Friday, December 16, 2011

ताकि न टूटे आपका आशियाने का सपना - Navbharat Times

ताकि न टूटे आपका आशियाने का सपना - Navbharat Times:

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हाल में उत्तम नगर में एक बिल्डिंग गिरने से कई लोगों की मौत हो गई। घटना के तीन बाद वेस्ट दिल्ली के ही किरण गार्डन में भी एक निर्माणाधीन मकान की तीसरी मंजिल पर छत का एक हिस्सा भरभराकर गिर गया। दरअसल , जगह की कमी और कम पैसे में ज्यादा स्पेस की चाह में लोग सावधानी बरतना तो दूर , इमारत बनाने के नियमों तक का ख्याल नहीं रखते। कंस्ट्रक्शन आपके यहां हो रहा हो या आपके पड़ोसी के यहां , अगर कुछ सावधानियां रखी जाएं , तो ऐसी दर्दनाक घटनाओं से बचा जा सकता है। एक्सपर्ट्स से बात करके पूरी जानकारी दे रहे हैं निर्भय कुमार :

किसी भी मकान को बनाते वक्त नियमों का ध्यान रखा जाना जरूरी है। बेसमेंट बनाते वक्त यह और भी जरूरी हैं , क्योंकि इस दौरान अगर मकान बनाने के नियमों का ध्यान रखा जाए तो बेसमेंट के निर्माण में कोई नुकसान नहीं है , बल्कि हमें नेचरल अंडर स्पेस मिल जाता है। सिविल ( स्ट्रक्चरल ) इंजिनियर्स के मुताबिक , बेसमेंट बनाने से पहले इसकी प्रॉपर प्लैनिंग बहुत जरूरी है , वरना उत्तम नगर जैसे हादसों को रोका नहीं जा सकेगा। हाल में उत्तम नगर में बेसमेंट बनाते वक्त साथ का मकान ढह गया।

जानकारों का मानना है कि जिस तरह खुद इलाज करना गलत माना जाता है , उसी तरह सेल्फ डिजाइनिंग की आदत भी खतरनाक है। अक्सर हम खुद या किसी छोटे - मोटे बिल्डर या राजमिस्त्री की बातों में आ जाते हैं और उनकी सलाह को ही सही मान लेते हैं। यह खतरनाक हो सकता है। मकान में बेसमेंट बनाते समय जो सामान्य सावधानियां बरतने की जरूरत पड़ती है , वे हैं :

सही प्लैनिंग

हम जब भी किसी कंस्ट्रक्शन की सोचें ( खासकर बेसमेंट आदि की ) तो सबसे पहले हमें एक आर्किटेक्ट नियुक्त करें। लोग अक्सर आर्किटेक्ट से नक्शा लाकर काम शुरू करा देते हैं , जोकि गलत है। आर्किटेक्ट को साइट विजिट जरूर कराएं , ताकि वह सही स्थिति को समझ सके। जैसे आस - पड़ोस की इमारतें किस तरह बनी हैं , साथ वाली बिल्डिंग और आपके प्लॉट के बीच जगह है या नहीं आदि। इन बातों पर गौर नहीं करेंगे तो डिजाइनिंग संबंधी कमियां रह सकती हैं।

मौसम

सबसे पहले मौसम का ध्यान रखें। बेसमेंट बनाना शुरू करने के लिए सही सीजन तय करें। बरसात के मौसम में खुदाई हमेशा खतरनाक है , इसलिए इस दौरान गहरी खुदाई से बचना चाहिए। खासकर उन इलाकों में , जहां आसपास पहले से इमारतें बनी हों।

मिट्टी की जांच

किसी भी जगह कंस्ट्रक्शन शुरू करने से पहले मिट्टी की जांच बहुत जरूरी है। आप उस जगह की मिट्टी की जांच कराएं। इसके बाद ही आप किसी नतीजे पर पहुंच सकेंगे , मसलन मिट्टी सख्त है , नरम है या पथरीली है। मिट्टी नरम होने पर आपको ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है। वहीं , पथरीली मिट्टी होने से मिट्टी के खिसकने का खतरा कम होता है।

जांच से यह भी पता चलता है कि मिट्टी की बीयरिंग कैपेसिटी ( लोड लेने की क्षमता ) कितनी है यानी आप जो इमारत खड़ी करना चाह रहे हैं , वह वहां बनाई भी जा सकती है या नहीं ? आप मिट्टी की जांच से प्रति वर्ग सेंटीमीटर या प्रति वर्ग फुट के हिसाब से क्षमता का पता लगा सकते हैं। जांच से इलाके के वॉटर लेवल का भी पता चल जाता है , जोकि बेसमेंट के लिहाज से अहम फैक्टर है।

मिट्टी की क्षमता के आधार पर ही किसी इमारत में मंजिलों की संख्या तय की जाती है। देखा जाए तो डिजाइनिंग में मिट्टी की जांच का अहम रोल रहता है। मिट्टी की जांच कराने में 15-20 हजार रुपये का खर्च तो आता है , लेकिन आपका और आपके पड़ोसियों का भविष्य सुरक्षित हो जाता है। बाजार में किसी भी मान्यता प्राप्त एनवायरनमेंटल लैब से मिट्टी की जांच करा सकते हैं। ( देखें लिस्ट )

कैसे लें मिट्टी के नमूने

आप जब भी जांच के लिए मिट्टी के नमूने लें , तो ख्याल रखें कि मिट्टी गहराई से ली जाए। आमतौर पर लोग इस बात की अहमियत को नजरअंदाज कर देते हैं , लेकिन जांच के लिए मिट्टी जब भी ली जाए तो जिस गहराई तक खुदाई करनी हो , उससे भी कुछेक फुट नीचे तक की मिट्टी लें। इससे ऊपर से लेकर गहराई तक की मिट्टी के बारे में जानकारी मिल जाती है , जिससे बनने वाले घर और पहले से बने हुए आसपास के घरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में आसानी होती है।

साथ के मकान का ख्याल

अक्सर हादसे इस वजह से होते हैं कि हम आस - पड़ोस का ख्याल नहीं रखते। बेसमेंट के निर्माण में यह सबसे अहम बात है। हम अपनी पूरी जमीन में अगर बेसमेंट बनाते हैं और आसपास इमारतें हैं , तो यह दूसरों के लिए कब्र खोदने जैसा ही होगा। दिल्ली जैसे शहरों में हो भी यही रहा है। लोग 15320 वर्ग फुट के स्पेस में भी बेसमेंट बना लेते हैं , जोकि तकनीकी लिहाज से बिल्कुल गलत है। जब भी बेसमेंट बनाएं , अपनी जमीन में दोनों ओर पुराने निर्माणों को देखते हुए कम - से - कम 5 से 10 फुट जगह जरूर छोड़ें। हालांकि यह मुख्य रूप से मिट्टी की जांच रिपोर्ट और इस बात पर भी निर्भर है कि हम खुदाई कितनी करना चाहते हैं और साथ वाली इमारतें किस तरह बनी हुई हैं।

साथ में बने मकानों के बारे में जानकारी लेकर ही काम शुरू करना चाहिए। हमें यह अच्छी तरह मालूम होना चाहिए कि साथ वाले मकान की नींव कितनी गहरी है , उसमें बेसमेंट है या नहीं। अगर साथ वाले घर में बेसमेंट हो तो ऐसे में खुदाई उसके बेसमेंट के लेवल से नीचे जाते ही खतरा शुरू हो जाता है। मिट्टी खिसकने की संभावना ज्यादा रहती है। पड़ोसी के घर की नींव अगर गहरी हो , तो उससे कम खुदाई में उतना खतरा नहीं रहता। फिर भी हर काम फिजिकल वैरिफिकेशन के हिसाब से किया जाना चाहिए।

खुदाई के दौरान सुरक्षा

बेसमेंट के लिए खुदाई के मामले में दुर्घटनाओं को रोकने के लिए मिट्टी को सरकने से बचाना जरूरी हो जाता है। इसके कई तरीके हैं। आमतौर पर दीवार खड़ी कर मिट्टी को रोकने का तरीका अपनाया जाता है , लेकिन गहरी खुदाई के मामलों में इसे ज्यादा सेफ नहीं माना जा सकता है। जानकार गहरी खुदाई के मामले में कोई और ऑप्शन न होने पर मिट्टी को सरकने से रोकने के लिए पायलिंग किए जाने की सलाह देते हैं। पायलिंग जमीन में बोरिंग की तरह बोर करने की प्रक्रिया है। उस बोर में आरसीसी ( कंक्रीट ) भर दिया जाता है। मान लीजिए हमें 30330 वर्ग फुट के एरिया में बेसमेंट बनाना हो , तो ऐसे में हम एक से दो फुट की दूरी पर पाइलिंग कर मिट्टी को रोक सकते हैं। लोग पाइलिंग से बचते हैं क्योंकि यह खर्चीली प्रकिया है। 30330 वर्ग फुट के एरिया में ही पाइलिंग की कीमत डेढ़ - दो लाख रुपये बैठ सकती है।

अगर पाइलिंग न करना चाहें तो एम . एस . गार्डर का इस्तेमाल कर मिट्टी को रोक सकते हैं। इसमें खर्च थोड़ा कम आता है। पाइलिंग हमेशा हमें जितनी खुदाई करनी हो , उससे दुगनी गहराई तक की जानी चाहिए। यहां साथ वाले मकानों को देखना भी जरूरी है। अगर साथ वाले मकान में बेसमेंट हो और वह आपके घर में बनने वाले बेसमेंट से ज्यादा गहरा हो , उस बेसमेंट के हिसाब से पाइलिंग की जानी चाहिए यानी उस बेसमेंट की गहराई से दुगनी गहराई तक पाइलिंग करनी होगी।

यहां से करा सकते हैं मिट्टी की जांच

सॉयल एंड लैंड यूज सर्वे ऑफ इंडिया , आईएआरआई बिल्डिंग , पूसा रोड , दिल्ली।
फोन - 011-2584-1263

ग्राउंड इंजिनियरिंग लिमिटेडग्रीन पार्क , दिल्ली
फोन - 011-2685-2657

एटमाई एनालिटिकल लैब्सडीएलएफ इंडस्ट्रियल एरिया , फरीदाबाद
फोन - 0129-645-3754

इंडियन इंजिनियरिंग कंपनी , आम्बेडकर नगर , दिल्ली
फोन - 011-2770-0283

सिग्मा टेस्ट ऐंड रिसर्च सेंटर , मंगोलपुरी इंडस्ट्रियल एरिया , दिल्ली
फोन - 011-6643-3693

इंडियन जियोटेक्निकल सर्विस , मालवीय नगर , दिल्ली
फोन - 011-2667-7711

मैग्मा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा . लि ., सविता विहार , दिल्ली
फोन - 011-2214-5500

राव इंजिनियरिंग एंटरप्राइजेज , मोतीबाग , दिल्ली
फोन - 011-2369-8806

सिस्कॉन इंजिनियरिंग प्रा . लि ., नोएडा , सेक्टर -31
फोन - 98105-78288

जीमैट सॉयल ऐंड मटीरियल टेस्टिंग , वेस्ट पंजाबी बाग , दिल्ली
फोन - 011-4507-4313

... गर बन रहा हो बगल में मकान

- जब भी पता लगे कि पड़ोस में मकान बनाया जा रहा है , तो सबसे पहले संबंधित प्लॉट के मालिक , उसके ठेकेदार और चौकीदार से मीटिंग करें। उनसे जानकारी लें कि वे क्या करने जा रहे हैं। यानी बेसमेंट बनाएंगे तो उसकी लंबाई - चौड़ाई और गहराई कितनी होगी ?

- इस जानकारी को आप अपने मकान के हिसाब से देखें। अगर खुद समझ न आए तो किसी अच्छे सिविल इंजिनियर या आर्किटेक्ट को सारी डिटेल्स बताकर और अपना नक्शा दिखाकर सलाह लें कि पड़ोसी ने जो प्लैनिंग की है , उससे आपको किसी तरह का नुकसान तो नहीं होगा ?

- अगर आपको पड़ोसी की प्लैनिंग में कुछ आपत्तिजनक लगे तो आप उससे नक्शे की मांग कर सकते हैं। अगर वह नक्शा दिखाने से इनकार करता है , तो आप इसके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं।

- जब आपको लगे कि उसकी खुदाई आपकी नींव तक या उससे नीचे जा रही है और इस वजह से घर में किसी तरह का झुकाव या दरार पैदा की आशंका हो , तो आप फौरन इसकी शिकायत पुलिस , एमसीडी या दूसरे संबंधित विभाग ( डीडीए , एलऐंडडीओ आदि ) से करें।

- आप पड़ोस में होने वाले निर्माण पर अच्छी तरह नजर रखें। कहीं उसने आपको गलत जानकारी तो नहीं दी ? यानी बताया कुछ , और कर रहा है कुछ।

- अगर पुलिस या संबंधित विभाग कार्रवाई न करें तो आप सीधे कोर्ट में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यह शिकायत सीआरपीसी के सेक्शन 156 (3) के तहत दर्ज होगी।

- कोर्ट पुलिस को आपकी शिकायत दर्ज करने का निर्देश देगा या खुद शिकायत दर्ज करेगा यानी कोर्ट पहुंचने पर कार्रवाई को लेकर आप आश्वस्त हो सकते हैं।

- अगर पुलिस आपकी शिकायत पर एफआईआर दर्ज न करे , तो आप एक सामान्य शिकायत दर्ज कराकर उसकी रिसीविंग लेने की जरूर लें। भविष्य में अगर किसी तरह का कोई नुकसान होता है तो उस शिकायत के आधार पर आप अपना पक्ष मजबूती से रख सकेंगे।

यह भी जरूरी

- पड़ोस में जब कभी मकान बनाया जा रहा हो , तो सिर्फ घर के ढहने संबंधी समस्या की ही आशंका नहीं रहती , बल्कि आपके घर में कई दूसरी तरह की समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। इसके लिए भी उपाय करने की जरूरत होती है। आप सबसे पहले अपनी दीवार सुरक्षित करने की कोशिश करें। अगर मुमकिन हो तो जिस ओर निर्माण हो रहा हो , उस ओर की दीवार पर बाहर से प्लास्टर चढ़वा लें।

- अगर यह मुमकिन न हो ( पड़ोसी अपनी जमीन का इस्तेमाल न करने दे ) तो नया निर्माण करा रहे शख्स से तिरपाल या दोनों दीवारों के बीच सीलन को रोकने के लिए सीमेंट के साथ सीलन रोकने वाले केमिकल का इस्तेमाल करने को कहें। इससे बाद में पैदा होने वाली सीलन को रोकने में मदद मिलती है। अगर आप निर्माण के समय इस बात का ध्यान नहीं रखेंगे तो बाद में दीवारों के भीतर ही भीतर कमजोर होते रहने का खतरा बना रहेगा।

- अगर पड़ोसी ने गहरी खुदाई कराई हो और बारिश का मौसम हो , तो ध्यान रखें कि गड्ढे में लंबे समय तक पानी भरे रहने से भी आपके घर को नुकसान हो सकता है।

जब वक्त - बेवक्त हो काम

आपके आस - पड़ोस में अगर वक्त - बेवक्त काम हो रहा हो और आपको लगता है कि उससे आपकी व्यक्तिगत या इलाके की शांति किसी भी तरह से भंग हुई है तो पब्लिक न्यूसेंस के तहत इसकी शिकायत पुलिस से कर सकते हैं।

अगर आपका पड़ोसी मकान बना रहा हो तो आप खुद भी अपने मकान की सुरक्षा सुनिश्चित करने की कोशिश करें। ऐसे में आप नीचे लिखी बातों का ध्यान रखें :

मजबूती के लिए

मकान की मजबूती कई चीजों पर निर्भर है। इनमें सबसे अहम है , उसकी डिजाइनिंग। लिहाजा जब भी घर या कोई दूसरी इमारत बनवाएं , आर्किटेक्ट और स्ट्रक्चरल इंजिनियर की सेवा लें। डिजाइनिंग भी कई चीजों पर निर्भर करती है , इसमें मिट्टी से लेकर भूकंपीय झटके , हवा का दबाव और बनने वाली बिल्डिंग में रहने वालों की संख्या जैसी बातों का ध्यान रखा जाता है। कुछ आम बातें है , जिनका ध्यान रखकर घर को मजबूत बनाया जा सकता है। किसी कंस्ट्रक्शन में इंडियन स्टैंडर्ड कोड का ख्याल रखें तो निर्माण मजबूत होगा। छोटे - मोटे ठेकेदारों को चूंकि इस बारे में जानकारी नहीं होती , इसलिए वे लोड कैलकुलेशन ठीक तरह नहीं कर पाते।

नींव का ध्यान

मकान बनवाते वक्त नींव की गहराई का खास ख्याल रखना चाहिए। जितनी ऊंची इमारत बनानी हो , नींव उसकी एक - तिहाई होनी चाहिए। इतनी गहरी नींव मुमकिन न हो , तो ऊंचाई के एक चौथाई तो नींव होनी ही चाहिए। इसमें सबसे जरूरी है नीचे सख्त मिट्टी ( हार्ड स्ट्राटा ) तक पहुंचना। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि अगर हम एक बांस गाड़ते हैं और उसे जिस मिट्टी में गाड़ा गया हो , वह हल्की हो , तो उसे उखाड़ना या टेढ़ा करना आसान होता है। लेकिन जब उसी बांस को सख्त मिट्टी में गाड़ते हैं , तो मजबूती बढ़ जाती है।

चाहिए दमदार कॉलम

जब हम लोड की बात करते हैं तो कॉलम और लिंटर की ढलाई की काफी अहमियत है। घर अगर आयताकार बनाया जा रहा हो तो ज्यादा मजबूती के लिए कॉलम भी आयताकार होना चाहिए और घर वर्गाकार हो , तो कॉलम भी वर्गाकार होना चाहिए। तभी ऊपर के भार से पैदा होने वाले तनाव और दबाव को कॉलम सही तरीके से झेल सकते हैं। कभी भी कॉलम 939 ( लंबाई - चौड़ाई ) इंच से कम का नहीं डालें। यह कम - से - कम है। घर के टोटल लोड और मंजिलों के हिसाब से इससे भी मजबूत कॉलम की जरूरत पड़ती है।

मान लीजिए आप 50320 वर्ग फुट के प्लॉट पर घर बनवा रहे हैं और उसे दो या तीन फ्लोर तक ले जाना है , तो एक बार पिलिंथ लेवल ( नींव भरने के बाद जमीन का लेवल ) पर और हर बार लिंटर की ढलाई के लेवल पर सारे कॉलम्स को बीम के जरिए जोड़ना जरूरी है। मजबूती इसी से आती है। ढलाई के लेवल पर जब कॉलम्स को जोड़ा जाए तो बीम की ऊंचाई छत की ढलाई से दोगुनी हो। अगर आपको ग्राउंड फ्लोर के ऊपर और भी मंजिलें बनानी हों तो लिंटर की मोटाई कम - से - कम 6 इंच होनी चाहिए और अगर ऊपर लोड न देना हो , तो कम - से - कम 4 इंच तो होनी ही चाहिए। कॉलम में मेन बार ( सरिया ) 20 एमएम और डिस्ट्रिब्यूशन बार 16 एमएम का इस्तेमाल करना चाहिए। इसी तरह लिंटर की ढलाई में भी मजबूती के लिए डबल जाल बनाया जाना चाहिए। अगर लिंटर की मोटाई 6 इंच मानें तो सरिये के जाल के ऊपर - नीचे एक - एक इंच जगह जाल को ठीक तरह कवर करने के लिए छोड़ी जानी चाहिए।

एक्सपर्ट्स पैनल

एम . डी . विष्णु मिश्रा , सिविल इंजीनियर , जेएम हाउसिंग
राज श्रीवास्तव , एमडी , सवेरा इन्फ्राकॉन
हर्षवर्धन , एमडी , हेरिटेज कॉन्ट्रैक्ट प्रा . लि .

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