Sunday, June 12, 2011

सोच- समझ कर लें लैंड लोन - Navbharat Times

सोच- समझ कर लें लैंड लोन - Navbharat Times

तमाम बैंक प्लॉट खरीदने के लिए लोन देती हैं। लेकिन लोन लेने से पहले उनकी शर्तों को जरूर जान और समझ लें। ऐसा न हो कि आप लोन ले कर डिफॉल्टर हो जाएं।

बैंकों द्वारा सिर्फ उसी जमीन या प्लॉट के लिए लोन दिया जाता है जो पूरी तरह रिहायशी हो।
ऐग्रिकल्चरल लैंड के लिए लोन नहीं दिया जाता है। लोन लेते वक्त यह जरूर देख लेना चाहिए कि बैंक की तरफ से कोई कंस्ट्रक्शन कंडिशन तो नहीं है। यानी लोन लेने के बाद एक तय समय सीमा में काम शुरू तो नहीं करना है। आमतौर पर कुछ बैंकों द्वारा लोन दिए जाने के छह महीन के भीतर तो कुछ के द्वारा साल भर के भीतर काम शुरू करने की कंडिशन रखी जाती है।

अगर जमीन किसी सरकारी एजेंसी से खरीदी जा रही होती है, तो कस्टमर के लिए लोन लेना आसान होता है। ऐसी स्थिति में बैंकों के सवाल तो कम हो ही जाते हैं, लीगल वर्क भी कम होता है। लेकिन अगर आप किसी प्राइवेट एजेंसी या किसी व्यक्ति से प्लॉट खरीद रहे होते हैं तो लोन की स्थिति में बैंक के कई चक्कर लगाने पड़ सकते हैं। यह भी अच्छी तरह समझ लें कि प्लॉट के लिए गए लोन पर आपको किसी तरह की टैक्स छूट नहीं मिलती है। लेकिन जैसे ही आप लैंड लोन को हाउजिंग लोन में कनवर्ट करा देते हैं, और संबंधित अफसर/विभाग से कंप्लीशन सटिर्फिकेट लेते ही आप टैक्स छूट के अधिकारी हो जाते हैं।

सामान्यत: बैंकों द्वारा उसी प्लॉट के लिए लोन दिया जाता है जो सभी प्रकार के विवाद से मुक्त हो यानी वैध हो। प्लॉट के किसी म्युनिसिपल कार्पोरेशन या अन्य किसी एजेंसी के सीमा क्षेत्र में होना कस्टमर के हक में ही जाता है। लोन लेना उतना ही आसान हो जाता है।

यह भी अहम है कि बैंक का प्रॉपर्टी के मार्केट रेट से कोई लेना देना नहीं होता है। यानी आप पूरी रमक बैंक से मिलने की कतई नहीं सोचें। आपको अपनी ओर से भी रकम लगाने के लिए तैयार रहना चाहिए।

लैंड लोन लेने का एक फायदा यह है कि इस पर इंट्रेस्ट रेट सामान्य हाउजिंग लोन की तुलना में कम होता है। हालांकि सिक्युरिटी के रूप में ऑरिजिनल सेल डीड बैंक में डिपॉजिट करना होता है। बैंकों द्वारा आमतौर पर एक साल या इससे ज्यादा समय पहले खरीदे गए प्लॉट पर लोन नहीं दिया जाता है।

जरूरी डॉक्यूमेंट
- मालिकाना हक दिखाने वाले ऑरिजिनल डॉक्यूमेंट।
- लेआउट ड्राइंग (प्लानिंग अथॉर्टी से स्वीकृत)
- मालिक द्वारा टैक्स पेमेंट की रसीद।
- नो-इनकंब्रेंस सर्टिफिकेट।
- सोसायटी की जमीन होने की स्थिति में नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट।
- किसी प्रकार के बकाए की स्थिति में सरकार को की गई पेमेंट की रसीद।

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