विस॥ नई दिल्ली : महंगाई पर काबू पाने के मकसद से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने बैंकों से जुड़ी ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी है। रीपो रेट यानी जिस दर पर आरबीआई बैंकों को उधार देता है, उसमें 25 बेसिस पॉइंट्स (0.25 पर्सेंट) की बढ़ोतरी की गई है। अनुमान है कि इससे बैंक आरबीआई से कम पैसा लेंगे। रिवर्स रीपो रेट यानी जिस दर पर बैंकों का पैसा आरबीआई के पास जमा होता है, उसमें भी 25 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी की गई है। उम्मीद है कि इस स्थिति में बैंक अब पहले से ज्यादा रकम आरबीआई के पास रखेंगे। दोनों हालात में बैंकों के लिए फंड की लागत बढ़ेगी। नतीजतन एक तरफ जहां बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दर बढ़ सकती है, वहीं घर और गाड़ी समेत विभिन्न तरह के कर्जों की ब्याज दरों में भी बढ़ोतरी हो सकती है।
प्राइवेट सेक्टर के आईसीआईसीआई बैंक की मैनेजिंग डायरेक्टर चंदा कोचर और पब्लिक सेक्टर के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन एम.वी. नायर ने कहा है कि दरों की बढ़ोतरी का असर ग्राहकों पर पड़ने की उम्मीद है। इस बीच डिवेलपरों के लिए फंड की लागत बढ़ने से मकानों की कीमत बढ़ने के अनुमान भी लगाए जा रहे हैं। रिजर्व बैंक ने संकेत दिया है कि उधार लेने वालों की मुसीबतें यहीं नहीं खत्म होने वाली हैं। उसका कहना है कि हमें अपनी मौद्रिक नीति में महंगाई के खिलाफ कदम जारी रखने की जरूरत होगी। गौरतलब है कि मई में महंगाई दर 9 पर्सेंट के ऊपर रही, जो कम्फर्ट लेवल के मुकाबले डबल मानी जा रही है। रिजर्व बैंक का अनुमान है कि महंगाई दर में तेजी कायम रह सकती है। तेल के दाम और मॉनसून रिस्क फैक्टर साबित होंगे।
कितना बढ़ा बोझ
कदम 10वीं बार : आरबीआई ने पिछले 15 महीने में 10वीं बार अपनी दरों में बढ़ोतरी की है।
3 पर्सेंट महंगा कर्ज : जुलाई 2010 से मई 2011 के बीच 47 बैंकों ने उधार की ब्याज दरों में 3 पर्सेंट तक की बढ़ोतरी की है।
4500 रुपये बढ़े : अगर किसी शख्स ने 20 साल की अवधि के लिए 30 लाख रुपये होम लोन लिया है तो 3 पर्सेंट कीबढ़ोतरी का मतलब है ईएमआई में 4500 रुपये की बढ़ोतरी।
स्लोडाउन के संकेत
आर्थिक विकास दर : 7.8 पर्सेंट रह गई 2010 की अंतिम तिमाही में , जो तीसरी तिमाही में 8.2 पर्सेंट थी।
औद्योगिक उत्पादन की विकास दर : 6.3 पर्सेंट रह गई अप्रैल में , जो पिछले साल अप्रैल में 13.1 पर्सेंट थी।
निवेश की विकास दर : 0.4 पर्सेंट चौथी तिमाही में , एक साल पहले के 20 पर्सेंट के मुका बले
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