ऑफिल या रीटेल स्पेस खरीदना एक बड़ा निवेश है और इसी वजह से कमर्शल रियल एस्टेट निवेश को केवल संस्थागत निवेशकों या बड़े निवेशकों (एचएनआई) के लिए उपयुक्त माना जाता रहा है, लेकिन अब माहौल बदल रहा है और बहुत से छोटे निवेशक भी इस सेगमेंट में निवेश करने लगे हैं।
किस तरह करें निवेश
कमर्शिल रियल एस्टेट में निवेश के तीन जरिए हैं। पहला डिवेलपर से सीधे ऑफिस स्पेस खरीदना, दूसरा किसी कमर्शिल डिवेलपर के शेयर स्टॉक मार्केट से खरीदना और तीसरा कमर्शिल रियल एस्टेट से जुड़े रियल एस्टेट फंड में निवेश करना।
मुंबई जैसे शहरों में बहुत से डिवेलपर ग्रेड ए बिल्डिंग में छोटी यूनिट (500-1,000 वर्ग फुट) की पेशकश कर रहे हैं। यह चलन कुछ वर्ष पहले की तुलना में बिल्कुल अलग है, जब केवल बड़ी यूनिट ही उपलब्ध होती थीं और छोटे निवेशकों के लिए ऑफिस रियल एस्टेट में निवेश करना मुश्किल होता था। रीटेल स्पेस में निवेश पर विचार कर रहे लोग अब बहुत से किफायती विकल्पों में से अपनी जरूरत के अनुसार प्रॉपर्टी चुन सकते हैं।
छोटी यूनिट के दो फायदे होते हैं। पहला इनके लिए किराएदार आसानी से मिल जाते हैं और दूसरा इनका इस्तेमाल प्रॉपर्टी का मालिक अपना कारोबार शुरू करने के लिए भी कर सकता है।
डॉक्टर, ऑडिटर और वकील जैसे पेशेवर भी निवेश या अपने इस्तेमाल के लिए कमर्शिल प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं। एचएनआई भी यील्ड की उम्मीद में महंगी कमर्शिल प्रॉपर्टी में धन लगा रहे हैं। प्राइवेट बैंकर और वेल्थ मैनेजमेंट कंपनियां भी 2009 और 2010 में अपने क्लाइंट को इस सेगमेंट से दूर रखने के बाद अब फिर से इसमें निवेश की सलाह दे रही हैं। अपने पोर्टफोलियो को मुद्रास्फीति और शेयर बाजार में उतार-चढ़ावे के असर से बचाने के लिए निवेशक कमर्शिल प्रॉपर्टी में पैसा लगा रहे हैं। बैंक भी इस समय कमर्शिल प्रॉपर्टी खरीदने के लिए एलटीवी का 50 से 60 फीसदी तक कर्ज दे रहे हैं।
किन बातों पर ध्यान दें
कमर्शिल रियल एस्टेट में निवेश बच्चों का खेल नहीं है। इसके लिए रिसर्च और प्लानिंग की जरूरत होती है।
लोकेशन
निवेशकों को लोकेशन को लेकर काफी सावधानी बरतनी चाहिए और इसका चुनाव मांग और सप्लाई की स्थिति के अनुसार करना चाहिए। ऐसा न करने पर वे उन बाजारों फंस सकते हैं, जिनमें जगह खाली रहने की ज्यादा संभावनाएं हैं।
अर्थव्यवस्था
निवेशकों को यह भी देखना चाहिए कि अर्थव्यवस्था और नौकरियों का बाजार मजबूत हो।
डिवेलपर
रियल एस्टेट डेवलपर की पृष्ठभूमि, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, पब्लिक ट्रांसपोर्ट तक पहुंच और प्रोजेक्ट के प्रॉपर्टी मैनेजमेंट को जरूर जांचें।
सलाह
इसके लिए किसी जानकार रियल एस्टेट एजेंट और किसी वकील की सेवा ली जा सकती है।
सुविधाएं
जो कारोबारी खुद के इस्तेमाल के लिए कमर्शिल प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हैं, उन्हें यह देखना चाहिए कि प्रोजेक्ट में सुविधाएं उनके कारोबार की जरूरतों के मुताबिक हों।
अगर कोई निवेशक आमदनी देने वाली ऑफिस प्रॉपर्टी खरीदने पर विचार कर रहा है तो उसे नकद प्रवाह, मेन्टेनेंस, प्रॉपर्टी टैक्स और बिल्डिंग इंश्योरेंस जैसे खर्च, लीज की अवधि, लॉक-इन-अवधि, लंबी अवधि में पूंजी बढ़ने की संभावना पर गौर करना चाहिए।
किस तरह करें निवेश
कमर्शिल रियल एस्टेट में निवेश के तीन जरिए हैं। पहला डिवेलपर से सीधे ऑफिस स्पेस खरीदना, दूसरा किसी कमर्शिल डिवेलपर के शेयर स्टॉक मार्केट से खरीदना और तीसरा कमर्शिल रियल एस्टेट से जुड़े रियल एस्टेट फंड में निवेश करना।
मुंबई जैसे शहरों में बहुत से डिवेलपर ग्रेड ए बिल्डिंग में छोटी यूनिट (500-1,000 वर्ग फुट) की पेशकश कर रहे हैं। यह चलन कुछ वर्ष पहले की तुलना में बिल्कुल अलग है, जब केवल बड़ी यूनिट ही उपलब्ध होती थीं और छोटे निवेशकों के लिए ऑफिस रियल एस्टेट में निवेश करना मुश्किल होता था। रीटेल स्पेस में निवेश पर विचार कर रहे लोग अब बहुत से किफायती विकल्पों में से अपनी जरूरत के अनुसार प्रॉपर्टी चुन सकते हैं।
छोटी यूनिट के दो फायदे होते हैं। पहला इनके लिए किराएदार आसानी से मिल जाते हैं और दूसरा इनका इस्तेमाल प्रॉपर्टी का मालिक अपना कारोबार शुरू करने के लिए भी कर सकता है।
डॉक्टर, ऑडिटर और वकील जैसे पेशेवर भी निवेश या अपने इस्तेमाल के लिए कमर्शिल प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं। एचएनआई भी यील्ड की उम्मीद में महंगी कमर्शिल प्रॉपर्टी में धन लगा रहे हैं। प्राइवेट बैंकर और वेल्थ मैनेजमेंट कंपनियां भी 2009 और 2010 में अपने क्लाइंट को इस सेगमेंट से दूर रखने के बाद अब फिर से इसमें निवेश की सलाह दे रही हैं। अपने पोर्टफोलियो को मुद्रास्फीति और शेयर बाजार में उतार-चढ़ावे के असर से बचाने के लिए निवेशक कमर्शिल प्रॉपर्टी में पैसा लगा रहे हैं। बैंक भी इस समय कमर्शिल प्रॉपर्टी खरीदने के लिए एलटीवी का 50 से 60 फीसदी तक कर्ज दे रहे हैं।
किन बातों पर ध्यान दें
कमर्शिल रियल एस्टेट में निवेश बच्चों का खेल नहीं है। इसके लिए रिसर्च और प्लानिंग की जरूरत होती है।
लोकेशन
निवेशकों को लोकेशन को लेकर काफी सावधानी बरतनी चाहिए और इसका चुनाव मांग और सप्लाई की स्थिति के अनुसार करना चाहिए। ऐसा न करने पर वे उन बाजारों फंस सकते हैं, जिनमें जगह खाली रहने की ज्यादा संभावनाएं हैं।
अर्थव्यवस्था
निवेशकों को यह भी देखना चाहिए कि अर्थव्यवस्था और नौकरियों का बाजार मजबूत हो।
डिवेलपर
रियल एस्टेट डेवलपर की पृष्ठभूमि, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, पब्लिक ट्रांसपोर्ट तक पहुंच और प्रोजेक्ट के प्रॉपर्टी मैनेजमेंट को जरूर जांचें।
सलाह
इसके लिए किसी जानकार रियल एस्टेट एजेंट और किसी वकील की सेवा ली जा सकती है।
सुविधाएं
जो कारोबारी खुद के इस्तेमाल के लिए कमर्शिल प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हैं, उन्हें यह देखना चाहिए कि प्रोजेक्ट में सुविधाएं उनके कारोबार की जरूरतों के मुताबिक हों।
अगर कोई निवेशक आमदनी देने वाली ऑफिस प्रॉपर्टी खरीदने पर विचार कर रहा है तो उसे नकद प्रवाह, मेन्टेनेंस, प्रॉपर्टी टैक्स और बिल्डिंग इंश्योरेंस जैसे खर्च, लीज की अवधि, लॉक-इन-अवधि, लंबी अवधि में पूंजी बढ़ने की संभावना पर गौर करना चाहिए।
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