Monday, May 9, 2011

ग्रेटर नोएडा में सिंगुर तलाशने में जुटी भì - Real Estate India - Gurgaon - Noida - Delhi - Mumbai - Pune - Chennai - Property Discussion Forum - www.iref.in

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ग्रेटर नोएडा में सिंगुर तलाशने में जुटी भाजपा

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : पश्चिम बंगाल में सिंगुर और नंदीग्राम का असर देख चुकी भाजपा ने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में भूमि अधिग्रहण को लेकर राज्य की मायावती सरकार को घेरने की कवायद शुरू कर दी है। शनिवार को हुई हिंसा के बाद पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह से लेकर कलराज मिश्र और प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही तक ने राज्य सरकार को असंवेदनशील करार देते हुए आगाह किया कि स्थिति नहीं बदली तो अराजकता पैदा हो सकती है। राजनाथ ने तत्काल भूमि अधिग्रहण बंद करने की मांग की। पिछले कुछ वर्षो में भूमि अधिग्रहण को लेकर उत्तर प्रदेश लगातार गर्म रहा है। अब जब विधानसभा चुनाव सिर पर हैं तो इसका राजनीतिक रंग भी दिखने लगा है। कुछ महीने पहले यमुना एक्सप्रेस-वे और भूमि अधिग्रहण को लेकर कांग्रेस ने किसानों का दिल जीतने की कोशिश की थी। खुद कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने नेतृत्व लेते हुए प्रभावितों को प्रधानमंत्री से मिलाया था और प्रधानमंत्री ने संसद से भूमि अधिग्रहण कानून पारित करने का वादा किया था। शनिवार को ग्रेटर नोएडा में हुई हिंसा के बाद भाजपा ने एक कदम बढ़कर इस मुद्दे को पकड़ लिया है। राजनाथ ने अधिग्रहण को तत्काल बंद करने की मांग की। उन्होंने कहा कि संसद में विधेयक पारित होने तक इस पर पूरी तरह पाबंदी लगनी चाहिए। उन्होंने केंद्र से भी हस्तक्षेप की मांग की। पार्टी के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र ने घटना को खतरनाक संकेत बताते हुए कहा कि खेती योग्य जमीन का लगातार अधिग्रहण किया जा रहा है। वार्ता के माध्यम से समाधान हो सकता है लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही। स्थिति अब यहां तक पहुंच गई कि लोगों ने हथियार उठाना शुरू कर दिया है। उन्होंने इसके लिए सीधे सीधे मायावती सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने भी राज्य सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की अक्षमता से राज्य में लगातार कहीं न कहीं हिंसा का माहौल है। किसान आंदोलित हैं और सरकार हाथ पर हाथ रखे बैठी है

किसानों के आगे प्रशासनिक तंत्र हुआ फेल

धर्मेद्र चंदेल, ग्रेटर नोएडा भट्टा पारसौल किसान आंदोलन की चिंगारी एक दिन में नहीं सुलगी। किसान यहां 111 दिन से धरने पर बैठे थे। उन्होंने एक बार नहीं बल्कि चार बार प्रशासनिक व प्राधिकरण अधिकारियों को अगवा कर बंधक बनाया। अधिकारियों को छुड़ाने के लिए पुलिस व प्रशासन को हर बार किसानों के आगे घुटने टेकने पड़े। हर बार अधिकारियों की रिहाई के बाद प्रशासन चुप बैठ गया। मूल समस्या के समाधान का ठोस प्रयास नहीं किया जा सका। प्राधिकरण व प्रशासनिक अधिकारी यह कहकर असमर्थता जताते रहे कि किसानों की मांग अव्यवहारिक है, उन्हें पूरा करना संभव नहीं है। प्रशासनिक तंत्र न तो किसानों की मांगों को पूरा कर सका और न ही उनका आंदोलन खत्म करा पाया। जमीन अधिग्रहण के विरोध में किसान 17 जनवरी से धरने पर बैठे हुए थे।

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