Tuesday, March 1, 2011

प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में चाहिए नॉन जुडिशल स्टैंप पेपर-प्रॉपर्टी-बिज़नस-Navbharat Times

प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में चाहिए नॉन जुडिशल स्टैंप पेपर-प्रॉपर्टी-बिज़नस-Navbharat Times



स्टैंप ड्यूटी : राज्य का मामला
' इंडियन स्टैंप ऐक्ट 1899' के अनुसार , कुछ खास डॉक्युमेंट्स पर स्टैंप ड्यूटी देना जरूरी होता है। फाइनैंशल इयर में जो स्टैंप ड्यूटी कलेक्ट होती है , वह संबंधित राज्य को दी जाती है। स्टैंप ड्यूटी से से इकट्ठा होने वाला रेवेन्यू भी उसी राज्य को दिया जाता है , इसलिए यह नियम बना दिया गया है कि एक राज्य में खरीदा गया स्टैंप पेपर सिर्फ उसी राज्य के लिए इस्तेमाल होगा।

इस ऐक्ट का मूल उद्देश्य है , सरकार के लिए रेवेन्यू बढ़ाना। स्टैंप ड्यूटी की दर हर राज्य में अलग होती है। कई राज्यों में यह इलाकों के आधार पर पूर्व निर्धारित होती है , तो कहीं स्टैंप ड्यूटी प्रॉपर्टी की माकेर्ट वैल्यू के हिसाब से दी जाती है , जो स्टैंप ऑफिस तय करता है। अलग-अलग राज्यों में ली जाने वाली स्टैंप ड्यूटी की गणना स्टैंप ड्यूटी कैलकुलेटर से की जाती है। संसद में स्टैंप ड्यूटी से संबंधित कोई भी नियम तय किया जा सकता है। यहां तक कि स्टैंप ड्यूटी के रेट्स भी वहां तय किए जा सकते हैं। एक्सचेंज बिल , चेक , शेयर ट्रांसफर आदि के लिए स्टैंप ड्यूटी का निर्धारण संसद में किया गया है , तो वे पूरे देश में लागू होंगे। बाकी सभी साधारण कागजातों पर स्टैंप ड्यूटी तय करने का अधिकार राज्य सरकारों के पास है। राज्य सरकार द्वारा तय किए गए रेट सिर्फ उसी राज्य में लागू होंगे , किसी दूसरे राज्य में नहीं।

कितने स्टैंप पेपर
स्टैंप पेपर दो तरह के होते हैं , जुडिशल और नॉन जुडिशल। जैसा कि नाम से ही जाहिर है , जुडिशल स्टैंप पेपर्स का इस्तेमाल लीगल और कोर्ट के काम में किया जाता है , जबकि नॉन जुडिशल स्टैंप पेपर्स कॉन्ट्रैक्ट , अग्रीमेंट , डॉक्युमेंट्स के रजिस्ट्रेशन आदि के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।

किस पर लगेगी ड्यूटी
' इंस्ट्रूमेंट ' में वे सारे दस्तावेज शामिल होते हैं , जिनके जरिए कोई भी अधिकार या जिम्मेदारी पैदा की जाती है , ट्रांसफर, कम , ज्यादा या रिकॉर्ड की जाती है। कानूनी शब्दों में कहें , तो इंडियन स्टैंप ऐक्ट के शेड्यूल 1 में बताए गए इस्ट्रूमेंट्स पर ड्यूटी चार्ज की जा सकती है। इनमें एफिडेविट , लीज , मेमोरंडम और आर्टिकल्स ऑफ कंपनी , बिल ऑफ एक्सचेंज बॉन्ड , मॉर्गेज , कनवेयंस , रिसीप्ट , डिबेंचर , शेयर , इंश्योरेंस , पॉलिसी , पार्टनरशिप डीड , प्रॉक्सी , शेयर वगैरह शामिल हैं।

कैसे करें भुगतान
स्टैंप ड्यूटी का भुगतान अडहेसिव या इम्प्रेस्ड स्टैंप के माध्यम से कर सकते हैं। जिन कागजात को भारत में इस्तेमाल के लिए यहीं तैयार किया जाता है , उन पर अग्रीमेंट लागू होने से पहले या उसी समय ड्यूटी चुकानी पड़ती है , जबकि देश से बाहर तैयार कागजात को भारत में लाने के तीन महीने के अंदर स्टांप्ड कराना जरूरी है।

पूरी चुकाएं रकम
रजिस्ट्रेशन के लिए प्रस्तुत किए जाने वाले सभी कागजात ' ड्यूली स्टांप्ड ' होने चाहिए। इसका मतलब यह है कि इंस्ट्रूमेंट स्टैंप पेपर पर हो , उस पर स्टैंप लगी हो और निर्धारित मानकों के अनुसार ही स्टैंप ड्यूटी चुकाई जा रही हो। अगर अडहेसिव स्टांप्स का प्रयोग कर रहे हैं , तो स्टांप्स को इस तरह कैंसल करें कि उन्हें दोबारा इस्तेमाल न किया जा सके। इंप्रेस्ड स्टैंप को इस तरह लिखना पड़ता है कि कोई उन्हें किसी और अग्रीमेंट के लिए दोबारा इस्तेमाल न कर सके। स्टैंप का प्रयोग नहीं है , तो डॉक्युमेंट को अन स्टैंप्ड माना जाता है। इसी तरह , अगर स्टैंप ड्यूटी पूरी नहीं दी गई है , तो डॉक्युमेंट ' नॉट ड्यूली स्टांप्ड ' हो जाएगा।

कैसे तय होगी ड्यूटी
कुछ मामलों में स्टैंप ड्यूटी फिक्स होती है , चाहे ट्रांसएक्शन का अमाउंट कुछ भी हो। दूसरे मामलों में स्टैंप ड्यूटी प्रॉपर्टी और ट्रांसएक्शन की वैल्यू के हिसाब से तय होती है।

कुछ खास बातें
- एक राज्य में खरीदा गया स्टैंप पेपर उसी राज्य में ही मान्य होता है।

- स्टैंप ड्यूटी की दर हर राज्य में अलग होती है। कई राज्यों में यह इलाकों के आधार पर पूर्व निर्धारित होती है , तो कहीं स्टैंप ड्यूटी प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू के हिसाब से दी जाती है।

- जब एक अग्रीमेंट को स्टैंप कराना होता है , तो उसे बिना साइन और बिना डेट का होना चाहिए। उस पर स्टैंप लगने के बाद ही उस पर आगे का काम हो पाता है।

- स्टैंप पेपर दो तरह के होते हैं , जुडिशल और नॉन जुडिशल।

- देश से बाहर तैयार कागजात को भारत में लाने के तीन महीने के अंदर स्टैंप्ड कराना जरूरी है।

स्टैंप ड्यूटी क्या है और कितनी दी जानी चाहिए ? अगर आप इसके बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं , तो इसकी जानकारी ' इंडियन स्टैंप एक्ट 1899 ' से ले सकते हैं। स्टैंप ड्यूटी के कलेक्शन और पेमेंट के सारे प्रॉविजन इस ऐक्ट में दिए





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