Monday, March 21, 2011

ज्यादा रिटर्न के लिए पजेशन के बाद ही बेचें कमर्शल प्रॉपर्टी -प्रॉपर्टी-बिज़नस-Navbharat Times

ज्यादा रिटर्न के लिए पजेशन के बाद ही बेचें कमर्शल प्रॉपर्टी -प्रॉपर्टी-बिज़नस-Navbharat Times


बीते सप्ताह नोएडा में देश की सबसे बड़ी कमर्शल डील फाइनल हुई। नोएडा अथॉरिटी का 6 लाख 14 हजार वर्ग मीटर कमर्शल प्लॉट 'वेव इन्फ्राटेक' ने 1 लाख 7 हजार 3 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से 6,569 करोड़ रुपये में हासिल किया। अभी तक इंडिया की कमर्शल कैपिटल मुंबई में ही ऐसी डील होती रही हैं, लेकिन दिल्ली-एनसीआर में कमर्शल प्रॉपर्टी में इतने बड़े इनवेस्टमेंट का यह पहला उदाहरण है। कुछ तो बात जरूर है! राजधानी के इर्द-गिर्द कमर्शल प्रॉपर्टी का मार्केट कैसा है और उससे रिटर्न की कितनी संभावनाएं हैं? इन मुद्दों पर 'वेव इन्फ्राटेक' के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर आर.के. जैन से बातचीत की अमित कुश ने :

दिल्ली-एनसीआर में कमर्शल रियल एस्टेट मार्केट कैसा परफॉर्म कर रहा है और भविष्य में इसके किस दिशा में बढ़ने के आसार हैं?
इन दिनों कमर्शल मार्केट में रेजिडेंशियल जैसा बूम तो नहीं है, लेकिन संभावनाएं भरपूर हैं। कुछ बरस पहले तक कमर्शल प्रॉपर्टी के मार्केट को आईटी सेक्टर से सबसे ज्यादा बढ़ावा मिलता था। आईटी की जरूरतें कम हुईं और नई कंपनियों ने आना कम किया, तो कमर्शल मार्केट में डिमांड घट गई। आर्थिक मंदी से भी इस पर बुरा असर पड़ा। आज बड़े कॉर्पोरेट ग्रुप अहम क्लाइंट होते हैं। इन पर कमर्शल मार्केट का भविष्य टिका है। पिछले 3-4 वर्षों में कमर्शल रियल एस्टेट मार्केट में खास बढ़ोतरी नहीं हुई। इसका बड़ा कारण ओवर सप्लाई की हालत हो सकती है। अब पहले बनी प्रॉपर्टी ज्यादातर इस्तेमाल हो गई हैं, तो नए कमर्शल स्पेस की जरूरत पड़ रही है। ऐसे में कमर्शल मार्केट में एक बार फिर बूम आने की पूरी संभावना है। खासकर अगले 6 महीने से 1 साल के बीच इस फील्ड में काफी ग्रोथ दिखाई देगी।

आपने कहा कि कॉर्पोरेट ग्रुप अहम क्लाइंट होते हैं, तो क्या इंडिविजुअल इनवेस्टर्स और एंड यूजर्स के लिए कमर्शल मार्केट में कोई स्कोप नहीं है? क्या डिवेलपर छोटे क्लाइंट्स का ध्यान नहीं रखते?
ऐसा नहीं है। भले ही कॉ्रपोरेट ग्रुप कमर्शल प्रॉपर्टी के बड़े क्लाइंट होते हैं, लेकिन इंडिविजुअल्स की जरूरतों का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। तभी तो हर कमर्शल प्रॉपर्टी में इंडिविजुअल इनवेस्टर्स और ऐंड यूजर्स के लिए भी छोटी स्पेस निकाली जाती है। इस तरह के छोटे क्लाइंट्स को आमतौर पर 1 हजार से 1200 स्क्वेयर फीट जगह की जरूरत होती है। यह स्पेस तकरीबन हर कमर्शल प्रॉपर्टी में होती है।

कमर्शल प्रॉपर्टी खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
इसका सटीक जवाब देने से पहले यह जानना होगा कि कमर्शल प्रॉपर्टी खरीदने वाला व्यक्ति एक्चुअल यूजर है या इनवेस्टर। अगर वह एक्चुअल यूजर है, तो कोई भी अच्छी कमर्शल प्रॉपर्टी चाहे दूर ही बनी हो, ले लेनी चाहिए। अगर वह सस्ती भी है, तो इसे सोने पर सुहागा समझना चाहिए। रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की तरह, कमर्शल प्रॉपर्टी लेने से पहले भी डिवेलपर का ट्रैक रिकॉर्ड चेक करना जरूरी है। कमर्शल प्रॉपर्टी के मामले में प्रॉडक्ट की डिलिवरी समय से होना ज्यादा महत्वपूर्ण है। अगर डिलिवरी लेट हुई, तो यूजर की सारी प्लानिंग चौपट हो सकती है। अगर इनवेस्टर के संबंध में बात करें, तो कह सकते हैं कि वह केवल लोकेशन देखकर ही फैसला ले सकता है। अगर ऐसी प्रॉपर्टी की लोकेशन अच्छी है, तो वहां से रिटर्न मिलने के चांस कई गुना बढ़ जाते हैं। एक और अहम चीज है, सभी तरह के सेंक्शंस की जांच कर लेना। कमर्शल प्रॉपर्टी लेने से पहले डिवेलपर से जरूरी कागजात मांगे, जैसे - बिल्डिंग प्लान। यह भी देखें कि एक्चुअल साइट पर कंस्ट्रक्शन शुरू हुआ है या नहीं? जरूरी सावधानी पेमेंट प्लान को लेकर भी रखनी चाहिए। बिल्डर को भुगतान करते समय कंस्ट्रक्शन लिंक्ड प्लान सबसे अच्छा रहता है। इससे बिल्डर पर भी लगातार कंस्ट्रक्शन करने का दबाव बना रहता है, नहीं तो बिल्डर के पास पैसा पहुंचता रहेगा और वह कंस्ट्रक्शन को लेकर लापरवाही बरत सकता है।

आपने कहा कि केवल लोकेशन देखकर ही कमर्शल प्रॉपर्टी खरीद लेनी चाहिए। आखिर किस लोकेशन को कमर्शल प्रॉपर्टी के लिए अच्छा माना जाएगा?
यह देखने के लिए मूल मंत्र है कनेक्टिविटी। अगर उस लोकेशन तक कनेक्टिविटी अच्छी है, तो वहां ली गई कमर्शल प्रॉपर्टी फ्लॉप नहीं हो सकती।

क्या सिर्फ कनेक्टिविटी? क्या आसपास रेजिडेंशियल एरिया होना जरूरी नहीं है?
जी नहीं। यह कोई नियम नहीं है कि आसपास रेजिडेंशियल एरिया होने पर ही कमर्शल प्रॉपर्टी हिट होगी, नहीं तो फ्लॉप।

नोएडा सिटी सेंटर में हाल ही में सबसे बड़ी कमर्शल डील फाइनल हुई है। नोएडा में कमर्शल प्रॉपर्टी के मार्केट की क्या संभावनाएं हैं और किन जगहों पर कमर्शल प्रॉपर्टी लेनी चाहिए?
नोएडा से बेहतर लोकेशन एनसीआर में किसी और जगह की नहीं है, लेकिन यहां डिवेलपमेंट के मुद्दे पर काफी काम किया जाना चाहिए। एरिया की बात करें, तो सेक्टर 18 क्रीम एरिया है। इसके अलावा, सेक्टर 25 ए और सेक्टर 63 में भी भरपूर संभावनाएं हैं।

इंडिविजुअल इनवेस्टर को कमर्शल प्रॉपर्टी से अच्छा रिटर्न हासिल करने के लिए औसतन कितने समय इंतजार करना चाहिए?
किसी जमाने में कमर्शल प्रॉपर्टी से हाथों-हाथ रिटर्न मिल जाता था, लेकिन अब मेरी सलाह है कि पजेशन मिलने तक का इंतजार जरूर करना चाहिए। प्रॉपर्टी का कंस्ट्रक्शन पूरा होने के बाद ही उसकी वास्तविक कीमत का पता चलता है। इससे पहले थोड़ा रिटर्न जरूर मिल सकता है, लेकिन कहीं ऐसा न हो कि पजेशन के बाद प्रॉपर्टी बेचने वाला व्यक्ति ऑरिजनल मालिक से कहीं ज्यादा मुनाफा कमा ले।

अगर रेडी टू यूज प्रॉपर्टी खरीदें, तो?
रेडी टू यूज कमर्शल प्रॉपर्टी खरीदने पर कैपिटल एप्रीसिएशन कम ही रहता है।

बुकिंग में बुक कराने पर कितना रिटर्न मिल जाता है?
अगर आप प्री-लॉन्च में कमर्शल प्रॉपर्टी बुक कराते हैं और करीब ढाई साल में पजेशन लेते हैं, तो उसके बाद प्रॉपर्टी बेचने पर 20-22 प्रतिशत का रिटर्न लिया जा सकता है।

तो क्या यह मानें कि रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की ही तरह कमर्शल प्रॉपर्टी भी प्री-लॉन्च स्टेज में खरीदने पर ही फायदे का सौदा है?
बिल्कुल। उस समय काफी कम रेट पर प्रॉपर्टी ली जाती है और बाद में बेचने पर मोटा मुनाफा। इतना कि 100 प्रतिशत का रिटर्न लिया जा सकता है।

No comments: