Friday, June 10, 2011

क्लाउड कंप्यूटिंग का कमाल - Navbharat Times

क्लाउड कंप्यूटिंग का कमाल - Navbharat Times

एपल के सीईओ स्टीव जॉब्स जब भी किसी मंच पर आते हैं, तो दुनिया चौकन्नी हो जाती है। न जाने इस बार वो कौन सा उपकरण दिखाएंगे जिससे लोगों की जिंदगी बदल जाएगी। आखिर एपल वही कंपनी है, जिसने हमें आईपॉड, मैकिंटोश और आईफोन जैसे उपकरण दिए हैं। और इस बार भी जॉब्स ने कुछ ऐसा ही किया। फर्क बस इतना था कि उन्होंने कोई उपकरण नहीं दिखाया। सिर्फ एक ऐसी सर्विस के बारे में बात की, जिससे लोग अपना सारा डाटा और जानकारी विभिन्न उपकरणों पर एक तरह से रख सकते हैं। चाहे वो फोन का इस्तेमाल कर रहे हों या टैबलेट का या अपने डेस्कटॉप कंप्यूटर का -उनको वह जानकारी और सॉफ्टवेयर प्राप्त हो सकता है। एपल की इस सर्विस का नाम है आईक्लाउड। लेकिन यह असल में एपल की नहीं, बल्कि क्लाउड कंप्यूटिंग की शक्ति दर्शाती है।

सर्विस का नाम कोई भी हो, सर्विस देने वाला चाहे एपल हो, या गूगल, या माइक्रोसॉफ्ट, लेकिन आने वाले दिनों में क्लाउड कंप्यूटिंग की धूम रहेगी। टेक-पंडितों का कहना है कि यह हमारी जिंदगी बदल देगा। इंफोसिस जैसी कंपनियां भविष्यवाणी कर रही हैं कि आने वाले दिनों में संसार का लगभग सारा काम क्लाउड्स पर होगा। आखिर यह क्लाउड कंप्यूटिंग है क्या बला, और इसने दुनिया पर ऐसा कौन सा जादू कर दिया है कि सब इसके भक्त हो गए हैं :

अगर आप सोच रहे हैं कि क्लाउड कंप्यूटिंग बादलों से संबंधित है, तो आप एकदम सही सोच रहे हैं। बस इतना याद रखिए कि इन बादलों में पानी नहीं, बल्कि डिजिटल डाटा- तरह-तरह की जानकारियां तथा उनसे संबंधित अन्य सामग्री भरी होती है। और ये बादल आकाश में नहीं, बल्कि काफी विशालकाय कंप्यूटरों पर- जिन्हें सर्वर कहते हैं -पाए जाते हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग की बात आजकल कुछ ज्यादा हो रही है, पर यह कोई नयी चीज नहीं है। अगर आप इंटरनेट पर गए हैं, तो जाने-अनजाने आपने भी इसका इस्तेमाल किया होगा।

विश्वास नहीं होता तो ई-मेल जैसी साधारण सी इंटरनेट सेवा का उदाहरण ले लें। ज्यादातर लोग ई-मेल अपने कंप्यूटर पर डाउनलोड नहीं करते, बल्कि इंटरनेट पर देख कर वहीं छोड़ देते हैं। आखिर कौन अपने कंप्यूटर के हार्ड ड्राईव को ई-मेल से भरना चाहता है? पर आपने कभी यह सोचा कि यह ई-मेल जो आपने इंटरनेट या वेब पर छोड़ रखी है, आखिर कहां सहेज कर रखी जाती है, ताकि आप जब चाहें तब अपने ई-मेल अकाउंट में जा कर उसे देख लें। जवाब सीधा सा है -क्लाउड पर।

आपको शायद यह पता न हो, लेकिन आप लगभग जब भी कोई चीज वेब पर छोड़ते हैं, तो वह डाटा के इन बादलों पर ही रखी जाती है। चाहे वो फेसबुक पर कोई चित्र हो, यू -ट्यूब पर कोई विडियो, या आपके ब्लॉग पर कोई नया लेख। अगर वह आपने वेब पर छोड़ा है तो आप क्लाउड कंप्यूटिंग का प्रयोग कर रहे हैं।

आपने देखा ही होगा कि आप जो सामान इंटरनेट पर छोड़ते हैं, उसे किसी भी कंप्यूटर या सेलफोन या टेबलेट जैसे उपकरण पर देख सकते हैं। इसके लिए ऐसी कोई बंदिश नहीं होती कि उस चीज को देखने के लिए एक विशेष प्रकार के उपकरण का ही इस्तेमाल किया जाए। आखिर आप अपनी ई-मेल या फेसबुक का हाल ऑफिस और घर के कंप्यूटर या अपने फोन से भी जान सकते हैं। यही है क्लाउड कंप्यूटिंग की सबसे बड़ी शक्ति और विशेषता। यह आपको इंटरनेट पर रखी अपनी सामग्री या डाटा कहीं से भी, कभी भी देखने और बदलने की क्षमता देता है। शुरू-शुरू में क्लाउड कंप्यूटिंग को मात्र वेब पर स्थित एक डाटा भंडार माना जाता था, लेकिन आज इसकी क्षमता इतनी है कि कई विशेषज्ञों के अनुसार आगे यह आपकी डिजिटल जिंदगी का केंद्र होगा।

यह परिवर्तन आया है ऐसे सॉफ्टवेयर की बदौलत जो कंप्यूटर पर नहीं, बल्कि वेब या इंटरनेट पर चलते हैं। कुछ साल पहले किसी सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल करने का मतलब होता था उसको अपने कंप्यूटर या सेलफोन पर डाउनलोड करना। इसके बाद वह सॉफ्टवेयर केवल उसी कंप्यूटर या सेलफोन पर चलाया जा सकता था। आज क्लाउड कंप्यूटिंग के जरिये आप वैसे ही सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सकते हैं, बिना कुछ डाउनलोड किये हुए, लगभग किसी भी उपकरण -फोन, टैबलेट, कंप्यूटर या यहां तक कि टीवी से भी। समझ लीजिए कि क्लाउड ने आपके कंप्यूटर की जगह ले ली है। आप उस पर काम कर सकते हैं, उस पर अपने दस्तावेज, चित्र, विडियो इत्यादि रख सकते हैं और जब भी चाहें किसी भी उपकरण से उनको देख और बदल सकते हैं।

अगर यह आपको असंभव लग रहा है तो एक उदाहरण ले लीजिए। आम तौर पर हम कंप्यूटर पर दस्तावेज बनाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस नाम के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं जिसे हमें कंप्यूटर पर डालना पड़ता है और जिससे बनी फाइलें और सामग्री हमें आम तौर पर कंप्यूटर पर ही छोड़नी पड़ती हैं। अब देखिए, गूगल के गूगल डॉक्स को, जो पूरी तरह इंटरनेट पर चलता है और आपको लगभग वही सुविधाएं देता है जो आपको माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस से मिलती हैं, डाउनलोड करने की कोई जरूरत नहीं है। इससे बनी फाइलें और दस्तावेज इंटरनेट पर ही रहेंगे, जिन्हें आप किसी भी कंप्यूटर या सेलफोन पर देख सकते हैं।

और गूगल डॉक्स तो बस एक उदाहरण है। संसार की दर्जनों कंपनियां क्लाउड कंप्यूटिंग के दम और लाभ को देखते हुए इसका उपयोग करने की कोशिश कर रही हैं। अमेजन ने अपने ग्राहकों को अपने मनपसंद गानों को उसकी क्लाउड सर्विस पर रखने का मौका दिया है। माइक्रोसॉफ्ट ने भी क्लाउड पर कई उत्पाद डाले हैं और अपना प्रसिद्ध ऑफिस सॉफ्टवेयर भी कुछ हद तक क्लाउड पर डाल दिया है। और अब एपल ने भी क्लाउड कंप्यूटिंग में कदम रख दिया है। उसकी आईक्लाउड सर्विस लोगों को तरह-तरह के सॉफ्टवेयर और जानकारी अनेक उपकरणों पर देखने और उपयोग करने की सुविधा प्रदान करेगी। रोचक बात यह कि कई क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस मुफ्त प्राप्त हो सकती हैं। गूगल डॉक्स और आईक्लाउड इस्तेमाल करने के लिए आपको जेब जरा भी हलकी नहीं करनी पड़ेगी।

जैसे-जैसे वेब पर चलने वाले सॉफ्टवेयरों की संख्या बढ़ती जाएगी, वैसे-वैसे हम चलने लगेंगे डिजिटल बादलों की तरफ । हमारा काम खास उपकरणों पर नहीं, बल्कि हमारे इंटरनेट कनेक्शन पर निर्भर करेगा। जहां इंटरनेट होगा, वहीं हम काम कर पाएंगे या अपना मन बहला सकेंगे। चाहे हमारे पास कंप्यूटर हो या टैबलेट, या सेलफोन, या टीवी, या गेम कंसोल, या इंटरनेट से संपर्क करने वाली एक घड़ी ही क्यों न हो। आपका काम और मनोरंजन होगा, जहां भी इंटरनेट होगा। वह किसी उपकरण से बंधा नहीं होगा।

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