Monday, March 21, 2011

आखिर क्या है अफोर्डेबल हाउसिंग?-प्रॉपर्टी-बिज़नस-Navbharat Times

आखिर क्या है अफोर्डेबल हाउसिंग?-प्रॉपर्टी-बिज़नस-Navbharat Times


' अफोर्डेबल हाउसिंग' । रीयल एस्टेट सेक्टर में अब यही शब्द घूमता है। अब तो नामी-गिरामी रीयल एस्टेट कंपनियां भी 'अफोर्डेबल हाउसिंग' को ध्यान में रखकर ही प्रोजेक्ट्स बना रही हैं। हालांकि शायद अभी भी कई लोगों को इस शब्द के मायने पूरी तरह पता न हों।

' क्रेडिट रेटिंग इनफॉर्मेशन सर्विसेज ऑफ इंडिया लिमिटेड' (क्रिसिल) की एक रिपोर्ट 'अफोर्डेबल हाउसिंग' कहती है, 'अफोर्डेबल हाउसिंग ऐसी आवासीय इकाई है, जिसे एक शहर में रहने वाले ज्यादातर लोग (करीब 60 प्रतिशत) अफोर्ड कर सकें। यह 60 प्रतिशत मध्यम वर्ग से तैयार होगा, जबकि बाकी 40 प्रतिशत निम्न आय वर्ग के लोग कहीं भी मकान नहीं खरीद सकते।

60 में से भी टॉप 20 प्रतिशत उच्च आय वर्ग वाले लोगों के पास शहर में कहीं भी महंगे मकान खरीदने लायक पैसा होता है। ऐसे में अफोर्डेबल हाउसिंग कैटेगिरी में टार्गेट कस्टमर मध्यम वर्गीय लोग ही हैं।' यह रिपोर्ट 'क्रिसिल रिसर्च' के हेड सुधीर नायर और एनालिस्ट प्राशु बरुआ ने तैयार की थी। उन्होंने इस रेंज में सही कीमतें निकालने के लिए 10 शहरों को जी1 (मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नै, हैदराबाद, बेंगलुरु), जी2 (पुणे, अहमदाबाद व अन्य), जी3 (उज्जैन, औरंगाबाद व अन्य) श्रेणियों में बांटा। तीनों में मकान की अफोर्डेबल कीमत क्रमश: 18, 16 व नौ लाख रुपये सामने आईं।

लंदन बेस्ड ग्लोबल रियलिटी रिसर्च फर्म 'डीटीजेड' ने भी अफोर्डेबल हाउसिंग को लेकर एक रिसर्च की। इसके अनुसार, पिछले कुछ समय में 30 लाख रुपये से कम के मकानों की मांग जबर्दस्त रूप से बढ़ी है। इस दौरान सामने आए कुल खरीदारों में से 30-50 प्रतिशत इसी रेंज में गए हैं। इस सर्वे के लिए इस दौरान शुरू हुईं 29,367 आवासीय इकाइयों के आंकड़े जुटाए गए। इनमें से 82 प्रतिशत (24,118) यूनिट्स एनसीआर में शुरू हुईं और 1500 से 3000 रुपये प्रति स्क्वेयर फीट के दाम में उपलब्ध थीं। इससे 1000 स्क्वेयर फीट का मकान 30 लाख रुपये से कम में उपलब्ध था।

यह बजट मध्यम वर्ग के लोगों के बजट में फिट बैठता है। इसे और विशिष्ट रूप से कहा जाए, तो 65 प्रतिशत से ज्यादा मकान 30 लाख रुपये से कम में उपलब्ध हो गए।

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