प्रॉपर्टी में भला कौन इन्वेस्ट नहीं करना चाहता, यह सेफ जो है! प्रॉपर्टी डीलरों के हथकंडों को छोड़ दें तो आपने जमीन की वैल्यू कम होने के बारे में शायद ही कभी सुना होगा। यही वजह है कि आप और हम, सभी कमाई के पहले दिन से ही प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट को टु डू लिस्ट में सबसे ऊपर जगह दे देते हैं। लेकिन इन्वेस्टमेंट के लिए इस सेफ ऑप्शन में भी कई बातों पर गौर करने की जरूरत होती है।
पसंद और रीपेमेंट
सबसे पहले तो प्रॉपर्टी के सही प्रकार का चुनाव करें। मतलब यह कि आपको क्या चाहिए? प्लॉट या फ्लैट? सबसे पहले तो यह सही से तय करें। इसके बाद यह देखें कि क्या आपको इसके लिए लोन की जरूरत है? अगर हां, तो यह अच्छी तरह सोच लें कि आप पे कर पाएंगे या नहीं? अक्सर इंसान जोश में जोखिम तो ले लेता है, लेकिन ऐसे में कई बार औने-पौने दाम बेच कर निकल जाना चाहता है। इसलिए यहां यह देखना जरूरी है कि जिस सोर्स के जिरये आप लोन री-पे करने की सोच रहे हैं, वह कितान ड्यूरेबल है। यह भी कि आपकी आमदनी का ग्राफ किस कदर बढ़ेगा?
आस-पड़ोस
जिस जगह पर आप इन्वेस्ट करने जा रहे हैं, उसके आस-पड़ोस जरूर ध्यान दें। यह एक हद तक इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न का डिसाइडिंग फैक्टर है। मान लीजिए आपने कोई प्रॉपर्टी एजुकेशनल एरिया या किसी कॉलेज के आसपास ली है और आप उसे रेंट पर लगाना चाहते हैं। यहां किराएदारों को आकषिर्त करने और हैंडसम किराया लेने में आस-पड़ोस अहम हो जाएगा। कॉलेज पास होने की सूरत में आपके किराएदार ज्यादातर स्टूडेंट ही होंगे, और हो सकता है कि आपका घर महीनों खाली रहे।
फ्यूचर का नेचर
प्लानिंग आस पड़ोस से कम अहम फैक्टर नहीं है। कई बार हम लोग बिना जाने-समझे यार-दोस्त या रिश्तेदारों के कहने पर कहीं भी इन्वेस्ट कर देते हैं। लेकिन ऐसा होना नहीं चाहिए। आप अगर आंख-नाक-कान खुले रखेंगे तो इन्वेस्मेंट पर रिटर्न के चांसेज बेहतर बनेंगे। मान लीजिए आप किसी सड़क के किनारे इन्वेस्ट करने की सोच रहे हैं, वहां यह जरूर देखें कि कल को वह सड़क चौड़ी तो नहीं हो जाएगी या क्या उस सड़क को स्टेट या नेशनल हाईवे में बदलने की कोई योजना है। इस सूरत में फायदा और नुकसान दोनों है। नुकसान ऐसे कि अगर आप जमीन पर घर या दुकान बना लेते हैं तो उसका हिस्सा सड़क में जाने का डर रहेगा और वहीं दूसरी तरफ जो हिस्सा सड़क में जाएगा, उसके बदले आप को सरकार से ठीक-ठाक राशि मिल जाएगी जिसे आप कहीं और भी इन्वेस्ट कर सकते हैं। और अगर आपने ठीक सड़के के किनारे जमीन नहीं ली तो सड़क के स्टेटस में बदलाव से प्रॉपर्टी हॉट बन जाएगी।
रेडीमेड प्रॉपर्टी और सुविधाएं
रेडीमेड यानी अपार्टमेंट कल्चर का अलग ही अकर्षण है। लेकिन किसी अपार्टमेंट या अन्य किसी रेडीमेड कॉलेनी में इन्वेस्ट करने के लिए बिल्डरों के दावों को तो ठीक तरह परखे हीं, यह भी देखें कि फ्यूचर में उस स्थान के इर्द-गिर्द डेवलपमेंट की क्या संभावनाएं हैं? और, अपार्टमेंट में आपको क्या वे सुविधाएं मिल रही हैं जो प्यूचर में आप रेंट लगाना चाहें तो क्या इस रेडी टु यूज एज के किराएदारों को लुभा पाएंगे। कहने का मतलब यह है कि उसमें किचन, बेड रूम और वॉशरूम वगैरह में वे तमाम सुविधाएं हैं जो आज का किराएदार चाहता है। उन शहरों में जहां भूकंप का खतरा बना रहता है, लोग ज्यादा ऊंची इमारतों में रहना पसंद नहीं कर रहे। अहमदाबाद इस बदलती सोच का जीता-जागता उदाहरण है। यही हालत अपनी दिल्ली और मुंबई की भी है। हालांकि इस सोच को बदलने की जरूरत है। साइंस की मदद से अब कंस्ट्रक्शन के आसान होने के साथ-साथ इसमें मजबूती भी आई है। नई ऊंची इमारतें भूकंप भी झेल जाती हैं।
पसंद और रीपेमेंट
सबसे पहले तो प्रॉपर्टी के सही प्रकार का चुनाव करें। मतलब यह कि आपको क्या चाहिए? प्लॉट या फ्लैट? सबसे पहले तो यह सही से तय करें। इसके बाद यह देखें कि क्या आपको इसके लिए लोन की जरूरत है? अगर हां, तो यह अच्छी तरह सोच लें कि आप पे कर पाएंगे या नहीं? अक्सर इंसान जोश में जोखिम तो ले लेता है, लेकिन ऐसे में कई बार औने-पौने दाम बेच कर निकल जाना चाहता है। इसलिए यहां यह देखना जरूरी है कि जिस सोर्स के जिरये आप लोन री-पे करने की सोच रहे हैं, वह कितान ड्यूरेबल है। यह भी कि आपकी आमदनी का ग्राफ किस कदर बढ़ेगा?
आस-पड़ोस
जिस जगह पर आप इन्वेस्ट करने जा रहे हैं, उसके आस-पड़ोस जरूर ध्यान दें। यह एक हद तक इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न का डिसाइडिंग फैक्टर है। मान लीजिए आपने कोई प्रॉपर्टी एजुकेशनल एरिया या किसी कॉलेज के आसपास ली है और आप उसे रेंट पर लगाना चाहते हैं। यहां किराएदारों को आकषिर्त करने और हैंडसम किराया लेने में आस-पड़ोस अहम हो जाएगा। कॉलेज पास होने की सूरत में आपके किराएदार ज्यादातर स्टूडेंट ही होंगे, और हो सकता है कि आपका घर महीनों खाली रहे।
फ्यूचर का नेचर
प्लानिंग आस पड़ोस से कम अहम फैक्टर नहीं है। कई बार हम लोग बिना जाने-समझे यार-दोस्त या रिश्तेदारों के कहने पर कहीं भी इन्वेस्ट कर देते हैं। लेकिन ऐसा होना नहीं चाहिए। आप अगर आंख-नाक-कान खुले रखेंगे तो इन्वेस्मेंट पर रिटर्न के चांसेज बेहतर बनेंगे। मान लीजिए आप किसी सड़क के किनारे इन्वेस्ट करने की सोच रहे हैं, वहां यह जरूर देखें कि कल को वह सड़क चौड़ी तो नहीं हो जाएगी या क्या उस सड़क को स्टेट या नेशनल हाईवे में बदलने की कोई योजना है। इस सूरत में फायदा और नुकसान दोनों है। नुकसान ऐसे कि अगर आप जमीन पर घर या दुकान बना लेते हैं तो उसका हिस्सा सड़क में जाने का डर रहेगा और वहीं दूसरी तरफ जो हिस्सा सड़क में जाएगा, उसके बदले आप को सरकार से ठीक-ठाक राशि मिल जाएगी जिसे आप कहीं और भी इन्वेस्ट कर सकते हैं। और अगर आपने ठीक सड़के के किनारे जमीन नहीं ली तो सड़क के स्टेटस में बदलाव से प्रॉपर्टी हॉट बन जाएगी।
रेडीमेड प्रॉपर्टी और सुविधाएं
रेडीमेड यानी अपार्टमेंट कल्चर का अलग ही अकर्षण है। लेकिन किसी अपार्टमेंट या अन्य किसी रेडीमेड कॉलेनी में इन्वेस्ट करने के लिए बिल्डरों के दावों को तो ठीक तरह परखे हीं, यह भी देखें कि फ्यूचर में उस स्थान के इर्द-गिर्द डेवलपमेंट की क्या संभावनाएं हैं? और, अपार्टमेंट में आपको क्या वे सुविधाएं मिल रही हैं जो प्यूचर में आप रेंट लगाना चाहें तो क्या इस रेडी टु यूज एज के किराएदारों को लुभा पाएंगे। कहने का मतलब यह है कि उसमें किचन, बेड रूम और वॉशरूम वगैरह में वे तमाम सुविधाएं हैं जो आज का किराएदार चाहता है। उन शहरों में जहां भूकंप का खतरा बना रहता है, लोग ज्यादा ऊंची इमारतों में रहना पसंद नहीं कर रहे। अहमदाबाद इस बदलती सोच का जीता-जागता उदाहरण है। यही हालत अपनी दिल्ली और मुंबई की भी है। हालांकि इस सोच को बदलने की जरूरत है। साइंस की मदद से अब कंस्ट्रक्शन के आसान होने के साथ-साथ इसमें मजबूती भी आई है। नई ऊंची इमारतें भूकंप भी झेल जाती हैं।
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