शायद आपने भी 11 महीने के लीज एग्रीमेंट पर साइन किए हों, लेकिन कभी यह सोचा है कि इसे सीधे एक साल का ही क्यों नहीं बनवाया गया?
मकान लीज पर देना रेंटल इनकम हासिल करने का सबसे सुरक्षित और प्रचलित तरीका होता है। आपने अक्सर देखा होगा या शायद खुद आपके मामले में भी ऐसा हुआ होगा कि आपके मकान मालिक ने 11 महीने की ही लीज डीड बनाकर आपको दी। भले ही दोनों पार्टियों का इरादा जल्दी मकान खाली करने का नहीं है। ऐसा भला क्यों? इसके पीछे कानूनी नियम भी एक वजह है।
दरअसल, एक साल से ज्यादा समय की लीज या सालाना किराया तय करने पर इसके कागजात रजिस्टर्ड कराने की बाध्यता है। इसी बंधन से बचने के लिए लीज डॉक्युमेंट का टाइम एक साल से कम रखा जाता है और बस उस पर नोटरी की ही मुहर लगवा दी जाती है।
यहां सालाना किराया तय करने से मतलब यह है कि जब पूरे साल के लिए किराया तो तय हो जाए, लेकिन लीज का समय निर्धारित न हो।
' ईयर टू ईयर' लीज डॉक्युमेंट
भले ही लीज या रेंट एग्रीमेंट 11 महीने के ही तैयार कराये जाते हैं, लेकिन उन्हें बार-बार बनवाने से बचने का विकल्प भी होता है। वह है- 'ईयर टू ईयर' लीज डॉक्युमेंट। अगर इसका रजिस्ट्रेशन करा लिया जाए, तो इससे यह मतलब होता है कि लीज खुद-ब-खुद एक से अगले साल में प्रवेश कर जाएगी। इस स्थिति में मकान मालिक के पास यह अधिकार नहीं होता कि साल के अंत में बिना नोटिस दिए लीज खत्म कर सके।
अगर वह मकान पर फिर से अपना कब्जा चाहता है, तो इसके लिए उसे किराएदार को लीज खत्म करने का नोटिस देना होगा। इस तरह के रजिस्ट्रेशन में जरूरी है कि लीज का समय एक साल से ज्यादा हो। सीधे शब्दों में कह सकते हैं कि अगर कोई लीज एक साल से ज्यादा समय के लिए कराई जाए, तो इसे बाकायदा रजिस्टर्ड कराना जरूरी है।
मकान लीज पर देना रेंटल इनकम हासिल करने का सबसे सुरक्षित और प्रचलित तरीका होता है। आपने अक्सर देखा होगा या शायद खुद आपके मामले में भी ऐसा हुआ होगा कि आपके मकान मालिक ने 11 महीने की ही लीज डीड बनाकर आपको दी। भले ही दोनों पार्टियों का इरादा जल्दी मकान खाली करने का नहीं है। ऐसा भला क्यों? इसके पीछे कानूनी नियम भी एक वजह है।
दरअसल, एक साल से ज्यादा समय की लीज या सालाना किराया तय करने पर इसके कागजात रजिस्टर्ड कराने की बाध्यता है। इसी बंधन से बचने के लिए लीज डॉक्युमेंट का टाइम एक साल से कम रखा जाता है और बस उस पर नोटरी की ही मुहर लगवा दी जाती है।
यहां सालाना किराया तय करने से मतलब यह है कि जब पूरे साल के लिए किराया तो तय हो जाए, लेकिन लीज का समय निर्धारित न हो।
' ईयर टू ईयर' लीज डॉक्युमेंट
भले ही लीज या रेंट एग्रीमेंट 11 महीने के ही तैयार कराये जाते हैं, लेकिन उन्हें बार-बार बनवाने से बचने का विकल्प भी होता है। वह है- 'ईयर टू ईयर' लीज डॉक्युमेंट। अगर इसका रजिस्ट्रेशन करा लिया जाए, तो इससे यह मतलब होता है कि लीज खुद-ब-खुद एक से अगले साल में प्रवेश कर जाएगी। इस स्थिति में मकान मालिक के पास यह अधिकार नहीं होता कि साल के अंत में बिना नोटिस दिए लीज खत्म कर सके।
अगर वह मकान पर फिर से अपना कब्जा चाहता है, तो इसके लिए उसे किराएदार को लीज खत्म करने का नोटिस देना होगा। इस तरह के रजिस्ट्रेशन में जरूरी है कि लीज का समय एक साल से ज्यादा हो। सीधे शब्दों में कह सकते हैं कि अगर कोई लीज एक साल से ज्यादा समय के लिए कराई जाए, तो इसे बाकायदा रजिस्टर्ड कराना जरूरी है।
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