पार्टीशन का मतलब है कि साझा मालिकाना हक वाली किसी चीज का बंटवारा। जॉइंट प्रॉपर्टी का बंटवारा तभी संभव है, जब इसके सभी मालिक ऐसा चाहते हों।
- पार्टीशन के जरिए जॉइंट राइट्स को इंडिविजुअल राइट्स के रूप में तोड़ा जाता है। यह प्रॉपर्टी के गिफ्ट या ट्रांसफर से अलग है।
- जॉइंट हिंदू फैमिली में हर सदस्य को जन्म से ही जाइंट फैमिली प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी हासिल हो जाती है। एक जॉइंट फैमिली के सभी सदस्यों को फैमिली की जाइंट प्रॉपर्टी पर साझा मालिकाना हक हासिल होता है।
- जॉइंट प्रॉपर्टी को दो या ज्यादा हिस्सों में बांटा जा सकता है। हर हिस्से को एक इंडिपेंडेंट प्रॉपर्टी के रूप में सभी पूर्व साझीदारों के नाम ट्रांसफर कर दिया जाता है, यानी इस तरह एक जॉइंट प्रॉपर्टी में से दो या कई इंडिविजुअल प्रॉपर्टी तैयार हो जाती हैं और पूर्व साझीदारों में से हरेक का स्वामित्व केवल उसे दिए गए प्रॉपर्टी के हिस्से तक ही सीमित हो जाता है।
- अगर कोई प्रॉपर्टी इस तरह बनी हो कि उसे बांटा नहीं जा सके या किसी और कारण से फिजिकली बंटवारा करना संभव न हो, तो इसके बदले उतनी कीमत देकर पार्टीशन किया जा सकता है। जॉइंट प्रॉपर्टी के बंटवारे के लिए एक पार्टीशन डीड तैयार करनी होगी। इस डीड को इलाके के सब-रजिस्ट्रार के पास रजिस्टर्ड कराना जरूरी है। जाहिर है, इसके लिए निर्धारित स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस भी चुकानी होगी।
- जब प्रॉपर्टी को दो से ज्यादा हिस्सों में बांटा जाता है, तो सभी पूर्व साझीदारों को उन्हें मिलने वाले हिस्से पर सहमत होना चाहिए। साथ ही प्रॉपर्टी के बाकी हिस्से पर अपनी दावेदारी छोड़नी पड़ेगी। इस तरह, सभी साझीदारों का को-पार्टनर वाला स्टेटस खत्म होकर वे सभी इंडिपेंडेंट ओनर्स बन जाएंगे। हालांकि हर हिस्सेदार अपने परिवार के साथ उसे मिली प्रॉपर्टी में रहेगा और उसका हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली का स्टेटस बना रहेगा।
- जॉइंट प्रॉपर्टी के पार्टीशन से पहले परिवार की स्थिति का आकलन करना भी जरूरी होता है। इसमें परिवार के कर्ज, परिवार पर निर्भर महिलाएं, बेटियों की शादी और जॉइंट फैमिली की अन्य जिम्मेदारियों का ध्यान रखा जाता है।
- एक स्थिति यह भी हो सकती है कि प्रॉपर्टी के एक्चुअल डिविजन के बजाय साझीदारों के बीच यह समझौता कर लिया जाए कि वे प्रॉपर्टी के अलग-अलग हिस्सों का इंडिपेंडेंट ओनर की तरह इस्तेमाल करेंगे और किसी दूसरे साझीदार का इसमें कोई दखल नहीं रहेगा।
- यह भी जरूरी नहीं है कि हमेशा पूरी प्रॉपर्टी का पार्टीशन किया जाए। प्रॉपर्टी के किसी एक हिस्से का पार्टीशन भी किया जा सकता है। उस स्थिति में परिवार के सदस्य बाकी प्रॉपर्टी पर अपना साझा मालिकाना हक जारी रख सकते हैं।
- पार्टीशन डीड पर लगने वाली स्टैंप ड्यूटी राज्यों पर निर्भर करती है। इसकी दर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है।
- पार्टीशन के जरिए जॉइंट राइट्स को इंडिविजुअल राइट्स के रूप में तोड़ा जाता है। यह प्रॉपर्टी के गिफ्ट या ट्रांसफर से अलग है।
- जॉइंट हिंदू फैमिली में हर सदस्य को जन्म से ही जाइंट फैमिली प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी हासिल हो जाती है। एक जॉइंट फैमिली के सभी सदस्यों को फैमिली की जाइंट प्रॉपर्टी पर साझा मालिकाना हक हासिल होता है।
- जॉइंट प्रॉपर्टी को दो या ज्यादा हिस्सों में बांटा जा सकता है। हर हिस्से को एक इंडिपेंडेंट प्रॉपर्टी के रूप में सभी पूर्व साझीदारों के नाम ट्रांसफर कर दिया जाता है, यानी इस तरह एक जॉइंट प्रॉपर्टी में से दो या कई इंडिविजुअल प्रॉपर्टी तैयार हो जाती हैं और पूर्व साझीदारों में से हरेक का स्वामित्व केवल उसे दिए गए प्रॉपर्टी के हिस्से तक ही सीमित हो जाता है।
- अगर कोई प्रॉपर्टी इस तरह बनी हो कि उसे बांटा नहीं जा सके या किसी और कारण से फिजिकली बंटवारा करना संभव न हो, तो इसके बदले उतनी कीमत देकर पार्टीशन किया जा सकता है। जॉइंट प्रॉपर्टी के बंटवारे के लिए एक पार्टीशन डीड तैयार करनी होगी। इस डीड को इलाके के सब-रजिस्ट्रार के पास रजिस्टर्ड कराना जरूरी है। जाहिर है, इसके लिए निर्धारित स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस भी चुकानी होगी।
- जब प्रॉपर्टी को दो से ज्यादा हिस्सों में बांटा जाता है, तो सभी पूर्व साझीदारों को उन्हें मिलने वाले हिस्से पर सहमत होना चाहिए। साथ ही प्रॉपर्टी के बाकी हिस्से पर अपनी दावेदारी छोड़नी पड़ेगी। इस तरह, सभी साझीदारों का को-पार्टनर वाला स्टेटस खत्म होकर वे सभी इंडिपेंडेंट ओनर्स बन जाएंगे। हालांकि हर हिस्सेदार अपने परिवार के साथ उसे मिली प्रॉपर्टी में रहेगा और उसका हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली का स्टेटस बना रहेगा।
- जॉइंट प्रॉपर्टी के पार्टीशन से पहले परिवार की स्थिति का आकलन करना भी जरूरी होता है। इसमें परिवार के कर्ज, परिवार पर निर्भर महिलाएं, बेटियों की शादी और जॉइंट फैमिली की अन्य जिम्मेदारियों का ध्यान रखा जाता है।
- एक स्थिति यह भी हो सकती है कि प्रॉपर्टी के एक्चुअल डिविजन के बजाय साझीदारों के बीच यह समझौता कर लिया जाए कि वे प्रॉपर्टी के अलग-अलग हिस्सों का इंडिपेंडेंट ओनर की तरह इस्तेमाल करेंगे और किसी दूसरे साझीदार का इसमें कोई दखल नहीं रहेगा।
- यह भी जरूरी नहीं है कि हमेशा पूरी प्रॉपर्टी का पार्टीशन किया जाए। प्रॉपर्टी के किसी एक हिस्से का पार्टीशन भी किया जा सकता है। उस स्थिति में परिवार के सदस्य बाकी प्रॉपर्टी पर अपना साझा मालिकाना हक जारी रख सकते हैं।
- पार्टीशन डीड पर लगने वाली स्टैंप ड्यूटी राज्यों पर निर्भर करती है। इसकी दर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है।
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