Tuesday, June 14, 2011

बच्चे को कैंसर बताकर कमरा लिया था किराये पर - Cancer by telling the child had room for rent - www.bhaskar.com

बच्चे को कैंसर बताकर कमरा लिया था किराये पर - Cancer by telling the child had room for rent - www.bhaskar.com

नई दिल्ली डेढ़ वर्षीय ईशान का अपहरण करने वाले पांचों आरोपी इतने शातिर थे कि उन्होंने पहले से ही हर पहलू पर अच्छी तरह से सोच-विचार कर लिया था। इसके तहत ही उन्होंने न सिर्फ बच्चे का हुलिया बदल दिया, बल्कि किराये का कमरा लेने के लिए भी उन्होंने बेहद मार्मिक बहाना बनाया। दो आरोपियों कृष्णा और अनु आरा बेगम ने सराए काले खां के मकान मालिक को बताया कि उनके बच्चे को कैंसर है और वे यहां उसके उपचार के लिए आए हैं। यही कारण रहा कि मकान मालिक ने बगैर ज्यादा छानबीन किए उन्हें किराए पर कमरा दे दिया।

अपराध शाखा के एक अधिकारी ने बताया कि अभी तक पांचों आरोपियों में से किसी के पूर्व में किसी अपराध में शामिल होने की बात सामने नहीं आई है, लेकिन उनकी साजिश को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि या तो ये लोग पहले किसी अपराध में शामिल रह चुके हैं या फिर कोई अन्य पेशेवर अपराधी इनके संपर्क में है। यह साजिश का ही एक हिस्सा था कि मार्च माह में प्रतिमा ने सिंह परिवार में पार्ट टाइम मेड के तौर पर नौकरी हासिल की, जिससे वह परिवार के हर सदस्य की पल-पल की जानकारी जुटा सके और उनका विश्वास जीत सके। इसके बाद २क् अप्रैल को वह अपनी मां की बीमारी का बहाना बना कर चली गई। इस बीच, सविता ने सिंह परिवार में फुल टाइम मेड के तौर पर नौकरी हासिल कर ली और अपना नाम सीमा बताया।

जब कभी सविता और प्रतिमा को मौका मिलता तो वे आपस में उड़िया भाषा में ही बात करतीं। अपने इस घिनौने काम को अंजाम देने में सविता ने 13 दिन का वक्त लिया और २४ अप्रैल को ईशान को अगवा कर लिया। सविता, कृष्ण व आरा बेगम सराय काले खां में किराए के कमरे में ईशान के साथ एक दिन ठहरे। उन्होंने मकान मालिक को बताया कि बच्चे के पैर में कैंसर है। इतना ही नहीं, उन्होंने पेशगी के तौर पर मकान मालिक को चार हजार रुपए भी दिए थे, लेकिन जैसे ही उन्हें अशोक ने बताया कि पुलिस चप्पे-चप्पे पर ईशान की तलाशी कर रही है, तुरंत ही कृष्ण दोनों महिलाओं व बच्चे को लेकर तिलपत इलाके में चला गया। वहां उसने मकान मालिक को बताया कि आरा बेगम उसकी पत्नी, सविता उसकी साली तथा ईशान उसकी बेटी है। यहां भी उसने मकान मालिक को एक हजार रुपए बतौर पेशगी दी थी। कृष्ण की साजिश थी कि वे फिरौती की रकम मांगने के लिए कोई फोन कॉल न कर किसी अन्य माध्यम का सहारा लेंगे, जैसे चिट्ठी या फिर ई-मेल। उनका सोचना था कि मामला जितना ठंडा होगा, उन्हें बच्चे की कीमत उतनी ज्यादा मिलेगी।

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