Tuesday, August 30, 2011

मकान खरीदते वक्त अतिरिक्त खर्चों पर रखें ध्यान- Navbharat Times

मकान खरीदते वक्त अतिरिक्त खर्चों पर रखें ध्यान- Navbharat Times:

अमित पुरव (40 साल) और उनकी पत्नी नेहा सोच रहे थे कि उन्होंने इतना पैसा बचा लिया है जिससे मुंबई में एक प्रॉजेक्ट में मकान खरीदा जा सकता है। आनंद के मुताबिक , ' उस वक्त बाजार भाव लगभग 4,000 रुपए प्रति वर्ग फुट था और हम 800 वर्ग फुट का मकान खरीदना चाहते थे। हमें लग रहा था कि इस घर का कुल बजट करीब 32 लाख रुपए बैठेगा। हमने यह भी सोचा कि रजिस्ट्रेशन और स्टैंप ड्यूटी की लागत दो लाख रुपए से ज्यादा नहीं बैठेगी। '

लेकिन आनंद और उनकी पत्नी को जबरदस्त झटका लगा। प्रॉपर्टी डिवेलपर ने उन्हें बताया कि घर की कुल कीमत उनके तय किए गए बजट से 40 से 50 फीसदी ज्यादा होगी। नेहा के मुताबिक , ' हमें घर पसंद था और हमने उसे तकरीबन चुन लिया था। उस वक्त डिवेलपर ने हमें दूसरे शुल्कों के बारे में बताया , जो हमें चुकाने थे। '

नेहा के मुताबिक , डिवेलपर ने कहा कि उन्हें करीब तीन लाख रुपए कार पार्किंग के लिए देने होंगे। इसके अलावा ,दो साल के लिए मेनटिनेंस चार्ज के अडवांस भुगतान जैसे दूसरे शुल्क भी चुकाने थे। दो साल के लिए मेनटिनेंस चार्ज 96,000 रुपए था। हेल्थ क्लब सदस्यता के लिए दो लाख रुपए का एकमुश्त भुगतान और बिजली मीटर और ग्रिल फिटिंग जैसे कामों के लिए 70,000 रुपए भी देने थे।

नेहा बताती हैं , ' हमें आठवें फ्लोर के लिए 800 रुपए प्रति वर्ग फुट का और भुगतान करना था क्योंकि नीचे वाली सारी यूनिट्स बिक चुकी थीं। जब स्टैंप ड्यूटी , रजिस्ट्रेशन और ब्रोकरेज चार्ज को भी खर्च में शामिल किया गया तो हमारे लिए घर करीब 15 से 16 लाख रुपए और महंगा पड़ रहा था। यह हमारे बजट से बाहर था , ऐसे में हमें अगले कुछ वक्त के लिए अपनी योजना टालनी पड़ी। '

अतिरिक्त खर्च के लिए रखें रकम
घर खरीदने की इच्छा रखने वालों को इसकी मूल कीमत के साथ अतिरिक्त खर्चों की व्यवस्था भी रखनी चाहिए। मसलन , स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क। अकेले इन दोनों से प्रॉपर्टी की कीमत करीब पांच से 12.5 फीसदी तक ऊपर चली जाती है। ये शुल्क राज्यों के हिसाब से अलग-अलग हैं।

साथ ही , अगर कोई शख्स ब्रोकर के जरिए मकान तलाश कर रहा है तो उसे प्रॉपर्टी की वैल्यू के दो फीसदी की दर से ब्रोकरेज शुल्क भी देना पड़ता है। इन अनिवार्य शुल्कों के अलावा कुछ डिवेलपर आपसे दी जा रही सुविधाओं के हिसाब से अतिरिक्त शुल्क भी मांग सकते हैं। जोन्स लैंग लसाल इंडिया के सीओओ (रेजिडेंशल सर्विसेज) मुहम्मद असलम कहते हैं कि यह मानकर चलना चाहिए कि प्रॉपर्टी की वैल्यू की कम से कम 10 फीसदी के बराबर रकम की जरूरत आपको अतिरिक्त खर्चों के लिए पड़ेगी। असलम के मुताबिक , ' खरीदे जा रहे घर पर स्टैंडर्ड अतिरिक्त खर्च स्टैंप ड्यूटी , रजिस्ट्रेशन और इलेक्ट्रिक मीटर शुल्क होते हैं। अगर कोई सोसायटी नहीं बनाई गई है , तो अमूमन दो साल के लिए मेनटिनेंस चार्ज अडवांस में चुकाना पड़ता है। '

असलम के मुताबिक , इसके अलावा भविष्य में मरम्मत के कामों के लिए भी पहले से ही फंड की मांग की जा सकती है। असलम के मुताबिक , ' अगर प्रॉजेक्ट में क्लबहाउस है तो उसका सदस्यता शुल्क भी लगेगा। '

कोहिनूर सिटी प्रॉजेक्ट के हेड अतुल मोदक कहते हैं कि कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत करने से पहले खरीदारों को सभी दरों और शुल्कों के बारे में पूरा ब्योरा मिलना चाहिए। वह कहते हैं , ' कई बार ग्राहक बुकिंग यह मानते हुए करवा सकते हैं कि उन्हें केवल अनिवार्य दर का ही भुगतान करना है। डिवेलपर उन्हें कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत होने के बाद इन शुल्कों के बारे में जानकारी दे सकता है। उस वक्त कॉन्ट्रैक्ट से पीछे हटना काफी मुश्किल हो जाता है। '

मोदक कहते हैं कि प्रॉपर्टी की मूल कीमत के साथ कई और शुल्क भी जुड़े हो सकते हैं। कई डिवेलपर तीन लाख रुपए से लेकर पांच लाख रुपए तक जिम या क्लब मेंबरशिप के तौर पर चार्ज करते हैं। मोदक के मुताबिक , 'अगर डिवेलपर ने प्रॉजेक्ट की ओर जाने वाली सड़क बनाने जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर पर कुछ पैसा खर्च किया है तो वह दो लाख से चार लाख रुपए तक इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट फीस इस शुल्क को रिकवर करने के लिए ले सकता है। '

मुंबई जैसे शहरों में कई बार डिवेलपर फ्लोर राइज चार्ज के नाम पर भी अतिरिक्त शुल्क ले सकता है। वह कहते हैं , ' जैसे-जैसे फ्लोर्स की संख्या बढ़ती है , फ्लोर राइज चार्ज 25 रुपए प्रति वर्ग फुट से 100 रुपए प्रति वर्ग फुट हो सकता है। ऐसे में अगर कोई ग्राहक 11वें फ्लोर पर फ्लैट लेना चाहता है तो उसे करीब 1000 रुपए प्रति वर्ग फुट अतिरिक्त चुकाना पड़ सकता है। '

कुछ डिवेलपर ओपन कार पार्किंग जैसी सुविधाओं के लिए भी दो लाख रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक शुल्क ले सकते हैं। अगर आपके ऐग्रिमेंट में खर्च नहीं बढ़ने का कोई नियम है तो डिवेलपर कुछ सुविधाओं की कीमत में बढ़ोतरी के जरिए लागत निकालने की कोशिश कर सकता है।

ऐग्रिमेंट में रेट क्लॉज रखें
इंडियाप्रॉपटी डॉट कॉम के वाइस प्रेजिडेंट गणेश वासुदेवन कहते हैं कि यह बेहद जरूरी है कि आप ऐग्रिमेंट में हमेशा कीमत में बढ़ोतरी का नियम रखें। वासुदेवन के मुताबिक , ' मिसाल के तौर पर , एक व्यक्ति ने अंडरकंस्ट्रक्शन प्रॉजेक्ट में घर बुक कराया है और डिवेलपर ने उसे तीन साल के भीतर घर देने का वायदा किया है। अगर कंस्ट्रक्शन की लागत तब तक 20 फीसदी या 30 फीसदी बढ़ जाती है तो डिवेलपर अप्रत्यक्ष रूप से इस रकम को ग्राहक से वसूलने की कोशिश कर सकता है और इसके लिए वह कुछ सेवाओं पर शुल्क लगा सकता है। '

वासुदेवन के मुताबिक , अगर किसी ग्राहक के सामने ऐग्रिमेंट पर दस्तखत करते वक्त सभी खर्चों को लेकर स्पष्टता है , तो काफी दिक्कतों से बचा जा सकता है। वह कहते हैं , ' ग्राहक को यह चीज सुनिश्चित करनी चाहिए कि उसे ऐग्रिमेंट में लिखे गए सभी खर्चों की पूरी जानकारी है। नहीं तो कब्जा लेते वक्त डिवेलपर अचानक कुछ खर्चों की मांग कर सकते हैं और ग्राहक के पास इस अतिरिक्त खर्च को देने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता है। '

ग्राहक को इस बात पर भी नजर डालनी चाहिए कि ऐग्रिमेंट में डिलिवरी का वक्त और देरी होने की दशा में जुर्माने का प्रावधान है या नहीं। अगर कोई शख्स बैंक से लोन ले रहा है , तो लोन की रकम के अलावा उसे लोन की रकम का 0.5 फीसदी अतिरिक्त पैसा प्रोसेसिंग फीस के तौर पर भी देना पड़ सकता है। इसमें प्रॉपर्टी की सर्च और वैल्यूएशन चार्ज जैसे अतिरिक्त शुल्क भी हो सकते हैं। इससे भी घर का बजट कुछ हजार रुपए बढ़ सकता है। अगर आपके पास पर्याप्त सिक्युरिटी नहीं है तो बैंक आप पर उसके निवेश को सुरक्षित करने के लिए कोई बीमा उत्पाद खरीदने के लिए भी दबाव डाल सकता है। कुलमिलाकर घर खरीदने के पहले ग्राहकों को इन सब खर्चों के बारे में अच्छी तरह से जानकारी कर लेनी चाहिए और इनके लिए पूंजी की व्यवस्था कर लेनी चाहिए।

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