Friday, May 13, 2011

नोएडा एक्सटेंशन में जमीन का अधिग्रहण निरस्त-प्रॉपर्टी-बिज़नस-Navbharat Times

नोएडा एक्सटेंशन में जमीन का अधिग्रहण निरस्त-प्रॉपर्टी-बिज़नस-Navbharat Times

ग्रेटर नोएडा।। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नोएडा एक्सटेंशन के लिए अधिग्रहित की गई 159 हेक्टेयर जमीन की अधिग्रहण प्रक्रिया निरस्त कर दी है। साथ ही प्रशासन से पूछा है कि आखिर ऐसी क्या जल्दी थी, जो किसानों का पक्ष सुने बगैर ही जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई।

इससे बिल्डर्स में हड़कंप मच गया है। इस जमीन पर कई नामी बिल्डर्स के प्रोजेक्ट हैं। इसमें हजारों लोगों ने फ्लैट बुक कराया हुआ है। बिल्डर्स ने यहां 8वीं मंजिल तक निर्माण भी करा लिया है।

ग्रेटर नोएडा सेक्टर-1 के बिसरख एरिया में 28 गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इन पर बिल्डर्स के कई प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। जानकारी के मुताबिक कोर्ट ने साहबेरी गांव के जमीन का ही अधिग्रहण रद्द किया है।

किसानों की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस आदेश से ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को जोरदार झटका लगा है। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने बिसरख एरिया के आसपास बिल्डर्स स्कीम लॉन्च की थी। जमीन अधिग्रहण के लिए 13 जून 2009 को धारा-4 की कार्रवाई की गई थी। नियम के अनुसार धारा-4 के बाद धारा-5 ए की कार्रवाई की जाती है। इसमें किसानों का पक्ष सुना जाता है।

किसान अगर अधिग्रहण के खिलाफ आपत्ति लगाते हैं तो उसका समाधान करने के बाद ही अधिग्रहण प्रक्रिया आगे बढ़ती है। आरोप है कि प्रशासन की रिपोर्ट पर शासन ने धारा-5 ए के बजाय 13 नवंबर 2009 को सीधे धारा-6 की कार्रवाई कर डाली।

किसानों ने इसका स्थानीय प्रशासन से विरोध किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उसके बाद साहबेरी गांव के किसान देवेंद्र वर्मा, आले नदी समेत करीब डेढ़ सौ किसानों ने 28 मार्च 2010 को हाईकोर्ट में गुहार लगाई।

कोर्ट में किसानों ने आरोप लगाया कि औद्योगिक विकास के नाम पर अधिग्रहण के लिए नोटिफिकेशन किया गया, जबकि जमीन को बिल्डर्स को बेचा गया। इसके लिए लैंडयूज भी चेंज नहीं किया गया। साथ ही किसानों को 850 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर मुआवजा दिया गया, जबकि बिल्डर्स को करीब साढे़ दस हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से बेचा गया।

इस संबंध में हाई कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। इलाहाबाद हाई कोर्ट की कोर्ट नंबर-35 में संयुक्त बेंच के जज सुनील अंबानी व काशीनाथ ने ग्रेटर नोएडा प्रशासन को इस संबंध में फटकार लगाई।

इससे बिल्डर्स में हडकंप मच गया है। जिस जमीन की अधिग्रहण प्रक्रिया निरस्त की गई है, उस पर महागुन बिल्डर्स, आम्रपाली, सुपरटेक और पंचशील बिल्डर्स के प्रोजेक्ट हैं। इन बिल्डरों ने लोगों के फ्लैट बुक भी कर लिए हैं। इस संबंध में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के डीसीईओ पी. सी. गुप्ता का कहना है कि उन्होंने अभी हाई कोर्ट के फैसले की प्रति नहीं मिली है। उसका अध्ययन करने के बाद आगे की कार्रवाई के संबंध में फैसला लिया जाएगा।

अगर अधिग्रहण प्रक्रिया में माननीय न्यायालय ने कोई कमी पाई है तो अधिग्रहण प्रक्रिया को दोबारा करेंगे और जरूरत पड़ने पर पुन: याचिका दायर करेंगे।

क्या करेंगे लोग
- जिन लोगों ने यहां फ्लैट की बुकिंग कराई है, उन्हें आगे चलकर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
- वे बुकिंग कैंसल करा सकते हैं, लेकिन बिल्डर फौरन उनका पैसा लौटा पाएंगे, यह देखना होगा।
- लोग अदालती लड़ाई में अगले मोड़ का इंतजार कर सकते हैं या फिर खुद अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
- लेकिन इस दौरान लागत बढ़ सकती है। अगर मामला लंबा खिंच गया तो फ्लैट की डिलीवरी में भी देरी होगी।

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