हमेशा बिल्डर या सरकारी अथॉरिटी का फ्लैट ही पसंद नहीं आता , बल्कि कभी-कभी हाउसिंग सोसायटी में बनी प्रॉपर्टी भी मन को भा जाती है। खासतौर पर मेट्रो शहरों में ऐसी प्रॉपर्टी का काफी चलन है। खासकर , रीसेल मार्केट में। ऐसी प्रॉपर्टी खरीदने और बेचने के लिए क्या हैं नियम , डालते हैं एक नजर :
हाउसिंग सोसायटी से मतलब ऐसी सोसायटी से है , जो अपने सदस्यों को घर बनाने के लिए प्लॉट , रेडीमेड हाउस या फ्लैट ,कुछ कॉमन सुविधाएं और सेवाएं उपलब्ध कराती है। ऐसी सोसायटी को-ऑपरेटिव सोसायटी हो सकती है , जिसे सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंतर्गत रजिस्टर्ड कराया जाता है। एक एप्लिकेशन देकर हाउसिंग सोसायटी का मेंबर बना जा सकता है।
सोसायटी में फ्लैट का ट्रांसफर
- सोसायटी का मेंबर होने के नाते कोई भी व्यक्ति अपने हिस्से में सोसायटी की प्रॉपर्टी (फ्लैट , प्लॉट आदि) किसी दूसरे व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर कर सकता है। सोसायटी की प्रॉपर्टी को खुले बाजार की तरह रजिस्ट्री करके नहीं बेचा जा सकता।
- अगर कोई सोसायटी मेंबर अपने कब्जे में मौजूद सोसायटी का फ्लैट/हाउस या दूसरी प्रॉपर्टी किसी दूसरे सदस्य के नाम पर ट्रांसफर करना चाहता है , तो इसके लिए उसे कम से कम 15 दिन का नोटिस देना होगा। यह नोटिस तयशुदा फार्म पर सोसायटी के सचिव को देना होगा। इस फार्म पर उस व्यक्ति की सहमति भी लेनी होगी , जो इस प्रॉपर्टी को लेना चाहता है।
- नोटिस लेने पर सोसायटी का सचिव इसे कमिटी की अगली मीटिंग में रखेगा , जिसमें यह तय किया जाएगा कि मेंबर प्रॉपर्टी को कानूनी रूप से ट्रांसफर कर भी सकता है या नहीं ? अगर मेंबर प्रॉपर्टी ट्रांसफर नहीं कर सकता , तो कमिटी इस फैसले की सूचना मीटिंग के 3 दिन के अंदर उक्त सदस्य को दे देगी और यदि प्रॉपर्टी ट्रांसफर की जा सकती है , तो इस बारे में भी उक्त सदस्य को जानकारी दी जाएगी।
ट्रांसफर की प्रक्रिया
- सबसे पहले सोसायटी की प्रॉपर्टी के शेयर सटिर्फिकेट के साथ एक निर्धारित फार्म में ट्रांसफर की एप्लिकेशन सोसायटी के सचिव को देनी होगी।
- नए सदस्य की मेंबरशिप का फार्म भी जमा करें।
- अपनी मेंबरशिप छोड़ने का कारण बताते हुए सोसायटी के सभी बकाया भुगतान पूरा करें।
- नए सदस्य को सोसायटी की जनरल बॉडी द्वारा निर्धारित प्रीमियम अदा करना होगा। हालांकि अगर नया सदस्य पुराने सदस्य का कानूनी वारिस या परिवार का ही कोई सदस्य है , तो उसे इस भुगतान से छूट दी जा सकती है।
- नो ऑब्जेक्शन सटिर्फिकेट और एक डिक्लेरेशन जमा करना होगा।
- सोसायटी केवल उन्हीं परिस्थितियों में सटिर्फिकेट ट्रांसफर पर रोक लगा सकती है , जब सोसायटी या कानून के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा हो।
- अगर सटिर्फिकेट ट्रांसफर की एप्लिकेशन देने के 3 महीने तक मेंबर को इस पर किसी फैसले की सूचना नहीं दी जाती है ,तो यह माना जाता है कि उसकी एप्लिकेशन स्वीकार कर ली गई है और नए व्यक्ति को सोसायटी का मेंबर बना दिया गया है।
हाउसिंग सोसायटी से मतलब ऐसी सोसायटी से है , जो अपने सदस्यों को घर बनाने के लिए प्लॉट , रेडीमेड हाउस या फ्लैट ,कुछ कॉमन सुविधाएं और सेवाएं उपलब्ध कराती है। ऐसी सोसायटी को-ऑपरेटिव सोसायटी हो सकती है , जिसे सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंतर्गत रजिस्टर्ड कराया जाता है। एक एप्लिकेशन देकर हाउसिंग सोसायटी का मेंबर बना जा सकता है।
सोसायटी में फ्लैट का ट्रांसफर
- सोसायटी का मेंबर होने के नाते कोई भी व्यक्ति अपने हिस्से में सोसायटी की प्रॉपर्टी (फ्लैट , प्लॉट आदि) किसी दूसरे व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर कर सकता है। सोसायटी की प्रॉपर्टी को खुले बाजार की तरह रजिस्ट्री करके नहीं बेचा जा सकता।
- अगर कोई सोसायटी मेंबर अपने कब्जे में मौजूद सोसायटी का फ्लैट/हाउस या दूसरी प्रॉपर्टी किसी दूसरे सदस्य के नाम पर ट्रांसफर करना चाहता है , तो इसके लिए उसे कम से कम 15 दिन का नोटिस देना होगा। यह नोटिस तयशुदा फार्म पर सोसायटी के सचिव को देना होगा। इस फार्म पर उस व्यक्ति की सहमति भी लेनी होगी , जो इस प्रॉपर्टी को लेना चाहता है।
- नोटिस लेने पर सोसायटी का सचिव इसे कमिटी की अगली मीटिंग में रखेगा , जिसमें यह तय किया जाएगा कि मेंबर प्रॉपर्टी को कानूनी रूप से ट्रांसफर कर भी सकता है या नहीं ? अगर मेंबर प्रॉपर्टी ट्रांसफर नहीं कर सकता , तो कमिटी इस फैसले की सूचना मीटिंग के 3 दिन के अंदर उक्त सदस्य को दे देगी और यदि प्रॉपर्टी ट्रांसफर की जा सकती है , तो इस बारे में भी उक्त सदस्य को जानकारी दी जाएगी।
ट्रांसफर की प्रक्रिया
- सबसे पहले सोसायटी की प्रॉपर्टी के शेयर सटिर्फिकेट के साथ एक निर्धारित फार्म में ट्रांसफर की एप्लिकेशन सोसायटी के सचिव को देनी होगी।
- नए सदस्य की मेंबरशिप का फार्म भी जमा करें।
- अपनी मेंबरशिप छोड़ने का कारण बताते हुए सोसायटी के सभी बकाया भुगतान पूरा करें।
- नए सदस्य को सोसायटी की जनरल बॉडी द्वारा निर्धारित प्रीमियम अदा करना होगा। हालांकि अगर नया सदस्य पुराने सदस्य का कानूनी वारिस या परिवार का ही कोई सदस्य है , तो उसे इस भुगतान से छूट दी जा सकती है।
- नो ऑब्जेक्शन सटिर्फिकेट और एक डिक्लेरेशन जमा करना होगा।
- सोसायटी केवल उन्हीं परिस्थितियों में सटिर्फिकेट ट्रांसफर पर रोक लगा सकती है , जब सोसायटी या कानून के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा हो।
- अगर सटिर्फिकेट ट्रांसफर की एप्लिकेशन देने के 3 महीने तक मेंबर को इस पर किसी फैसले की सूचना नहीं दी जाती है ,तो यह माना जाता है कि उसकी एप्लिकेशन स्वीकार कर ली गई है और नए व्यक्ति को सोसायटी का मेंबर बना दिया गया है।
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