होम लोन बंद करवाना उतना ही जटिल है, जितना इसके लिए आवेदन करना। इसके लिए काफी कागजी कार्रवाई करनी होती है। लोन बंद करवाने में एकमात्र अंतर यह होता है कि आपको बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (एचएफसी) से अपने मूल दस्तावेज वापस लेने होते हैं। ऐसा हो सकता है कि एक बड़ी वित्तीय देनदारी का बोझ उतरने की खुशी में आप इस प्रक्रिया को लेकर कुछ लापरवाही करें।
इसका सबसे अच्छा कायदा यह है कि जब आप लोन बंद करवाएं तो वे सभी दस्तावेज वापस ले लें, जो आपने लोन के आवेदन के समय बैंक/एचएफसी के पास जमा कराए थे। इनमें लोन के कागजात, टाइटल इंश्योरेंस, स्टेटमेंट, मालिक की कवरेज के दस्तावेज और अन्य कॉन्ट्रैक्ट पेपर शामिल होंगे।
इसके अलावा, आपको नो-ड्यू सर्टिफिकेट/सेटलमेंट स्टेटमेंट भी लेना होगा। यह कर्ज देने वाले की ओर से इस बात का लिखित प्रमाणपत्र होता है कि आपका हाउसिंग लोन को लेकर कोई बकाया नहीं है। पिछले कुछ समय से क्रेडिट ब्यूरो की स्थापना के साथ ही इस पत्र का महत्व काफी बढ़ गया है। होम लोन जैसे लंबी अवधि का कर्ज आमतौर पर 120 से 180 महीने की अवधि के लिए होता है और कर्जदार किसी वजह से चेक के बाउंस होने या देरी होने को अनदेखा कर देते हैं। इसके बाद बैंक/एचएफसी कुछ पेनल्टी लगाता है। अगर कर्जदार इन अतिरिक्त चार्ज पर ध्यान नहीं देता और डिफॉल्ट करता है तो बैंक/एचएफसी उसे डिफॉल्टर करार दे देते हैं। इसका कर्ज के मूलधन और ब्याज के नियमित भुगतान से संबंध नहीं होता और आप के ऊपर डिफॉल्टर का ठप्पा लग जाता है।
ऐसा हो सकता है कि 10 से 15 वर्ष पहले शुरू हुआ होम लोन अब समाप्त हो रहा हो और उस समय प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन का कंप्यूटरीकरण न होने की वजह से रजिस्ट्रार जरूरी दस्तावेज न भेजे। ऐसी स्थिति में बैंक/एचएफसी को लोन की समाप्ति पर सभी जरूरी दस्तावेज हासिल करने के लिए रजिस्ट्रार से संपर्क करना होगा। होम लोन चुकाने के बाद आपके लिए एक अन्य दस्तावेज 'टाइटल ऑफ डीड्स' हासिल करना भी जरूरी है। इस दस्तावेज से 13 वर्ष की न्यूनतम अवधि के लिए प्रॉपर्टी के टाइटल का पता चलता है। प्रॉपर्टी बेचने के समय यह दस्तावेज जरूरी होता है।
आमतौर पर प्रॉपर्टी खरीदने पहले कदम में संभावित खरीदार जमीन आपके नाम पर होने की जांच के लिए टाइटल डीड को ही देखता है। लोन भुगतान होने के 10 दिन के अंदर आपको सभी दस्तावेज हासिल कर लेने चाहिए। यह बैंक और कर्जदार के नजरिए से अच्छा रहता है। अगर बैंक/एचएफसी से आपका कोई महत्वपूर्ण दस्तावेडज खो जाता है तो कर्जदार को काफी मुश्किल हो सकती है क्योंकि डुप्लीकेट दस्तावेज हासिल करने में काफी समय लगता है।
इसका सबसे अच्छा कायदा यह है कि जब आप लोन बंद करवाएं तो वे सभी दस्तावेज वापस ले लें, जो आपने लोन के आवेदन के समय बैंक/एचएफसी के पास जमा कराए थे। इनमें लोन के कागजात, टाइटल इंश्योरेंस, स्टेटमेंट, मालिक की कवरेज के दस्तावेज और अन्य कॉन्ट्रैक्ट पेपर शामिल होंगे।
इसके अलावा, आपको नो-ड्यू सर्टिफिकेट/सेटलमेंट स्टेटमेंट भी लेना होगा। यह कर्ज देने वाले की ओर से इस बात का लिखित प्रमाणपत्र होता है कि आपका हाउसिंग लोन को लेकर कोई बकाया नहीं है। पिछले कुछ समय से क्रेडिट ब्यूरो की स्थापना के साथ ही इस पत्र का महत्व काफी बढ़ गया है। होम लोन जैसे लंबी अवधि का कर्ज आमतौर पर 120 से 180 महीने की अवधि के लिए होता है और कर्जदार किसी वजह से चेक के बाउंस होने या देरी होने को अनदेखा कर देते हैं। इसके बाद बैंक/एचएफसी कुछ पेनल्टी लगाता है। अगर कर्जदार इन अतिरिक्त चार्ज पर ध्यान नहीं देता और डिफॉल्ट करता है तो बैंक/एचएफसी उसे डिफॉल्टर करार दे देते हैं। इसका कर्ज के मूलधन और ब्याज के नियमित भुगतान से संबंध नहीं होता और आप के ऊपर डिफॉल्टर का ठप्पा लग जाता है।
ऐसा हो सकता है कि 10 से 15 वर्ष पहले शुरू हुआ होम लोन अब समाप्त हो रहा हो और उस समय प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन का कंप्यूटरीकरण न होने की वजह से रजिस्ट्रार जरूरी दस्तावेज न भेजे। ऐसी स्थिति में बैंक/एचएफसी को लोन की समाप्ति पर सभी जरूरी दस्तावेज हासिल करने के लिए रजिस्ट्रार से संपर्क करना होगा। होम लोन चुकाने के बाद आपके लिए एक अन्य दस्तावेज 'टाइटल ऑफ डीड्स' हासिल करना भी जरूरी है। इस दस्तावेज से 13 वर्ष की न्यूनतम अवधि के लिए प्रॉपर्टी के टाइटल का पता चलता है। प्रॉपर्टी बेचने के समय यह दस्तावेज जरूरी होता है।
आमतौर पर प्रॉपर्टी खरीदने पहले कदम में संभावित खरीदार जमीन आपके नाम पर होने की जांच के लिए टाइटल डीड को ही देखता है। लोन भुगतान होने के 10 दिन के अंदर आपको सभी दस्तावेज हासिल कर लेने चाहिए। यह बैंक और कर्जदार के नजरिए से अच्छा रहता है। अगर बैंक/एचएफसी से आपका कोई महत्वपूर्ण दस्तावेडज खो जाता है तो कर्जदार को काफी मुश्किल हो सकती है क्योंकि डुप्लीकेट दस्तावेज हासिल करने में काफी समय लगता है।
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