अनुज पुरी
इन दिनों लगातार बढ़ती महंगाई का असर प्रॉपर्टी की कीमतों और खरीदारों पर भी पड़ रहा है। महंगाई के चलते रीयल एस्टेट इनवेस्टमेंट से मिलने वाले रिटर्न में काफी कमी आ जाती है। किसी भी प्रकार की प्रॉपर्टी में इनवेस्ट करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि इनवेस्टमेंट की पूरी रकम को जब चाहें, वापस ले सकें।
इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति महंगाई के असर का अनुमान नहीं लगा पाता, तो संभव है कि भविष्य में प्रॉपर्टी की कीमतें आम आदमी की पहुंच से बाहर हो जाएं और प्रॉपर्टी बाजार में खरीदार ढूंढना ही मुश्किल हो जाए। उस स्थिति में भी इनवेस्टमेंट का कोई लाभ नहीं होगा।
कैसे लगाएं असर का अनुमान
प्रॉपर्टी पर महंगाई का असर सबसे बड़ा असर होता है, लेकिन इसके अलावा भी कई बातें हैं, जो प्रॉपर्टी में इनवेस्टमेंट को खासा प्रभावित करती हैं। आइए, डालते हैं इन पर एक नजर :
ब्याज दर
महंगाई का असर रीयल एस्टेट इनवेस्टमेंट पर पड़ेगा या नहीं, यह अनुमान लगाने के लिए देखें कि बचत पर मिलने वाली ब्याज दर महंगाई की दर के बराबर या कम तो नहीं है? अगर है, तो इसका मतलब यह हुआ है कि रीयल एस्टेट इनवेस्टमेंट पर भी महंगाई का बुरा असर जरूर पड़ेगा। यह भी अनुमान लगाना चाहिए कि इनवेस्टिड प्रॉपर्टी की लोकेशन पर रेंटल मार्केट कैसा रहेगा?
अगर महंगाई के बावजूद लंबे समय तक रेंटल मार्केट अच्छा रहेगा, तो ठीक है। अगर ऐसा नहीं, तो उस लोकेशन पर इनवेस्ट करने से कोई लाभ नहीं मिलेगा।
टैक्स
प्रॉपर्टी टैक्स दूसरा पहलू है, जो प्रॉपर्टी पर इनवेस्टमेंट को प्रभावित करता है। प्रॉपर्टी चाहे मुनाफे के लिए रीसेल की उम्मीद में खरीदी जाए या फिर किराये पर देने के लिए, हर स्थिति में यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रॉपर्टी की रीसेल और हर महीने किराये की आमदनी, दोनों पर ही टैक्स लागू होता है। यहां अहम यह नहीं है कि व्यक्ति उस प्रॉपर्टी से कितना कमाता है, बल्कि यह है कि टैक्स देने के बाद वह कितना मुनाफा कमा पाता है?
भाग्य
कहना कुछ काल्पनिक होगा, लेकिन परिस्थितियों पर किसी का वश नहीं चलता। प्रॉपर्टी में इनवेस्टमेंट करते समय इससे कई खतरे भी जुड़े रहते हैं, जैसे: सरकार आगे चलकर किसी समय उस जगह की जमीन डिवेलपमेंट के लिए एक्वायर कर सकती है या फिर बिल्डिंग किसी कानूनी पचड़े में फंस सकती है। तब उस प्रॉपर्टी से रिटर्न लेना मुश्किल होगा।
क्या करें?
- किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट या अनुभवी रीयल एस्टेट प्रफेशनल से सलाह किए बिना प्रॉपर्टी में इनवेस्ट करना लाभदायक नहीं होगा। हर तरह के टैक्स की जानकारी आम आदमी को नहीं हो सकती, इसलिए किसी प्रफेशनल की सलाह निश्चित रूप से फायदेमंद रहेगी। तभी टैक्स चुकाने के बाद भी कुछ रकम बचाई जा सकेगी।
- इसका अनुमान लगाएं कि एक निश्चित समय बाद प्रॉपर्टी से कितना रिटर्न मिलना तय है।
- अगर प्रॉपर्टी की मौजूदा कीमत भविष्य की आमदनी की तुलना में तर्कसंगत है, तो इनवेस्टमेंट कर सकते हैं।
- अगर आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी है कि इस समय प्रॉपर्टी खरीदकर भविष्य में मार्केट के हालात सुधरने का इंतजार कर सके।
( लेखक रीयल एस्टेट रिसर्च फर्म जोन्स लैंग लासैले मेघराज के चेयरमैन और कंट्री हेड हैं)
इन दिनों लगातार बढ़ती महंगाई का असर प्रॉपर्टी की कीमतों और खरीदारों पर भी पड़ रहा है। महंगाई के चलते रीयल एस्टेट इनवेस्टमेंट से मिलने वाले रिटर्न में काफी कमी आ जाती है। किसी भी प्रकार की प्रॉपर्टी में इनवेस्ट करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि इनवेस्टमेंट की पूरी रकम को जब चाहें, वापस ले सकें।
इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति महंगाई के असर का अनुमान नहीं लगा पाता, तो संभव है कि भविष्य में प्रॉपर्टी की कीमतें आम आदमी की पहुंच से बाहर हो जाएं और प्रॉपर्टी बाजार में खरीदार ढूंढना ही मुश्किल हो जाए। उस स्थिति में भी इनवेस्टमेंट का कोई लाभ नहीं होगा।
कैसे लगाएं असर का अनुमान
प्रॉपर्टी पर महंगाई का असर सबसे बड़ा असर होता है, लेकिन इसके अलावा भी कई बातें हैं, जो प्रॉपर्टी में इनवेस्टमेंट को खासा प्रभावित करती हैं। आइए, डालते हैं इन पर एक नजर :
ब्याज दर
महंगाई का असर रीयल एस्टेट इनवेस्टमेंट पर पड़ेगा या नहीं, यह अनुमान लगाने के लिए देखें कि बचत पर मिलने वाली ब्याज दर महंगाई की दर के बराबर या कम तो नहीं है? अगर है, तो इसका मतलब यह हुआ है कि रीयल एस्टेट इनवेस्टमेंट पर भी महंगाई का बुरा असर जरूर पड़ेगा। यह भी अनुमान लगाना चाहिए कि इनवेस्टिड प्रॉपर्टी की लोकेशन पर रेंटल मार्केट कैसा रहेगा?
अगर महंगाई के बावजूद लंबे समय तक रेंटल मार्केट अच्छा रहेगा, तो ठीक है। अगर ऐसा नहीं, तो उस लोकेशन पर इनवेस्ट करने से कोई लाभ नहीं मिलेगा।
टैक्स
प्रॉपर्टी टैक्स दूसरा पहलू है, जो प्रॉपर्टी पर इनवेस्टमेंट को प्रभावित करता है। प्रॉपर्टी चाहे मुनाफे के लिए रीसेल की उम्मीद में खरीदी जाए या फिर किराये पर देने के लिए, हर स्थिति में यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रॉपर्टी की रीसेल और हर महीने किराये की आमदनी, दोनों पर ही टैक्स लागू होता है। यहां अहम यह नहीं है कि व्यक्ति उस प्रॉपर्टी से कितना कमाता है, बल्कि यह है कि टैक्स देने के बाद वह कितना मुनाफा कमा पाता है?
भाग्य
कहना कुछ काल्पनिक होगा, लेकिन परिस्थितियों पर किसी का वश नहीं चलता। प्रॉपर्टी में इनवेस्टमेंट करते समय इससे कई खतरे भी जुड़े रहते हैं, जैसे: सरकार आगे चलकर किसी समय उस जगह की जमीन डिवेलपमेंट के लिए एक्वायर कर सकती है या फिर बिल्डिंग किसी कानूनी पचड़े में फंस सकती है। तब उस प्रॉपर्टी से रिटर्न लेना मुश्किल होगा।
क्या करें?
- किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट या अनुभवी रीयल एस्टेट प्रफेशनल से सलाह किए बिना प्रॉपर्टी में इनवेस्ट करना लाभदायक नहीं होगा। हर तरह के टैक्स की जानकारी आम आदमी को नहीं हो सकती, इसलिए किसी प्रफेशनल की सलाह निश्चित रूप से फायदेमंद रहेगी। तभी टैक्स चुकाने के बाद भी कुछ रकम बचाई जा सकेगी।
- इसका अनुमान लगाएं कि एक निश्चित समय बाद प्रॉपर्टी से कितना रिटर्न मिलना तय है।
- अगर प्रॉपर्टी की मौजूदा कीमत भविष्य की आमदनी की तुलना में तर्कसंगत है, तो इनवेस्टमेंट कर सकते हैं।
- अगर आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी है कि इस समय प्रॉपर्टी खरीदकर भविष्य में मार्केट के हालात सुधरने का इंतजार कर सके।
( लेखक रीयल एस्टेट रिसर्च फर्म जोन्स लैंग लासैले मेघराज के चेयरमैन और कंट्री हेड हैं)
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