घर बनवाना हर आदमी के लिए एक भारी काम होता है। तमाम सुविधाओं के बावजूद आज भी कई लोग तैयार घर लेने की बजाय अपनी देखरेख में ही घर बनवाना पसंद करते हैं। इसके लिए वे पहले प्लॉट खरीदते हैं, नक्शा पास कराते हैं, कॉन्ट्रैक्टर हायर करते हैं और फिर उस पर अपनी जरूरत और स्टाइल के मुताबिक अपने सपनों का घर बनवाते हैं।
रेडीमेड होम्स के मौजूदा दौर में भी कई लोग अपनी पसंद से घर बनवाना पसंद करते हैं। अगर आप भी अपना घर बनवा रहे हैं, तो सबसे पहले तो कॉन्ट्रैक्टर के साथ लिखित एग्रीमेंट करना न भूलें। यह एग्रीमेंट आप दो तरह से कर सकते हैं। पहला, कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट और दूसरा, लेबर एग्रीमेंट।
कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट
इसके तहत मकान बनवाने वाला व्यक्ति बिल्डर/कॉन्ट्रैक्टर के साथ एक समझौते पर साइन करता है, जिसमें मकान बनवाने की सारी जिम्मेदारी बिल्डर के हाथ में रहती है। जब मकान पूरी तरह तैयार हो जाता है, तब बिल्डर मकान की चाबी मकान मालिक को दे देता है। गौरतलब है कि इस दौरान मकान के निर्माण में ओनर की दखलंदाजी नहीं होती। वह पहले ही अपनी जरूरतों के बारे में कॉन्ट्रैक्टर को बता देता है और बाद में सिर्फ खर्चों को पूरा करता है।
लेबर कॉन्ट्रैक्ट
इस एग्रीमेंट के माध्यम से मकान बनवाने वाला व्यक्ति सिर्फ लेबर से जुड़ी सेवाएं लेता है। सारे मटीरियल की खरीदारी और व्यवस्था मालिक को ही करनी पड़ती है। कॉन्ट्रैक्टर सिर्फ लेबर की व्यवस्था करता है। गौर करने की बात यह है कि इसमें ओनर मकान बनाने की सारी प्रक्रिया पर खुद निगरानी रखते हैं और वे जिस तरह से चाहते हैं, वैसे लेबर को समय-समय पर हिदायत भी देते रहते हैं।
इस तरह आपके सामने घर बनवाने के लिए दो विकल्प मौजूद हो जाते हैं। अगर आप कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट करके मकान बनवाते हैं, तो आपको ज्यादा सावधान रहने की जरूरत होगी। पहले यह देख लें कि किन-किन मुद्दों पर सहमति के बारे में एग्रीमेंट में लिखा गया है। इसे तैयार करते समय लीगल एक्सपर्ट की राय जरूर लें। कागजात तैयार कराने से पहले दोनों पार्टियों को बारीकी से हुए समझौते को जरूर पढ़ लेना चाहिए। बेहतर होगा कि इस समझौते को दो हिस्सों में तैयार किया जाए। एक में सिर्फ मकान तैयार करने का कॉन्ट्रैक्ट हो और दूसरे में फिटिंग, फिक्सचर और फिनिशिंग से जुड़ीं शर्तें लिखी जाएं।
मटीरियल, समय सीमा, पेमेंट की किस्तें, क्वॉलिटी, डिमांड, पेनल्टी जैसी बातों का भी जिक्र करना चाहिए। ये सब बातें एग्रीमेंट में शामिल करने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आप बेमतलब की झिक-झिक से बच जाते हैं और तय शर्तों के पूरा न होने पर मुआवजा पाने के भी हकदार होते हैं।
मकान तैयार हो जाने पर फिटिंग, फिक्सिंग और फर्निशिंग आदि के लिए रेट और मटीरियल को लेकर आपको थोड़ा चूजी होना होगा। आपको अपने मकान में किस तरह का सामान लगवाना है, इस बारे में कॉन्ट्रैक्टर से पहले ही बातचीत कर लें। इनमें ग्रेनाइट, मार्बल, लाइट, ट्यूब, पाइप, विंडो, ग्रिल, बेसिन आदि का जिक्र शामिल है।
गौरतलब है कि सब कुछ आपके बजट, उपलब्ध संसाधनों, जरूरत और आपके टेस्ट पर निर्भर करता है, इसलिए कॉन्ट्रैक्ट में यह बात जरूर शामिल करें कि आप अपने मुताबिक कुछ बदलाव भी समय-समय पर करा सकते हैं। जैसे: अगर तय समझौते में मार्बल की कीमत 150 प्रति स्क्वायर फीट के हिसाब से है और पूरा एरिया 600 स्क्वायर फीट है, लेकिन आप इससे अच्छा मार्बल और वुडन फ्लोरिंग प्रयोग करना चाहते हैं, तो आप अपने हिसाब से सामान खरीदकर उसे लगवा सकते हैं और उसमें से उस मद पर कॉन्ट्रैक्टर को दी जाने वाली राशि घटाकर शेष भुगतान कर सकते हैं।
कुल मिलाकर, यह काम शुरुआत में भले ही बेकार लगे, लेकिन बदलती परिस्थितियों में यह सबसे जरूरी काम है। समय पड़ने पर यही लिखित कॉन्ट्रैक्ट आपको किसी भी परेशानी से बचाएगा।
रेडीमेड होम्स के मौजूदा दौर में भी कई लोग अपनी पसंद से घर बनवाना पसंद करते हैं। अगर आप भी अपना घर बनवा रहे हैं, तो सबसे पहले तो कॉन्ट्रैक्टर के साथ लिखित एग्रीमेंट करना न भूलें। यह एग्रीमेंट आप दो तरह से कर सकते हैं। पहला, कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट और दूसरा, लेबर एग्रीमेंट।
कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट
इसके तहत मकान बनवाने वाला व्यक्ति बिल्डर/कॉन्ट्रैक्टर के साथ एक समझौते पर साइन करता है, जिसमें मकान बनवाने की सारी जिम्मेदारी बिल्डर के हाथ में रहती है। जब मकान पूरी तरह तैयार हो जाता है, तब बिल्डर मकान की चाबी मकान मालिक को दे देता है। गौरतलब है कि इस दौरान मकान के निर्माण में ओनर की दखलंदाजी नहीं होती। वह पहले ही अपनी जरूरतों के बारे में कॉन्ट्रैक्टर को बता देता है और बाद में सिर्फ खर्चों को पूरा करता है।
लेबर कॉन्ट्रैक्ट
इस एग्रीमेंट के माध्यम से मकान बनवाने वाला व्यक्ति सिर्फ लेबर से जुड़ी सेवाएं लेता है। सारे मटीरियल की खरीदारी और व्यवस्था मालिक को ही करनी पड़ती है। कॉन्ट्रैक्टर सिर्फ लेबर की व्यवस्था करता है। गौर करने की बात यह है कि इसमें ओनर मकान बनाने की सारी प्रक्रिया पर खुद निगरानी रखते हैं और वे जिस तरह से चाहते हैं, वैसे लेबर को समय-समय पर हिदायत भी देते रहते हैं।
इस तरह आपके सामने घर बनवाने के लिए दो विकल्प मौजूद हो जाते हैं। अगर आप कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट करके मकान बनवाते हैं, तो आपको ज्यादा सावधान रहने की जरूरत होगी। पहले यह देख लें कि किन-किन मुद्दों पर सहमति के बारे में एग्रीमेंट में लिखा गया है। इसे तैयार करते समय लीगल एक्सपर्ट की राय जरूर लें। कागजात तैयार कराने से पहले दोनों पार्टियों को बारीकी से हुए समझौते को जरूर पढ़ लेना चाहिए। बेहतर होगा कि इस समझौते को दो हिस्सों में तैयार किया जाए। एक में सिर्फ मकान तैयार करने का कॉन्ट्रैक्ट हो और दूसरे में फिटिंग, फिक्सचर और फिनिशिंग से जुड़ीं शर्तें लिखी जाएं।
मटीरियल, समय सीमा, पेमेंट की किस्तें, क्वॉलिटी, डिमांड, पेनल्टी जैसी बातों का भी जिक्र करना चाहिए। ये सब बातें एग्रीमेंट में शामिल करने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आप बेमतलब की झिक-झिक से बच जाते हैं और तय शर्तों के पूरा न होने पर मुआवजा पाने के भी हकदार होते हैं।
मकान तैयार हो जाने पर फिटिंग, फिक्सिंग और फर्निशिंग आदि के लिए रेट और मटीरियल को लेकर आपको थोड़ा चूजी होना होगा। आपको अपने मकान में किस तरह का सामान लगवाना है, इस बारे में कॉन्ट्रैक्टर से पहले ही बातचीत कर लें। इनमें ग्रेनाइट, मार्बल, लाइट, ट्यूब, पाइप, विंडो, ग्रिल, बेसिन आदि का जिक्र शामिल है।
गौरतलब है कि सब कुछ आपके बजट, उपलब्ध संसाधनों, जरूरत और आपके टेस्ट पर निर्भर करता है, इसलिए कॉन्ट्रैक्ट में यह बात जरूर शामिल करें कि आप अपने मुताबिक कुछ बदलाव भी समय-समय पर करा सकते हैं। जैसे: अगर तय समझौते में मार्बल की कीमत 150 प्रति स्क्वायर फीट के हिसाब से है और पूरा एरिया 600 स्क्वायर फीट है, लेकिन आप इससे अच्छा मार्बल और वुडन फ्लोरिंग प्रयोग करना चाहते हैं, तो आप अपने हिसाब से सामान खरीदकर उसे लगवा सकते हैं और उसमें से उस मद पर कॉन्ट्रैक्टर को दी जाने वाली राशि घटाकर शेष भुगतान कर सकते हैं।
कुल मिलाकर, यह काम शुरुआत में भले ही बेकार लगे, लेकिन बदलती परिस्थितियों में यह सबसे जरूरी काम है। समय पड़ने पर यही लिखित कॉन्ट्रैक्ट आपको किसी भी परेशानी से बचाएगा।
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