होम लोन लेने से पहले सिर्फ इंटरेस्ट पर ही निगाह नहीं डालें, बल्कि इसके अलावा और भी कई बातों के बारे में जानकारी हासिल कर लें। इससे आप बिल्कुल सही फाइनैंस कंपनी से लोन ले सकेंगे और आपको कोई परेशानी नहीं होगी।
होम लोन के रूप में हर व्यक्ति बड़ी रकम उधार लेता है, जिसे चुकाने में उसकी उम्र का अच्छा-खासा हिस्सा बीत जाता है। ऐसे में जरूरी है कि इस लोन को लेते समय कुछ बातों का खास ख्याल रखा जाए। लोन लेने से पहले केवल यही नहीं देखना होता कि कौन-सी कंपनी कम इंटरेस्ट पर लोन दे रही है, बल्कि इसके अलावा भी कई मुद्दों पर गौर करना अच्छा रहता है।
रकम का इंतजाम
कोई भी फाइनैंस कंपनी प्रॉपर्टी की कुल रकम का ज्यादा से ज्यादा 80 से 90 पर्सेंट तक ही लोन के रूप में दे सकती है। बाकी की रकम का इंतजाम आपको खुद ही करना होगा। हालांकि आप अपने बजट के हिसाब से कंपनी को बता सकते हैं कि आपको कितना पर्सेंट लोन चाहिए और कितनी रकम आप डाउन पेमेंट के रूप में दे सकते हैं।
इसके अलावा, रजिस्ट्रेशन फीस और स्टाम्प ड्यूटी की रकम भी आपको जुटानी होगी। यह रकम कितनी है, यह प्रॉपर्टी की लोकेशन पर डिपेंड करता है। लोन एप्लीकेशन के साथ फाइनैंस कंपनी द्वारा चार्ज की जाने वाली प्रोसेसिंग और एडमिनिस्ट्रेशन फीस को तो आप नहीं भूल रहे हैं न। यह लोन की रकम का 1.5 से 2 पर्सेंट होगी, जो आपको ही चुकानी होगी।
प्रीपेमेंट के आसार
अगर आपको लगता है कि आप हाउसिंग लोन की अवधि पूरी होने से पहले ही मोटी रकम का इंतजाम करके इसे चुकता कर देंगे, तो यह स्थिति लोन का प्री-पेमेंट कहलाएगी। एक आम आदमी के लिए इसकी संभावना तब बनती है, जब उसे कोई पुश्तैनी धन मिले या फिर वह कोई प्रॉपर्टी बेचकर लोन चुकता करना चाहे। खैर, अगर आप प्री-पेमेंट प्लान कर रहे हैं, तो सबसे पहले मालूम करें कि आपको लोन देने वाली कंपनी में इसके लिए क्या शर्तें हैं?
आमतौर पर सभी हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों और बैंकों में लोन प्री-पेमेंट की छूट होती है। आपको बस यह देखना है कि इसके बदले में आपसे कितनी रकम पैनल्टी के रूप में वसूली जा रही है। यह रकम प्री-पेमेंट के रूप में दी जा रहे पैसे का लगभग 2 पर्सेंट होती है, लेकिन कुछ कंपनियां कोई पैनल्टी नहीं भी वसूलतीं। ऐसे में अगर आपको थोड़ी-बहुत रकम समय से पहले चुकाने के आसार लग रहे हैं, तो उसी कंपनी से लोन लें, जो पैनल्टी चार्ज नहीं करती।
जल्दी से जल्दी
कल्पना कीजिए कि कोई प्रॉपर्टी आपको पसंद आ चुकी है और बातचीत भी लगभग तय हो गई है। बस, पेमेंट करके रजिस्ट्री करानी बाकी है। आपने हाउसिंग लोन के लिए काफी पहले ही एप्लाई कर दिया था, लेकिन फाइनैंस कंपनी ने लोन अभी तक एप्रूव नहीं किया है या किया भी है, तो चेक देने में टालमटोल चल रही है। उधर, बिल्डर के पास कोई और पार्टी जाती है और सारी रकम चुकाकर आपकी पसंद की प्रॉपर्टी खरीद लेती है।
इस तरह किसी फाइनैंस कंपनी की लापरवाही से आपके हाथ से बढ़िया प्रॉपर्टी निकल न जाए, इससे बचने के लिए जरूरी है कि आप सावधानी बरतते हुए उसी कंपनी से लोन लें, जो आपका लोन जल्दी से जल्दी पास करने का वादा करे। हां, इसके वादे और हकीकत की जांच करने के लिए आप कंपनी से लोन लेने वाले दूसरे ग्राहकों से बातचीत कर सकते हैं।
बाकी फायदे देखें
कुछ हाउसिंग फाइनैंस कंपनियां या बैंक हाउसिंग लोन लेने पर एक्सीडेंटल डेथ कवर देते हैं। इसके लिए आपसे कोई अतिरिक्त रकम नहीं वसूली जाती। यह आपके और आपके परिवार की सुरक्षा के लिए वाकई जरूरी है, इसलिए यह डील अच्छी रहेगी। इस पॉलिसी के तहत अगर लोन लेने वाले को कुछ हो जाता है, तो बाकी लोन चुकता करने की जिम्मेदारी उसके परिवार की नहीं होगी, बल्कि इंश्योरेंस कवर से यह लोन चुकता हो जाएगा और फैमिली को कोई ईएमआई नहीं देनी पडे़गी
होम लोन के रूप में हर व्यक्ति बड़ी रकम उधार लेता है, जिसे चुकाने में उसकी उम्र का अच्छा-खासा हिस्सा बीत जाता है। ऐसे में जरूरी है कि इस लोन को लेते समय कुछ बातों का खास ख्याल रखा जाए। लोन लेने से पहले केवल यही नहीं देखना होता कि कौन-सी कंपनी कम इंटरेस्ट पर लोन दे रही है, बल्कि इसके अलावा भी कई मुद्दों पर गौर करना अच्छा रहता है।
रकम का इंतजाम
कोई भी फाइनैंस कंपनी प्रॉपर्टी की कुल रकम का ज्यादा से ज्यादा 80 से 90 पर्सेंट तक ही लोन के रूप में दे सकती है। बाकी की रकम का इंतजाम आपको खुद ही करना होगा। हालांकि आप अपने बजट के हिसाब से कंपनी को बता सकते हैं कि आपको कितना पर्सेंट लोन चाहिए और कितनी रकम आप डाउन पेमेंट के रूप में दे सकते हैं।
इसके अलावा, रजिस्ट्रेशन फीस और स्टाम्प ड्यूटी की रकम भी आपको जुटानी होगी। यह रकम कितनी है, यह प्रॉपर्टी की लोकेशन पर डिपेंड करता है। लोन एप्लीकेशन के साथ फाइनैंस कंपनी द्वारा चार्ज की जाने वाली प्रोसेसिंग और एडमिनिस्ट्रेशन फीस को तो आप नहीं भूल रहे हैं न। यह लोन की रकम का 1.5 से 2 पर्सेंट होगी, जो आपको ही चुकानी होगी।
प्रीपेमेंट के आसार
अगर आपको लगता है कि आप हाउसिंग लोन की अवधि पूरी होने से पहले ही मोटी रकम का इंतजाम करके इसे चुकता कर देंगे, तो यह स्थिति लोन का प्री-पेमेंट कहलाएगी। एक आम आदमी के लिए इसकी संभावना तब बनती है, जब उसे कोई पुश्तैनी धन मिले या फिर वह कोई प्रॉपर्टी बेचकर लोन चुकता करना चाहे। खैर, अगर आप प्री-पेमेंट प्लान कर रहे हैं, तो सबसे पहले मालूम करें कि आपको लोन देने वाली कंपनी में इसके लिए क्या शर्तें हैं?
आमतौर पर सभी हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों और बैंकों में लोन प्री-पेमेंट की छूट होती है। आपको बस यह देखना है कि इसके बदले में आपसे कितनी रकम पैनल्टी के रूप में वसूली जा रही है। यह रकम प्री-पेमेंट के रूप में दी जा रहे पैसे का लगभग 2 पर्सेंट होती है, लेकिन कुछ कंपनियां कोई पैनल्टी नहीं भी वसूलतीं। ऐसे में अगर आपको थोड़ी-बहुत रकम समय से पहले चुकाने के आसार लग रहे हैं, तो उसी कंपनी से लोन लें, जो पैनल्टी चार्ज नहीं करती।
जल्दी से जल्दी
कल्पना कीजिए कि कोई प्रॉपर्टी आपको पसंद आ चुकी है और बातचीत भी लगभग तय हो गई है। बस, पेमेंट करके रजिस्ट्री करानी बाकी है। आपने हाउसिंग लोन के लिए काफी पहले ही एप्लाई कर दिया था, लेकिन फाइनैंस कंपनी ने लोन अभी तक एप्रूव नहीं किया है या किया भी है, तो चेक देने में टालमटोल चल रही है। उधर, बिल्डर के पास कोई और पार्टी जाती है और सारी रकम चुकाकर आपकी पसंद की प्रॉपर्टी खरीद लेती है।
इस तरह किसी फाइनैंस कंपनी की लापरवाही से आपके हाथ से बढ़िया प्रॉपर्टी निकल न जाए, इससे बचने के लिए जरूरी है कि आप सावधानी बरतते हुए उसी कंपनी से लोन लें, जो आपका लोन जल्दी से जल्दी पास करने का वादा करे। हां, इसके वादे और हकीकत की जांच करने के लिए आप कंपनी से लोन लेने वाले दूसरे ग्राहकों से बातचीत कर सकते हैं।
बाकी फायदे देखें
कुछ हाउसिंग फाइनैंस कंपनियां या बैंक हाउसिंग लोन लेने पर एक्सीडेंटल डेथ कवर देते हैं। इसके लिए आपसे कोई अतिरिक्त रकम नहीं वसूली जाती। यह आपके और आपके परिवार की सुरक्षा के लिए वाकई जरूरी है, इसलिए यह डील अच्छी रहेगी। इस पॉलिसी के तहत अगर लोन लेने वाले को कुछ हो जाता है, तो बाकी लोन चुकता करने की जिम्मेदारी उसके परिवार की नहीं होगी, बल्कि इंश्योरेंस कवर से यह लोन चुकता हो जाएगा और फैमिली को कोई ईएमआई नहीं देनी पडे़गी
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