Tuesday, April 10, 2012

धर्म स्थलों वाले शहरों में प्रॉपर्टी की भक्ति - Navbharat Times

धर्म स्थलों वाले शहरों में प्रॉपर्टी की भक्ति - Navbharat Times:
अमित शानबाग 
घरेलू तीर्थस्थलों में आनेवाले श्रद्धालुओं की तादाद दिनोंदिन बढ़ रही है। ऐसे में देशभर के पवित्र शहरों में प्रॉपर्टी खरीदने की होड़ सी मची है, लेकिन क्या ऐसी लोकेशंस बढ़िया इनवेस्टमेंट साबित हो सकती हैं? 


जब अनुजा वागले और उनके परिवार सदस्यों ने दस साल पहले मुंबई के पश्चिमी उपनगरीय इलाके में नया मकान खरीदा, तब उन्हें इस बात का कतई अंदाजा नहीं था कि वह ऐसे मंदिर से सटे मकान में शिफ्ट कर रहे हैं, जिसकी मान्यता काफी ज्यादा है। अनुजा ने कहा, 'हमने यहां मकान इसलिए खरीदा था कि उस समय प्रॉपर्टी के दाम काफी कम थे और कीमत हमारे बजट के मुताबिक थी। हम खुशकिस्मत रहे कि ऐसा मकान मिला, जिसकी दीवार मंदिर से लगी है।' 


जैसे-जैसे यह उपनगरीय इलाका डिवेलप हुआ और यहां दुकानें बनने लगीं, तब हाउसिंग डिमांड में भी इजाफा होने लगा। जाहिर है, ज्यादातर डिमांड मंदिर के आसपास की प्रॉपर्टी की थी। वागले ने कहा, 'बीते कुछ साल में मंदिर की प्रसिद्धि भी काफी बढ़ गई। यही वजह है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान इस इलाके में प्रॉपर्टी के दाम ज्यादा बढ़े हैं।' 


तो क्या इसका यह मतलब है कि आपको किसी भी पूजास्थल के आसपास मकान खरीदना चाहिए, जहां कीमतों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी होने की संभावना ज्यादा होती है? क्या आपको इस तरह की प्रॉपर्टी से बढ़िया रेंटल कमाई होगी? कुछ इलाकों के मामले में यह बात सही साबित हो सकती है, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता। धार्मिक स्थल बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने और ज्यादा कमाई और रेंटल मिलने की गारंटी तो देते हैं, लेकिन रियल्टी एक्सर्पट्स का मानना है कि ऐसे इलाकों में प्रॉपर्टी खरीदते वक्त सावधानी बरतना काफी जरूरी है। 


जोंस लैंग लसाले मेघराज इंडिया के सीईओ-रेजिडेंशल सर्विसेज ओम आहूजा कहते हैं कि धार्मिक स्थल के आसपास की प्रॉपर्टी की कीमत में तेज उछाल आएगा, यह जरूरी नहीं है। अगर प्रॉपर्टी में लोकल लेवल पर रोजगार सृजन जैसे इकनॉमिक मार्केट फैक्टर नहीं है, जिससे रेजिडेंशल डिमांड पैदा होती है, तो ऐसे इनवेस्टमेंट का भविष्य सिर्फ धार्मिक भावनाओं पर निर्भर करता है। अगर आप प्रॉपर्टी सिर्फ इनवेस्टमेंट के रूप में खरीद रहे हैं, तो आपको सबसे पहले रहने के लिए मकान खरीदना चाहिए। आहूजा ने कहा, 'धार्मिक स्थल पर प्रॉपर्टी खरीदते वक्त आपको शोर-शराबे और भीड़भाड़ का ख्याल रखना चाहिए, जिनसे रेंटल इनकम और रीसेल वैल्यू में गिरावट भी आ सकती है।' 


इसके अलावा इन इलाकों में प्रॉपर्टी की कीमतों में बढ़ोतरी मेट्रो की तुलना में कम होती है। मसलन, मदुरै श्रद्धालुओं को खींचने वाला प्रमुख शहर तो है, यह तमिलनाडु में सबसे ज्यादा कमर्शल रियल एस्टेट ग्रोथ रेट वाली सिटी भी है। यहां हाउसिंग यूनिट की डिमांड ज्यादा है, लेकिन इसका मुख्य आधार धार्मिक गतिविधियां नहीं, बल्कि मदुरै में बड़े पैमाने पर चल रही आईटी/आईटीईएस गतिविधियां हैं। उनके स्टाफ के रहने के लिए जगह की मांग होने की वजह से वहां हाउसिंग की काफी डिमांड है। 


तिरुपति (मुख्य आकर्षण) 
तिरुमाला में श्री वेंकटेश्वर मंदिर 
नजदीकी शहर चेन्नै (130 किलोमीटर)- प्रॉपर्टी की औसत कीमत 2,500-3,500 रुपए प्रति वर्ग फुट 


गुरुवयूर 
श्री कृष्णा या गुरुवयूरप्पन मंदिर 
त्रिशूर (29 किलोमीटर) और कोच्चि (75 किलोमीटर) 
3,300-4,100 रुपए प्रति वर्ग फुट 


हरिद्वार और ऋषिकेश 
हिमालय की तराई में बसे ये शहर चार धाम के गेटवे की तरह हैं। चार धामों बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री शामिल हैं। 
देहरादून (52 किलोमीटर) और दिल्ली (225 किलोमीटर) 
हरिद्वार में 2,400-3,500 रुपए प्रति वर्ग फुट और ऋषिकेश में 3,500 रुपए प्रति वर्ग फुट 


वृंदावन, मथुरा 
यह शहर भगवान कृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है 
मथुरा (15 किलोमीटर), आगरा (58 किलोमीटर) और दिल्ली (145 किलोमीटर) 


पुरी 
जगन्नाथ मंदिर और रथ यात्रा। पुरी उड़ीसा टूरिज्म के गोल्डन ट्राइएंगल का हिस्सा है। दूसरे शहर भुवनेश्वर और कोणार्क हैं। 
भुवनेश्वर (60 किलोमीटर) 
3,165-3,500 रुपए प्रति वर्ग फुट 

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