राजधानी में प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त का कारोबार फिलहालठप पड़ा है। इस मामले में दिल्ली सरकार द्वारा कड़े कानून बनाएजाने से सभी रजिस्ट्रार कार्यालय सूने पड़े हैं। वहां के डीड राइटर्सतो परेशान हैं ही कि उनकी रोजीरोटी पर असर हो रहा है साथही कार्यालय के अधिकारी भी परेशान हैं कि सरकार ने अचानकनियमों को कड़ा क्यों कर दिया। माना जा रहा है कि सरकार केदो विभागों के बीच में चल रही तनातनी के कारण इस मामले काकोई हल नहीं निकल पा रहा है।
राजस्व विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी डी . एम . सपोलिया ने हालही में सभी रजिस्ट्रार कार्यालयों में आदेश भेजा कि राजधानी मेंअब उसी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होगी जिसके पास सेफ्टी स्ट्रक्चरलसर्टिफिकेट तो होगा ही साथ ही उस प्रॉपर्टी का सैंक्शन प्लान ( स्वीकृत नक्शा ) भी हो। आदेश यह भी कहता है कि किसीप्रॉपर्टी में अगर अतिरिक्त निर्माण है तो वह भी संबंधित विभाग से पास होना चाहिए।
इस आदेश का असर काफी गंभीर हुआ , जिसके कारण प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त पूरी तरह रुक गई है। असल में इसआदेश में यह नहीं बताया गया कि सेफ्टी स्ट्रक्चरल सर्टिफिकेट कौन देगा। डीड राइटर्स ने जब इस बाबत एमसीडीअफसरों से बात की तो उन्होंने यह सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया। दूसरी अड़चन यह है कि राजधानी में प्लॉट पर बनीप्रॉपर्टी के अलावा किसी भी प्रॉपर्टी का नक्शा जारी नहीं किया जाता है। पुरानी दिल्ली में एकाध को छोड़कर किसीप्रॉपर्टी का नक्शा नहीं है। गांवों , पुनर्वास कॉलोनियों , अनधिकृत कॉलोनियों के अलावा डीडीए भी अपने मकान बेचतेसमय नक्शा नहीं देता है। तीसरा पेच यह है कि लोग अपनी जिस भी प्रॉपर्टी मंे अतिरिक्त निर्माण करते हैं , तो उसकाअलग से नक्शा पास नहीं कराते हैं।
पीतमपुरा रोहिणी बार असोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीन गर्ग इसे सरकार का तुगलकी आदेश बताते हैं और कहते हैं कि इसआदेश ने प्रॉपर्टी का कारोबार तो ठप कर ही दिया है , साथ ही उन लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैजिन्होंने प्रॉपर्टी खरीदते या बेचते वक्त अडवांस राशि ले रखी थी। न तो यह राशि वापस हो पा रही है और न ही प्रॉपर्टीकी रजिस्ट्री हो पा रही है।
असल में यह मामला सरकार के दो विभागों के बीच फंस गया है। आदेश जारी करने वाला विभाग राजस्व मंत्री डॉ . ए .के . वालिया के पास है। बताते हैं कि मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने इसे शुरू में सुलझाने का प्रयास किया तोमामला इसलिए अटक गया क्योंकि यह मसला सरकार की कमाई से भी जुड़ा है। अब दिक्कत यह है कि वित्त विभागमुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पास है। लेकिन वहां से अभी तक इस मसले को सुलझाने में पहल नहीं की गई है।
बताते हैं कि प्रॉपर्टी कारोबार से जुड़े लोगों ने डॉ . वालिया से मामला सुलझाने की गुहार की थी लेकिन उन्होंने सीधे तौरपर उसे सुलझाने में असमर्थता जता दी। फिलहाल दो विभागों के बीच फंसा यह मामला सुलझता दिखाई नहीं दे रहा है।
राजस्व विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी डी . एम . सपोलिया ने हालही में सभी रजिस्ट्रार कार्यालयों में आदेश भेजा कि राजधानी मेंअब उसी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होगी जिसके पास सेफ्टी स्ट्रक्चरलसर्टिफिकेट तो होगा ही साथ ही उस प्रॉपर्टी का सैंक्शन प्लान ( स्वीकृत नक्शा ) भी हो। आदेश यह भी कहता है कि किसीप्रॉपर्टी में अगर अतिरिक्त निर्माण है तो वह भी संबंधित विभाग से पास होना चाहिए।
इस आदेश का असर काफी गंभीर हुआ , जिसके कारण प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त पूरी तरह रुक गई है। असल में इसआदेश में यह नहीं बताया गया कि सेफ्टी स्ट्रक्चरल सर्टिफिकेट कौन देगा। डीड राइटर्स ने जब इस बाबत एमसीडीअफसरों से बात की तो उन्होंने यह सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया। दूसरी अड़चन यह है कि राजधानी में प्लॉट पर बनीप्रॉपर्टी के अलावा किसी भी प्रॉपर्टी का नक्शा जारी नहीं किया जाता है। पुरानी दिल्ली में एकाध को छोड़कर किसीप्रॉपर्टी का नक्शा नहीं है। गांवों , पुनर्वास कॉलोनियों , अनधिकृत कॉलोनियों के अलावा डीडीए भी अपने मकान बेचतेसमय नक्शा नहीं देता है। तीसरा पेच यह है कि लोग अपनी जिस भी प्रॉपर्टी मंे अतिरिक्त निर्माण करते हैं , तो उसकाअलग से नक्शा पास नहीं कराते हैं।
पीतमपुरा रोहिणी बार असोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीन गर्ग इसे सरकार का तुगलकी आदेश बताते हैं और कहते हैं कि इसआदेश ने प्रॉपर्टी का कारोबार तो ठप कर ही दिया है , साथ ही उन लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैजिन्होंने प्रॉपर्टी खरीदते या बेचते वक्त अडवांस राशि ले रखी थी। न तो यह राशि वापस हो पा रही है और न ही प्रॉपर्टीकी रजिस्ट्री हो पा रही है।
असल में यह मामला सरकार के दो विभागों के बीच फंस गया है। आदेश जारी करने वाला विभाग राजस्व मंत्री डॉ . ए .के . वालिया के पास है। बताते हैं कि मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने इसे शुरू में सुलझाने का प्रयास किया तोमामला इसलिए अटक गया क्योंकि यह मसला सरकार की कमाई से भी जुड़ा है। अब दिक्कत यह है कि वित्त विभागमुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पास है। लेकिन वहां से अभी तक इस मसले को सुलझाने में पहल नहीं की गई है।
बताते हैं कि प्रॉपर्टी कारोबार से जुड़े लोगों ने डॉ . वालिया से मामला सुलझाने की गुहार की थी लेकिन उन्होंने सीधे तौरपर उसे सुलझाने में असमर्थता जता दी। फिलहाल दो विभागों के बीच फंसा यह मामला सुलझता दिखाई नहीं दे रहा है।
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