Tuesday, July 5, 2011

मिल गए अफोर्डेबल घर- Navbharat Times

मिल गए अफोर्डेबल घर- Navbharat Times

बस थोड़ा इंतजार और। गुड़गांव में अफोर्डेबल घर का सपना न रह कर, हकीकत बन जाएगा। यह बात अलग है कि आपका ठिकाना गुड़गांव के बाहरी इलाके में होगा। द्वारका-गुड़गांव एक्सप्रेस के इर्द-गिर्द आने वाले दिनों में आपको आपको ऐसे घर के एक नहीं, ढेरों ऑप्शन मिलेंगे।

यहां इन इलाकों में काफी काम चल रहा है। लेकिन इन प्रॉजेक्ट्स के पूरा होने में भी एक्सप्रेस-वे की तरह अभी समय बाकी है। इन इलाकों में बूम की वजह है कनेक्टिविटी। एक्सप्रेस-वे के चालू होते नक्शा ही बदल जाएगा। इलाके की तमाम परेशानियां दूर हो जाएंगी। नए सिरे से डिवेलपमेंट परवान चढ़ेगा और आप को नया पता मिल जाएगा।

देखा जाए तो एक्सप्रेस-वे के कारण करीब 1200 एकड़ जमीन मेन डेवलमेंट स्ट्रीम में आ जाएगी। इसका सीधा फायदा कंज्यूमर को मिलेगा। पश्चिमी दिल्ली और द्वारा सब सिटी के नजदीक होने के साथ-साथ इस अप कमिंग इलाके का इंदिरा गांधी एयरपोर्ट के नजदीक होना भी एक अडवांटेज है।

डिवेलपमेंट प्लानिंग पर नजर रखने वाले डिवेलपर्स ने तो सस्ते दामों पर इलाके में जमीन लेना करना काफी समय पहले ही शुरू कर दिया था। अब भी काफी डिवेलपर्स लगे हुए हैं। यही वजह है कि यहां सस्ते और मिड साइज घरों पर ज्यादा काम चल रहा है। एक तरह से यह इलाका भी ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे की तरह ही डेवलप हो रहा है। इसकी वजह यह है कि गुड़गांव में जहां 25 लाख रुपए के आसपास घर के ऑप्शन नहीं बचे, वहीं इस नए इलाके में कम पैसे में घर की चाहत रखने वालों के लिए ऑप्शंस ही ऑप्शंस खुल रहे हैं। यही वजह है कि मिड साइज कस्टमर अब गुड़गांव में जोर नहीं लगा रहे। उनका रुझान इस उभरते इलाके की ओर हो गया है। यहां कस्टमर को नोएडा और उसके इर्द-गिर्द हो रहे डिवेलपमेंट से कॉम्पिटिशन का भी फायदा मिल रहा है।

हालांकि डिमांड बढ़ने से पिछले कुछ महीनों में यहां तेजी आने लगी है। जोन्स लैंग के सीईओ संतोष कुमार का कहना है कि यहां 15 से 20 फीसदी की तेजी आई है, और इसी वजह से प्राइस सेंसिटिव कस्टमर थोड़े शांत पड़ गए हैं। इसके कारण टोटल सेल्स वॉल्यूम पर असर पड़ा है।

द्वारका-गुड़गांव एक्सप्रेस-वे के आसपास पहले 2300 से 2400 रुपए प्रति स्क्वेयर फीट का रेट चल रहा था जो अब 3300 से 3550 रुपए प्रति स्क्वेयर फीट तक पहुंच गया है। इसका नतीजा यह हुआ है नए प्रॉजेक्ट्स ऊंची रेट पर लांच हो रहे हैं और इस कारण से उनकी उस तरह डिमांड नहीं हो रही।

एक्सप्रेस वे की कुल लंबाई 18 किलोमीटर है। इसमें से 16 किलो मीटर की लंबाई के लिए जमीन एक्वायर कर ली गई है। इस लंबाई में सरकार ने कांट्रैक्ट भी दे दिया है। इस एक्सप्रेस वे से इंदिरा गांधी इंटरनैशनल एयरपोर्ट पहुंचना भी आसान होगा और एक्सप्रेस वे से दिल्ली की ओर आने वाले सीधे द्वारका फेज-2 में निकलेंगे। यहां आने वाले समय में डिमांड में तेजी आने की पूरी संभावना है। एक्सप्रेस वे के साथ ही मेट्रो कॉरिडोर भी प्रस्तावित है।

जिन सेक्टरों से इस एक्सप्रेस-वे से ज्यादा फायदा मिलेगा वे हैं 99 से 113 और 83-84। सेक्टर 105, 106, 109, 110, 110ए, 111, 112 और 113 से लगता एक कमर्शल बेल्ट भी होगा। सेक्टर 114 और 88 पूरी तरह से कमर्शल होंगे। हालांकि दूसरे रिहायशी इलाके एक्सप्रेस-वे से थोड़ी दूरी पर हैं। लेकिन सेक्टर 81-86, 89-93 और 95 आदि को इससे काफी फायदा मिलेगा।

यहां रिहायशी इलाकों को डिवेलप करने के लिए अथॉर्टी डिवेलपर्स से भी मदद लेने की कोशिश में लगी है। इससे इलाके का तेजी से डिवेलपमेंट की उम्मीद की जा रही है।

दूसरी तरफ, डिवेलपर्स सरकार से एक्सप्रेस वे तेजी से बनाने की गुजारिश कर रहे हैं ताकि पूरे इलाके में आना- जाना आसान हो सके। अभी यहां इन्वेस्टमेंट करने वालों के सामने समस्या यह आ रही है कि सेक्टरों में न तो रोड डेवलप हुए हैं और ही पानी-सीवर का इंतजाम हुआ है। पॉवर सब-स्टेशन भी नहीं बने हैं। असल बात तो यह है कि एक्सप्रेस-वे का काम जितना लेट होगा, बाकी चीजों के डिवेलपमेंट पर उसका सीधा असर पड़ेगा।

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