान्यतया अचल संपत्ति की मार्केट वैल्यू का 5 फीसदी होती है। ग्रामीण इलाकों में यह 5 फीसदी से भी कम होती है। अगर गिफ्ट पाने वाला आपका रिश्तेदार है , तो स्टांप ड्यूटी कम लगती है। ऐसे मामलों में यह संपत्ति की मार्केट वैल्यू का 2 फीसदी होती है। रिश्तेदारों को बतौर गिफ्ट संपत्ति ट्रांसफर करने के बड़े फायदों में से यह एक है।
- आपकी गिफ्ट डीड रजिस्टर्ड होनी चाहिए और उस पर पर्याप्त स्टांप ड्यूटी लगी होनी चाहिए।
जूलरी
दादी-नानियां पोतियों-नातिनों को अपनी एंटीक जूलरी गिफ्ट के रूप में दे सकती हैं। इससे जूलरी पाने वाले को टैक्स नहीं देना पड़ेगा। जब आप जूलरी जैसी चल संपत्ति बतौर गिफ्ट देते हैं , तो उसका रजिस्ट्रेशन वैकल्पिक होता है। इसे गिफ्ट डीड के साथ भी ट्रांसफर किया जा सकता है। ऐसी संपत्तियां गिफ्ट करते वक्त उन्हें बाकायदा ट्रांसफर करना और दूसरे को सौंपना होता है। ऐसे मामलों में रजिस्टर या अकाउंट बुक में एंट्री से ही काम नहीं चलता।
अगर संबंधी को गिफ्ट डीड के जरिए जूलरी का ट्रांसफर दर्ज नहीं किया गया है , तब भी स्टांप ड्यूटी देनी होगी। स्टांप ड्यूटी की दरें हर राज्य में अलग-अलग हैं। मुंबई में आपको स्टांप ड्यूटी के रूप में जूलरी की मार्केट वैल्यू का 2 फीसदी देना होता है , अगर यह किसी ऐसे शख्स को ट्रांसफर की गई है जो नजदीकी रिश्तेदार है। जूलरी किसी थर्ड पार्टी को ट्रांसफर करनी है , तो स्टांप ड्यूटी के रूप में उसकी मार्केट वैल्यू का 3 फीसदी देना होता है।
- आपको रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया से होकर नहीं गुजरना होता। इसे फिजिकली ट्रांसफर किया जा सकता है , बाद में गिफ्ट डीड देनी होती है।
शेयर और सिक्युरिटी
शेयर ट्रांसफर करने की प्रक्रिया थोड़ी अलग है। इसके लिए शेयर ट्रांसफर फॉर्म को कंपनी या रजिस्ट्रार और कंपनी के ट्रांसफर एजेंट के पास पेश करना होता है। रजिस्ट्रेशन एक्ट , 1908 के सेक्शन 18 के तहत भी शेयर ट्रांसफर से जुड़ी गिफ्ट डीड के रजिस्ट्रेशन को वैकल्पिक रखा गया है। स्टांप ड्यूटी के नियम भी अलग हैं। डीमैट फॉर्मैट में शेयर या सिक्युरिटीज़ गिफ्ट करते वक्त स्टांप ड्यूटी नहीं देनी होती। भारतीय स्टांप एक्ट , 1899 के तहत फिजिकल फॉर्म में जितने शेयर ट्रांसफर हुए हैं , उन पर हर 100 रुपये पर 25 पैसे की स्टांप ड्यूटी लगेगी।
- शेयर ट्रांसफर फॉर्म कंपनी या रजिस्ट्रार और कंपनी के ट्रांसफर एजेंट के सामने पेश किया जाता है। भारतीय रजिस्ट्रेशन एक्ट , 1908 के तहत शेयरों के ट्रांसफर के लिए गिफ्ट डीड रजिस्टर कराना वैकल्पिक है।
टैक्स का रगड़ा
जब गिफ्ट देने वाला और लेने वाला , दोनों रिश्तेदारों हों तो उन पर टैक्स की देनदारी नहीं बनती। शादी के दौरान , पैरंट्स , ग्रैंड पैंरंट्स से मिले गिफ्ट और बहू को सास-ससुर , वसीयत या विरासत में तोहफों को भी टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है। अगर आपको संपत्ति से कोई आय या आमदनी होती है , तो उसे गिफ्ट के तौर पर नहीं लिया जा सकता है या उसे गिफ्ट से सीधा नहीं जोड़ा जा सकता। इसका मतलब है कि संपत्ति से होने वाली आय गिफ्ट नहीं है , वह आपकी आमदनी है।
दूसरी अहम बात यह है कि अगर कोई चीज आपको गिफ्ट के तौर पर मिल रही है और उस पर टैक्स देय नहीं है या नहीं बनता है , इसके बावजूद वह चीज आपका इनकम टैक्स का दायरा बढ़ा सकती है। मगर यह आपके वेल्थ के रूप में गिनी जाएगी। यह वेल्थ टैक्स एक्ट के तहत आपकी परिसंपत्ति , आय और वेल्थ का आधार बढ़ा सकता है।
- गिफ्ट देने वाला अगर आपका रिश्तेदार नहीं है , तो आप इनकम टैक्स छूट का फायदा नहीं उठा सकते।
अचल संपत्ति
ऐसी कोई भी संपत्ति जिसे एक जगह से दूसरे जगह तक न ले जाया सके इस श्रेणी में आती है। इनके लिए आमतौर पर कहा जाता है कि ये जमीन से जुड़ी होती हैं , जैसे घर या जमीन का कोई टुकड़ा।
चल संपत्ति
ऐसी संपत्तियां , जिन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाया सके इस श्रेणी में आती हैं। सिविल कानून के मुताबिक , निजी संपत्ति ही चल संपत्ति कहलाती है। जैसे टीवी , वीइकल और कंप्यूटर आदि। इकनॉमिक्स के टर्म में इस संपत्ति के लिए आमतौर पर चैटल शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। अगर आप अपनी संपत्ति को किसी को ट्रांसफर करना चाहते हैं , तो इसमें कार्रवाई ट्रांसफर ऑफ प्रापर्टी एक्ट-1882 के तहत होगी।
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