Tuesday, July 5, 2011

हाई रिटर्न चाहते हैं तो कमर्शल प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करें- Navbharat Times

हाई रिटर्न चाहते हैं तो कमर्शल प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करें- Navbharat Times

कमर्शल स्पेस में इन्वेस्टमेंट का ट्रेंड बदल रहा है। ज्यादा रकम की जरूरत होने के कारण पहले बड़े या इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर ही इसमें कदम रखते थे। लेकिन अब छोटे इन्वेस्टर भी कमर्शल प्रॉपर्टी में काफी इन्वेस्ट कर रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है रिटर्न। जोंस लैंग लसाल इंडिया के एमडी (वेस्ट) रमेश नायर के मुताबिक कमर्शल प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट पर औसतन 9 से 12 फीसदी का रिटर्न मिल जाता है जबकि रेजिडेंशल प्रॉपर्टी पर सालाना रिटर्न 3 से 4 फीसदी ही होता है।

नायर के मुताबिक कमर्शल प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करने के तीन तरीके हैं:

- सीधे डिवेलपर से स्पेस खरीदना
- स्टॉक मार्केट से किसी डिवेलपर के शेयर की खरीददारी।
- कमर्शल प्रॉपर्टी पर फोकस्ड रीयल एस्टेट फंड में इन्वेस्टमेंट।

उनका कहना है कि आजकल बहुत से डिवेलपर्स अच्छे, बड़े और प्राइम लोकेशन पर स्थित प्रॉजेक्ट्स में बड़े छोटे-छोटे (500-1000 स्क्वेयर फीट) स्पेस बेच रहे हैं। हालांकि कुछ साल पहले ऐसी स्थिति नहीं थी। तब यूनिट साइज बड़ा होता था। लिहाजा छोटे इन्वेस्टरों के लिए मौका ही नहीं होता था कि वे कमर्शल प्रॉपर्टी के बारे में सोच पाएं।

छोटे यूनिट साइज के फायदे भी हैं। जैसे इस तरह की प्रॉपर्टी को बेचना या रेंट पर डालना कहीं ज्यादा आसान साबित हो रहा है। अगर जगह खाली रह भी गई तो इन्वेस्टर्स किसी न किसी बिजनेस परपज के लिए उसका खुद भी इस्तेमाल कर लेते हैं। आज डॉक्टर, सीए, वकील आदि भी सिर्फ अपने इस्तेमाल के लिए ही नहीं बल्कि इन्वेस्टमेंट के ख्याल से भी कमर्शल स्पेस खरीद रहे हैं।

लेकिन कमर्शल स्पेस में इन्वेस्टमेंट के लिए एक घर खरीदने से ज्यादा होम वर्क की जरूरत होती है। इन्वेस्टमेंट को लेकर आपकी प्लानिंग भी क्लियर होनी चाहिए। एक घर की तरह ही कमर्शल प्रॉपर्टी खरीदने के लिए भी आपको कई बातों के हिसाब से फैसला करना पड़ता है। जैसे, लोकेशन, डिवेलपर और सुविधाएं और इलाके में विकास की संभावना।

लोकेशन
इन्वेस्टमेंट से पहले आप उस इलाके के डिमांड-सप्लाई पर जरूर गौर करें। अगर ऐसा नहीं करेंगे तो हो सकता है कि आप किसी छोटी जगह पर पैसे लगा दें या फिर ऐसी जगह, जहां आपकी प्रॉपर्टी के खाली रहने के चांसेज बने रहेंगे।

सुविधाएं
अब बारी आती है यह देखने की सुविधाएं क्या मिलेंगी। क्या उस मॉल या कमर्शल कांप्लेक्स में वे सुविधाएं मिलेंगी जो आपको आपके बिजनेस के लिए चाहिए। मान लीजिए आप कोई आईटी कंपनी खड़ी करना चाहते हैं तो स्वाभाविक रूप से चुनाव किसी आईटी पार्क का करेंगे। वहां आपको उसी हिसाब का इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा। या मान लीजिए आपका काम इंटरनेट आधारित है तो दिल्ली, नोएडा जैसे शहर तक में यह ठीक तरह पता कर लें कि उस कमर्शल कांप्लेक्स में वाई-फाई सुविधा है क्या?

फुट फॉल
आपकी प्लानिंग खुद कारोबार करने की है या फिर किसी कारोबार को ध्यान में रख कर रेंट के लिए इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं, तो उस जगह की लोकप्रियता उस कारोबार के हिसाब से आंकें। कोई जगह हर प्रकार के कारोबार के लिए सुटेबल हो, यह जरूरी नहीं है।

डिवेलपर
डिवेलपर की विश्वसनीयता की जांच करें। साथ ही यह देखें कि प्रॉपर्टी मैनेजमेंट के लिहाज से उनका रिकॉर्ड कैसा है।

कमर्शल प्रॉपर्टी क्यों?
कमर्शल प्रॉपटीर् में इन्वेस्ट करने की सबसे बड़ी वजह है रिटर्न। रेजिडेंशल प्रॉपर्टी की तुलना में कमर्शल प्रॉपर्टी पर तीन गुणा तक ज्यादा रिटर्न मिल जाता है। नायर के मुताबिक अगले पांच बरसों में इंडिया में ऑफिस स्पेस की डिमांड 200 मिलियन स्क्वेयर फीट के आसपास रहने की संभावना है। फिलहाल मंदी से उबरती स्थितियों में इन्वेस्टमेंट फायदेमंद बताया जा रहा है। हालांकि पिछले साल से इसमें तेजी आने होने लगी थी। 2009 की तुलना में ऑफिस स्पेस की डिमांड 2010 में 50 फीसदी बढ़ी।

ऑफिस या कमर्शल स्पेस से न सिर्फ खरीद-बिक्री में आमदनी होता है बल्कि आप रेंट से भी ठीकठाक कमा लेते हैं। जो ठीक तरह जांच परख कर सौदा करते हैं, यकीनन अच्छा रिटर्न पाते हैं।

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