नीतू सिंह ॥ नई दिल्ली
फ्लोर-वाइज नक्शे पास करने के एमसीडी के प्रस्ताव को रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशनों (आरडब्ल्यूए) ने सिरे से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि यह प्रस्ताव पास हुआ तो आम लोगों की मुसीबतें बढ़ जाएंगी क्योंकि बिल्डर्स को कमाई का खुला जरिया मिल जाएगा।
सहयोग, कन्फेडरेशन ऑफ आरडब्ल्यूएज मालवीय नगर के महासचिव अशोक प्रभाकर कहते हैं कि अगर यह प्रस्ताव पास हो गया तो कई समस्याएं खड़ी होंगी और पहले से परेशान आम लोग और तबाह हो जाएंगे। मान लीजिए किसी बिल्डिंग के ऊपर या नीचे वाले फ्लोर में तोड़फोड़ करने से बीच वाला फ्लोर डैमेज हो गया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? सोसायटी में तो एक मैनेजमेंट होता है जो ऐसे मामलों की देखरेख करता है, मगर उन कॉलोनियों का क्या हाल होगा जहां पहले एक प्लॉट पर एक व्यक्ति का मालिकाना हक होता था मगर अब बिल्डर ये प्लॉट खरीदकर फ्लैट बनाने लग गए हैं। मान लीजिए एक व्यक्ति ने यह सोचकर घर लिया कि उसे खुली हवादार जगह मिलेगी और बाद में उसके ऊपर और नीचे के फ्लोर वालों ने आगे पीछे की बालकनी को कवर कर लिया तो उसका क्या होगा। मेरे हिसाब से तो यह प्रस्ताव बिल्डर लॉबी को खुश करने के लिए लाया गया है। अब भी ऐसे मामले आम हैं जिनमें बिल्डर 50 लाख में फ्लैट खरीदता है और अंदर टाइल और फर्श बदलकर 75 लाख में बेचता है। इसका एक उदाहरण मेरे सामने है।
मालवीय नगर के एच 8 ब्लॉक में 100 गज के प्लॉट पर बना एक घर खरीदा और पूरा घर तोड़कर बेसमेंट बनाना शुरू कर दिया। इस प्लॉट के दोनों तरफ घर हैं, जिनमें ग्राउंड मिलाकर चार-चार फ्लोर हैं। इनमें से एक घर काफी पुराना है और इसमें कॉलम नहीं हैं। इन दोनों ही घरों की बुनियाद 5 फुट गहरी है, जबकि बिल्डर अपने प्लॉट में बेंसमेंट बनाने के लिए 9 फुट गहरी खुदाई करवा रहा है। ऐसे में बिना कॉलम वाले घर पर तलवार लटक गई है। दूसरे वाले घर में भी डैमेज होना निश्चित है। इन दोनों ही पड़ोसियों से एनओसी लेना जरूरी था, मगर बिल्डर ने ऐसा नहीं किया। नियम के मुताबिक, 100 गज के प्लॉट में बेसमेंट नहीं बन सकता। अगर यह बनता भी है तो दोनों तरफ 4-4 फुट जगह छोड़ना जरूरी है। पिछले महीने ही यह घर बिका और अब बिल्डर के पास नया घर बनाने का नक्शा भी पास होकर आ गया। यह सुनिश्चित करने वाला कोई नहीं है कि नियमों के विपरीत स्थिति के बावजूद पास हुआ यह नक्शा असली है या नकली। अब भी 99 पर्सेंट घर बिना नक्शा पास कराए बन रहे हैं। ऐसे में अगर बिना पड़ोसियों की अनुमति के फ्लोर वाइज नक्शा पास कराने की छूट मिल गई तो लोगों के लिए जानलेवा हालात हो जाएंगे।
प्रभाकर कहते हैं कि मेरे हिसाब से अगर नया प्रस्ताव पास किया भी जाता है तो पड़ोसियों की सहमति जरूरी कीजाए। एक ऐसी टीम नियुक्त की जाए जो दोनों पक्षों की बात सुने और यह सुनिश्चित किया जाए कि अगर निर्माणके चलते कोई पुराना स्ट्रक्चर खराब होता है तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। लाजपत नगर के माता वैष्णवदेवी मार्ग आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष सुमित शर्मा कहते हैं कि यह प्रस्ताव व्यावहारिक नहीं है। कुछ महीने बादएमसीडी चुनाव होने हैं ऐसे में सत्तारूढ़ बीजेपी नए - नए नियमों के प्रस्ताव रख रही है। चुनाव के बाद अगरकांग्रेस सत्ता में आ गई तो वह अपने हिसाब से बदलाव लाएगी। वैसे भी एमसीडी इतनी सक्रिय नहीं है कि कुछसमय में ही कोई नया काम कर ले
फ्लोर-वाइज नक्शे पास करने के एमसीडी के प्रस्ताव को रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशनों (आरडब्ल्यूए) ने सिरे से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि यह प्रस्ताव पास हुआ तो आम लोगों की मुसीबतें बढ़ जाएंगी क्योंकि बिल्डर्स को कमाई का खुला जरिया मिल जाएगा।
सहयोग, कन्फेडरेशन ऑफ आरडब्ल्यूएज मालवीय नगर के महासचिव अशोक प्रभाकर कहते हैं कि अगर यह प्रस्ताव पास हो गया तो कई समस्याएं खड़ी होंगी और पहले से परेशान आम लोग और तबाह हो जाएंगे। मान लीजिए किसी बिल्डिंग के ऊपर या नीचे वाले फ्लोर में तोड़फोड़ करने से बीच वाला फ्लोर डैमेज हो गया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? सोसायटी में तो एक मैनेजमेंट होता है जो ऐसे मामलों की देखरेख करता है, मगर उन कॉलोनियों का क्या हाल होगा जहां पहले एक प्लॉट पर एक व्यक्ति का मालिकाना हक होता था मगर अब बिल्डर ये प्लॉट खरीदकर फ्लैट बनाने लग गए हैं। मान लीजिए एक व्यक्ति ने यह सोचकर घर लिया कि उसे खुली हवादार जगह मिलेगी और बाद में उसके ऊपर और नीचे के फ्लोर वालों ने आगे पीछे की बालकनी को कवर कर लिया तो उसका क्या होगा। मेरे हिसाब से तो यह प्रस्ताव बिल्डर लॉबी को खुश करने के लिए लाया गया है। अब भी ऐसे मामले आम हैं जिनमें बिल्डर 50 लाख में फ्लैट खरीदता है और अंदर टाइल और फर्श बदलकर 75 लाख में बेचता है। इसका एक उदाहरण मेरे सामने है।
मालवीय नगर के एच 8 ब्लॉक में 100 गज के प्लॉट पर बना एक घर खरीदा और पूरा घर तोड़कर बेसमेंट बनाना शुरू कर दिया। इस प्लॉट के दोनों तरफ घर हैं, जिनमें ग्राउंड मिलाकर चार-चार फ्लोर हैं। इनमें से एक घर काफी पुराना है और इसमें कॉलम नहीं हैं। इन दोनों ही घरों की बुनियाद 5 फुट गहरी है, जबकि बिल्डर अपने प्लॉट में बेंसमेंट बनाने के लिए 9 फुट गहरी खुदाई करवा रहा है। ऐसे में बिना कॉलम वाले घर पर तलवार लटक गई है। दूसरे वाले घर में भी डैमेज होना निश्चित है। इन दोनों ही पड़ोसियों से एनओसी लेना जरूरी था, मगर बिल्डर ने ऐसा नहीं किया। नियम के मुताबिक, 100 गज के प्लॉट में बेसमेंट नहीं बन सकता। अगर यह बनता भी है तो दोनों तरफ 4-4 फुट जगह छोड़ना जरूरी है। पिछले महीने ही यह घर बिका और अब बिल्डर के पास नया घर बनाने का नक्शा भी पास होकर आ गया। यह सुनिश्चित करने वाला कोई नहीं है कि नियमों के विपरीत स्थिति के बावजूद पास हुआ यह नक्शा असली है या नकली। अब भी 99 पर्सेंट घर बिना नक्शा पास कराए बन रहे हैं। ऐसे में अगर बिना पड़ोसियों की अनुमति के फ्लोर वाइज नक्शा पास कराने की छूट मिल गई तो लोगों के लिए जानलेवा हालात हो जाएंगे।
प्रभाकर कहते हैं कि मेरे हिसाब से अगर नया प्रस्ताव पास किया भी जाता है तो पड़ोसियों की सहमति जरूरी कीजाए। एक ऐसी टीम नियुक्त की जाए जो दोनों पक्षों की बात सुने और यह सुनिश्चित किया जाए कि अगर निर्माणके चलते कोई पुराना स्ट्रक्चर खराब होता है तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। लाजपत नगर के माता वैष्णवदेवी मार्ग आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष सुमित शर्मा कहते हैं कि यह प्रस्ताव व्यावहारिक नहीं है। कुछ महीने बादएमसीडी चुनाव होने हैं ऐसे में सत्तारूढ़ बीजेपी नए - नए नियमों के प्रस्ताव रख रही है। चुनाव के बाद अगरकांग्रेस सत्ता में आ गई तो वह अपने हिसाब से बदलाव लाएगी। वैसे भी एमसीडी इतनी सक्रिय नहीं है कि कुछसमय में ही कोई नया काम कर ले
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