ईएमआई बढ़वाएं, समय सीमा नहीं- Navbharat Times:
अगर आपने होम लोन लिया है, तो ब्याज दरों के बढ़ने के बावजूद ईएमआई बढ़वाने में ही समझदारी है। पॉकेट पर भार तो पड़ेगा, लेकिन अगर आप इसके नफा-नुकसान पर गौर करेंगे तो कतई ईएमआई की जगह होम लोन की समय सीमा नहीं बढ़वाना चाहेंगे।
मान लीजिए आपने 50 लाख रुपये का लोन लिया है और ब्याज दर नौ फीसदी या इसके असपास थी और लोन (ईएमआई) पे करने के लिए आपकी ऑरिजनल समय सीमा 20 साल की है। इस स्थिति में ईएमआई 44,985 रुपये बनती है। और, ब्याज दर मान लीजिए साढ़े दस फीसदी हो, तो ईएमआई बढ़ कर 49, 919 रुपये की हो जाएगी, अगर आप समय सीमा 20 साल ही रखते हैं। यहां आपके पॉकेट पर भार तो बढ़ा है, लेकिन आप अनुमान नहीं कर सकते कि समय सीमा न बढ़वा कर आपने कितनी बचत की है।
अगर आपकी ईएमआई 44, 985 रुपये ही रहती, तो आपको बढ़ी हुई ब्याज दरों पर इस लोन को चुकाने में करीब 34 साल लग जाते। यानी आप को कुल 413 किस्तें पे करनी पड़तीं। और, साढ़े 34 साल यानी करीब-करीब रिटायरमेंट तक आप किस्त ही भरते रहते। वहीं अगर आप ईएमआई बढ़वा देते हैं तो न सिर्फ आपकी किस्त 20 साल में खत्म हो जाती है बल्कि आप लाखों-लाख की बचत कर लेते हैं। 20 साल की अवधि में आप 50 लाख रुपये के लोन पर कुल 58 लाख रुपये ही पे करते, लेकिन जैसे ही आप ईएमआई को न बढ़ा कर समय सीमा बढ़ाने का फैसला करते हैं, लोन खत्म होने तक आपके द्वारा पे की गई राशि दुगने से ज्यादा बढ़ जाती है। यानी ईएमआई न बढ़ाने की स्थिति में समय सीमा बढ़ कर साढ़े चौंतीस साल हो जाएगी और आपको 50 लाख के लोन पर कुल एक करोड़ से भी ज्यादा की रकम पे करनी होगी।
सरकार ने होम लोन लेने वालों को राहत देने के लिए पब्लिक सेक्टर बैंकों से कह तो दिया है, वे ईएमआई न बढ़ा कर समय सीमा बढ़ाने की सोचें। लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा तो यही है कि इससे आपकी जिंदगी किस्त भरते-भरते गुजर जाएगी। दूसरी बात यह भी है कि फिलहाल ज्यादातर बैंक होम लोन अधिकतम 20-25 साल के लिए ही देते हैं। बैंकों में अभी इतना लंबा ऑप्शन ही नहीं है। हां, ईएमआई न बढ़ाने का ऑप्शन वे ऑप्ट कर सकते हैं, जिनके पास संसाधन सीमित हों या जिनकी किस्तें फिलहाल 10 से 15 साल के लिए हैं।
अगर आपका लोन या ईएमआई अमाउंट ज्यादा नहीं है , तो ईएमआई बढ़वाने में ही फायदा है। इससे आप नसिर्फ लोन जल्दी चुकता कर देंगे , बल्कि भविष्य में होने नुकसान से भी बच सकेंगे। या रहे , लोन पे करने कीअवधि जितनी लंबी होगी , आपको ब्याज उतना ही ज्यादा भरना होगा।
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