Wednesday, March 2, 2011

मकान खरीदने से पहले तलाश करें कुछ अहम सवालों के जवाब-प्रॉपर्टी न्यूज-प्रॉपर्टी-Economic Times Hindi

मकान खरीदने से पहले तलाश करें कुछ अहम सवालों के जवाब-प्रॉपर्टी न्यूज-प्रॉपर्टी-Economic Times Hindi

अपना घर होने का सपना जब पूरा होता है तो यह किसी भी दूसरी भौतिक चीज का मालिक बनने के मुकाबले मन को कहीं ज्यादा सुकून देता है, लेकिन खुद का घर होने की दिली इच्छा पूरी करने के चक्कर में कुछ अहम बातों को दरकिनार करना आपके लिए दिक्कत का सबब बन सकता है।

क्या बिल्डर के पास सही मंजूरियां हैं?

आप अपने डेवलपर से निरस्ती की सूचना (इंटीमेशन ऑफ डिसअप्रूवल-आईओडी) और काम शुरू होने का प्रमाणपत्र (कमेंसमेंट सटिर्फिकेट-सीसी) जैसे अहम दस्तावेजों की कॉपी मांग सकते हैं। निर्माणाधीन प्रॉपर्टी के मामले में आप प्रोजेक्ट की कुछ अप्रूव्ड ड्राइंग तक को देख सकते हैं। आईओडी से उन शर्तों का पता चलता है जिनके आधार पर बिल्डिंग का निर्माण होना चाहिए। यह अमूमन एक साल के लिए वैध होता है और इसके बाद इसकी वैधता फिर से लेनी होती है।

कमेंसमेंट सर्टिफिकेट यानी सीसी स्थानीय प्राधिकरण जारी करते हैं। ये प्राधिकरण बिल्डर को कंस्ट्रक्शन शुरू करने का लाइसेंस तभी देते हैं जबकि वे सभी शर्तों और नियमों के पूरे होने को लेकर संतुष्ट होते हैं। अगर आप प्रोजेक्ट के सीसी की जांच नहीं करते हैं तो हो सकता है आप ऐसी प्रॉपर्टी में पैसा लगा रहे हों जिसका कभी भी निर्माण न हो। इन दस्तावेजों से आपको यह भी पता चलता है कि निर्माण कार्य ऐसी जमीन पर तो नहीं हो रहा है जिस पर स्थानीय निकाय की ओर से रोक लगाई गई हो।

एक और अहम बिंदु भूमि के मालिकाना हक का है। जमीन किसी भी तरह के कानूनी विवाद और कर्ज से मुक्त होनी चाहिए। खरीदार को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि प्रॉपर्टी में पानी की समुचित सप्लाई हो और अच्छी बिजली की व्यवस्था हो। साथ ही, इससे संबंधित दस्तावेज भी देख लें। मकान खरीदने वाले 95 फीसदी लोग होम लोन के लिए आवेदन करते हैं। ऐसे में, अगर कोई खरीदार मकान की बुकिंग करने से पहले उसका पूरा आकलन नहीं करता है तो हाउसिंग फाइनेंस कंपनी लोन जारी करने से पहले उसके पूरे कानूनी और कागजी चीजों की जांच करती है। नाइट फ्रैंक के डायरेक्टर गुलाम जिया के मुताबिक, होम लोन कंपनियां प्रोसेसिंग फीस लेती हैं, लेकिन यह काफी जरूरी होता है।

क्या आप मॉर्टगेज प्रॉपर्टी में पैसा लगा रहे हैं?

यह आपके लिए शायद कम महत्व की चीज हो कि आपके खरीदे जा रहे मकान को हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से पैसा मिल रहा है या बैंक से, लेकिन प्रॉपर्टी खरीदे जाते वक्त यह अहम है कि इस प्रॉपर्टी का वास्तविक मालिक कौन है। वास्तव में, ऐसी कई मिसाल हैं जहां ग्राहक से चेक डेवलपर के नाम से करने के बजाय इसे बैंक के नाम से करने को कहा जाता है ताकि इसका आंशिक भुगतान किया जा सके। ऐसे में, सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसमें एक वकील को शामिल कीजिए और मालिकाना हक के बारे में पक्की जानकारी हासिल कर लीजिए। वकील सब-रजिस्ट्रार, सोसाइटी, कॉरपोरेशन या दूसरे अधिकारियों के दफ्तर से संबंधित दस्तावेजों को हासिल कर जानकारी निकाल सकता है।

अगर आप किसी बिल्डर से ऐसी प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं जिस पर काम चल रहा है तो इस बात की जानकारी कर लीजिए कि यह पहले से ही किसी कर्जदाता के पास गिरवी तो नहीं रखी है। एस एन गुप्ता एंड कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर राजेश नारायण गुप्ता के मुताबिक, 'अगर कोई प्रॉपर्टी पहले से ही मॉर्टगेज पर है तो इस पर कर्जदाता से अनापत्ति प्रमाणपत्र (नो ऑब्जेक्शन सटिर्फिकेट) हासिल करने की कोशिश कीजिए।'

घर की कुल लागत क्या होगी?

घर की लागत में केवल प्रति वर्ग फुट जमीन की दर से कुल एरिया की कीमत ही नहीं होती है। इसमें स्टॉप ड्यूटी, मेंटेनेंस, इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में रजिस्टेशन, इलेक्ट्रिक मीटर का शुल्क, फर्निशिंग की लागत, फिटिंग और दूसरे खर्च होते हैं। इन खर्चों से ही आपका बजट गड़बड़ा सकता है। घर की कीमत के बाद सबसे बड़ी लागत स्टांप ड्यूटी होती है जो कि अनिवार्य खर्च है और जिसे टाला नहीं जा सकता है।


क्या मैं प्री-ईएमआई पर टैक्स में छूट हासिल कर सकता हूं?

रेगुलर हाउसिंग लोन के उलट, बिल्डर को एक बार में पूरी रकम नहीं दी जाती है। यह बिल्डर के कराए जाने वाले काम के हिसाब से जारी होती है। इसकी शर्तें पहले से ही तय होती हैं। ऐसे में, आप केवल दी गई रकम के ब्याज घटक को देते हैं जो प्री-ईएमआई मानी जाती है। आपको प्री-ईएमआई पर कर से राहत तभी मिल सकती है जबकि कंस्ट्रक्शन पूरा हो चुका हो।

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