रेजिडेंशल प्रॉपर्टी को इनवेस्टमेंट के लिए खरीदने वाले ज्यादातर लोग मानते हैं कि इस प्रॉपर्टी को कुछ बरसों के लिए किराये पर दो और फिर बेच दो। बस , ढेर सारा मुनाफा मिल जाएगा। लेकिन कह सकते हैं कि उनकी सोच सीमित हो गई है। दरअसल , रेजिडेंशल प्रॉपर्टी से रिटर्न लेने के दूसरे विकल्प भी मौजूद हैं। क्या , डालते हैं एक नजर :
कॉरपोरेट गेस्ट हाउस
प्रॉपर्टी में इनवेस्ट करके इसे किसी कॉरपोरेट कंपनी को गेस्ट हाउस के रूप में किराये पर देना अच्छा विकल्प हो सकता है। यह प्रॉपर्टी किसी एक कंपनी को लंबे समय तक इस्तेमाल करने के लिए दे दी जाती है। अगर दोनों पाटीर् संतुष्ट हों , तो इस लीज को फिर से रिन्यू किया जा सकता है।
गौरतलब है कि कंपनी गेस्ट हाउस का इस्तेमाल अपने एंप्लॉइज और मेहमानों के रहने के लिए करती हैं। कॉरपोरेट गेस्ट हाउस देने का फायदा यह होता है कि कंपनी ही इस फ्लैट के रखरखाव का जिम्मा संभालती है। कॉरपोरेट गेस्ट हाउस के विकल्प पर अमल करने से पहले कॉस्ट , स्पेस और सुविधाओं को ध्यान में रखना चाहिए। यह संभव नहीं है कि 1 बेडरूम के फ्लैट को गेस्ट हाउस में बदला जा सके। फ्लैट में कम से कम 3 से 4 बेडरूम होने चाहिए। साथ ही , सभी में अटैच्ड बाथरूम का होना भी जरूरी है। अन्य सुविधाओं में सभी में अलमारी , कम से कम 2 कारों के लिए पाकिर्ंग स्पेस ,सवेर्ंट क्वॉर्टर भी होना चाहिए। हां , सबसे अहम बात है , प्रॉपर्टी की लोकेशन। हर कंपनी अच्छी और प्राइम लोकेशन पर बनी प्रॉपर्टी को ही गेस्ट हाउस के रूप में लेना चाहेगी। अच्छी लोकेशन वह मानी जाएगी , जहां शॉपिंग कॉम्प्लेक्स ,रेस्टोरेंट , मल्टिप्लेक्स और मेडिकल फेसिलिटी मौजूद हों।
पेइंग गेस्ट एकोमोडेशन
इस प्रकार का प्रॉपर्टी का इस्तेमाल भी काफी रिटर्न देने वाला हो सकता है। अगर आपकी प्रॉपर्टी किसी ऐसे इलाके में स्थित है , जहां कॉरपोरेट ऑफिस और कॉलेजों की अच्छी-खासी संख्या है , तो आप इस बारे में सोच सकते हैं।
यह बात गौरतलब है कि कॉरपोरेट गेस्ट हाउस की तुलना में पीजी एकोमोडेशन को महंगे रूप में फनिर्श्ड कराने की जरूरत नहीं पड़ती। अगर 3-4 बेडरूम का फ्लैट है , तो उसमें आसानी से 10-12 लोगों के लिए पीजी हाउस खोला जा सकता है , क्योंकि यह कॉन्सेप्ट शेयरिंग बेस पर काम करता है। सुविधाओं की बात करें , तो हर रूम में हर मेंबर के लिए बेड और अलमारी के अलावा कॉमन टेबल से काम चल जाएगा। कॉमन रूम में टीवी भी रखना होगा। फर्निशिंग , फूड ,गर्म पानी जैसी तमाम सुविधाओं के आधार पर किरायेदारों से चार्ज किया जा सकता है।
किराये पर
इनवेस्टर्स के लिए प्रॉपर्टी से रिटर्न लेने का सबसे आम जरिया उसे किराये पर देना होता है। ज्यादा किराया मिलने में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रोल प्रॉपर्टी की लोकेशन का होता है। बढ़िया लोकेशन से ज्यादा किराया हासिल किया जा सकता है।
कॉरपोरेट गेस्ट हाउस
प्रॉपर्टी में इनवेस्ट करके इसे किसी कॉरपोरेट कंपनी को गेस्ट हाउस के रूप में किराये पर देना अच्छा विकल्प हो सकता है। यह प्रॉपर्टी किसी एक कंपनी को लंबे समय तक इस्तेमाल करने के लिए दे दी जाती है। अगर दोनों पाटीर् संतुष्ट हों , तो इस लीज को फिर से रिन्यू किया जा सकता है।
गौरतलब है कि कंपनी गेस्ट हाउस का इस्तेमाल अपने एंप्लॉइज और मेहमानों के रहने के लिए करती हैं। कॉरपोरेट गेस्ट हाउस देने का फायदा यह होता है कि कंपनी ही इस फ्लैट के रखरखाव का जिम्मा संभालती है। कॉरपोरेट गेस्ट हाउस के विकल्प पर अमल करने से पहले कॉस्ट , स्पेस और सुविधाओं को ध्यान में रखना चाहिए। यह संभव नहीं है कि 1 बेडरूम के फ्लैट को गेस्ट हाउस में बदला जा सके। फ्लैट में कम से कम 3 से 4 बेडरूम होने चाहिए। साथ ही , सभी में अटैच्ड बाथरूम का होना भी जरूरी है। अन्य सुविधाओं में सभी में अलमारी , कम से कम 2 कारों के लिए पाकिर्ंग स्पेस ,सवेर्ंट क्वॉर्टर भी होना चाहिए। हां , सबसे अहम बात है , प्रॉपर्टी की लोकेशन। हर कंपनी अच्छी और प्राइम लोकेशन पर बनी प्रॉपर्टी को ही गेस्ट हाउस के रूप में लेना चाहेगी। अच्छी लोकेशन वह मानी जाएगी , जहां शॉपिंग कॉम्प्लेक्स ,रेस्टोरेंट , मल्टिप्लेक्स और मेडिकल फेसिलिटी मौजूद हों।
पेइंग गेस्ट एकोमोडेशन
इस प्रकार का प्रॉपर्टी का इस्तेमाल भी काफी रिटर्न देने वाला हो सकता है। अगर आपकी प्रॉपर्टी किसी ऐसे इलाके में स्थित है , जहां कॉरपोरेट ऑफिस और कॉलेजों की अच्छी-खासी संख्या है , तो आप इस बारे में सोच सकते हैं।
यह बात गौरतलब है कि कॉरपोरेट गेस्ट हाउस की तुलना में पीजी एकोमोडेशन को महंगे रूप में फनिर्श्ड कराने की जरूरत नहीं पड़ती। अगर 3-4 बेडरूम का फ्लैट है , तो उसमें आसानी से 10-12 लोगों के लिए पीजी हाउस खोला जा सकता है , क्योंकि यह कॉन्सेप्ट शेयरिंग बेस पर काम करता है। सुविधाओं की बात करें , तो हर रूम में हर मेंबर के लिए बेड और अलमारी के अलावा कॉमन टेबल से काम चल जाएगा। कॉमन रूम में टीवी भी रखना होगा। फर्निशिंग , फूड ,गर्म पानी जैसी तमाम सुविधाओं के आधार पर किरायेदारों से चार्ज किया जा सकता है।
किराये पर
इनवेस्टर्स के लिए प्रॉपर्टी से रिटर्न लेने का सबसे आम जरिया उसे किराये पर देना होता है। ज्यादा किराया मिलने में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रोल प्रॉपर्टी की लोकेशन का होता है। बढ़िया लोकेशन से ज्यादा किराया हासिल किया जा सकता है।
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