रियल एस्टेट में जल्द खुलेगा एस्क्रो एकाउंट-प्रॉपर्टी न्यूज-प्रॉपर्टी-Economic Times Hindi
नई दिल्ली : रिजर्व बैंक ने बैंकों से रियल एस्टेट कंपनियों को दिए जाने वाले लोन की रकम तय करने और फंड के आखिरी इस्तेमाल की बेहतर निगरानी के लिए एस्क्रो मैकेनिज्म तैयार करने को कहा है। इस तंत्र से कर्जदाताओं के हितों की रक्षा की जा सकेगी और साथ ही परियोजनाओं को भी वक्त रहते अमली जामा पहनाने में आसानी होगी।
रियल्टी कंसल्टेंसी जोंस लैंग लसाल मेघराज के चेयरमैन और कंट्री हेड अनुज पुरी ने कहा, 'परियोजनाओं को वक्त रहते पूरा करने के अलावा इस कदम से फंड के इस्तेमाल में भी पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकेगी।' भारतीय रिजर्व बैंक पिछले साल हाउसिंग फाइनेंस घोटाले के बाद कर्ज देने के नियम सख्त बनाने पर विचार कर रहा है। इस घोटाले में फंड इधर-उधर करने समेत कई अनैतिक तौर-तरीके इस्तेमाल किए गए थे।
आरबीआई ने बैंकों को पहले मशविरा दिया था कि फंड के अंतिम इस्तेमाल पर करीबी निगाह रखी जाए और कुछ सप्ताह बाद अब उनसे रियल एस्टेट कंपनियों को प्रोजेक्ट लोन मुहैया कराने के वक्त एस्क्रो मैकेनिज्म तैयार करने को कहा है।
एस्क्रो एकाउंट से रिपेमेंट जोखिम को लेकर न केवल कर्ज देने वाली कंपनियों के हितों की रक्षा होगी, बल्कि निगरानी तंत्र भी बेहतर बनाया जा सकेगा। एस्क्रो प्रबंधन के तहत कर्ज लेने वाली कंपनियों के ग्राहकों से मिलने वाली रकम एक विशेष खाते में जाएगी। खाते से यह रकम पहले से तय शर्तों के मुताबिक, डिस्बर्स की जाएगी और इसका सबसे पहला इस्तेमाल लोन चुकाने में होगा। इस संबंध में आरबीआई को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं आया। रियल एस्टेट कंपनियों ने जांच-पड़ताल और निगरानी तंत्र मजबूत बनाने का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे बैंक फंड प्रवाह में आसानी होगी।
दिल्ली की रियल एस्टेट कंपनी अंसल एपीआई के संयुक्त एमडी और सीईओ अनिल कुमार ने कहा, 'इस तरह के उपायों से हमारे जैसे सेक्टर की कंपनियों को बिना किसी अवरोध के बैंक लोन तक पहुंचने में मदद मिलेगी।' आरबीआई की ओर से सुझाया गया एस्क्रो इंतजाम डेवलपर, बैंकर और मकान खरीदने वाले ग्राहक के बीच होने वाले त्रिपक्षीय समझौते से क्रियान्वयन में लाया जाएगा।
मुंबई के एक प्रमुख डेवलपर निरंजन हीरानंदानी ने कहा, 'प्रोजेक्ट लोन हमेशा ही विशेष परियोजना से जुड़े होते हैं। अगर एस्क्रो एकाउंट अनिवार्य कर दिए जाते हैं, तो इससे फंड का आखिरी इस्तेमाल खुद ब खुद सुनिश्चित हो जाएगा।' घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि कुछ बैंकों ने रियल एस्टेट कंपनियों को लोन देते वक्त एस्क्रो एकाउंट बनाना पहले ही शुरू कर दिया है। इस मैकेनिज्म से खरीदारों की चिंताएं दूर हो सकती हैं, जो स्टार्ट-अप परियोजनाओं में निवेश करने को लेकर हिचकिचाहट दिखाते हैं। आवासीय सेगमेंट में प्रोजेक्ट पूरा करने की तारीख आम तौर पर तय समयसीमा से 12 महीने आगे तक खिसक जाती है।
रियल्टी कंसल्टेंसी जोंस लैंग लसाल मेघराज के चेयरमैन और कंट्री हेड अनुज पुरी ने कहा, 'परियोजनाओं को वक्त रहते पूरा करने के अलावा इस कदम से फंड के इस्तेमाल में भी पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकेगी।' भारतीय रिजर्व बैंक पिछले साल हाउसिंग फाइनेंस घोटाले के बाद कर्ज देने के नियम सख्त बनाने पर विचार कर रहा है। इस घोटाले में फंड इधर-उधर करने समेत कई अनैतिक तौर-तरीके इस्तेमाल किए गए थे।
आरबीआई ने बैंकों को पहले मशविरा दिया था कि फंड के अंतिम इस्तेमाल पर करीबी निगाह रखी जाए और कुछ सप्ताह बाद अब उनसे रियल एस्टेट कंपनियों को प्रोजेक्ट लोन मुहैया कराने के वक्त एस्क्रो मैकेनिज्म तैयार करने को कहा है।
एस्क्रो एकाउंट से रिपेमेंट जोखिम को लेकर न केवल कर्ज देने वाली कंपनियों के हितों की रक्षा होगी, बल्कि निगरानी तंत्र भी बेहतर बनाया जा सकेगा। एस्क्रो प्रबंधन के तहत कर्ज लेने वाली कंपनियों के ग्राहकों से मिलने वाली रकम एक विशेष खाते में जाएगी। खाते से यह रकम पहले से तय शर्तों के मुताबिक, डिस्बर्स की जाएगी और इसका सबसे पहला इस्तेमाल लोन चुकाने में होगा। इस संबंध में आरबीआई को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं आया। रियल एस्टेट कंपनियों ने जांच-पड़ताल और निगरानी तंत्र मजबूत बनाने का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे बैंक फंड प्रवाह में आसानी होगी।
दिल्ली की रियल एस्टेट कंपनी अंसल एपीआई के संयुक्त एमडी और सीईओ अनिल कुमार ने कहा, 'इस तरह के उपायों से हमारे जैसे सेक्टर की कंपनियों को बिना किसी अवरोध के बैंक लोन तक पहुंचने में मदद मिलेगी।' आरबीआई की ओर से सुझाया गया एस्क्रो इंतजाम डेवलपर, बैंकर और मकान खरीदने वाले ग्राहक के बीच होने वाले त्रिपक्षीय समझौते से क्रियान्वयन में लाया जाएगा।
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