क्या मौजूदा समय में ग्रीन सर्टिफिकेशन पर गाल बजाया जा रहा है या वाकई पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं को दूर करने की दिशा में सही मायने में कदम बढ़ाए जा रहे हैं? डेवलपर्स और बिल्डर्स बता रहे हैं कि ग्रीन बिल्डिंग में पर्यावरण का कितना ख्याल रखा जाता है?
आज ग्रीन (पर्यावरण के अनुकूल) सबसे ज्यादा चर्चित शब्द बन गया है। आप जब भी कपड़ों की खरीददारी, कपड़ों की धुलाई, जरूरी सामान खरीदने, पार्टी आयोजित करने, कागज का इस्तेमाल करने या घर की तलाश के लिए निकलते हैं तो इस शब्द से आपका सीधे तौर पर सामना होता है। इस शब्द की अहमियत उस समय और बढ़ जाती है, जबकि आपको ग्रीन बिल्डिंग (पर्यावरण के लिहाज से बेहतर) की तलाश हो। ग्रीन बिल्डिंग का मतलब यह है कि प्राकृतिक संसाधनों और स्रोतों का इस्तेमाल करके उस बिल्डिंग की कार्यक्षमता में सुधार किया जाए। माना जाता है कि ऐसी बिल्डिंग के आर्किटेक्चर, डिजाइन, कंस्ट्रक्शन और ऑपरेशन से लोगों को तरोताजा रहने और स्वास्थ्य को बेहतर करने में मदद मिलती है।
भारत और वैश्विक स्तर पर कई ऐसी संस्थाएं हैं, जिन्होंने इस क्षेत्र से जुड़े उपकरण और मानक विकसित किए हैं। उदाहरण के तौर पर, भारत में टेरी गृह (एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूशन) रेटिंग सिस्टम है। हालांकि, इस क्षेत्र में लोकप्रिय अमेरिकी लीड्स सर्टिफिकेशन ने कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया के जरिए भारतीय बाजार में कदम रखा है। अमेरिका से लीड्स ग्रीन बिल्डिंग स्टैंडर्ड के लिए लाइसेंस हासिल करने वाली द इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) भारत में नए लीड कंस्ट्रक्शन के सर्टिफिकेशन के लिए जिम्मेदार होगी। ग्रीन बिल्डिंग के क्षेत्र में गोल्ड और प्लेटिनम रेटिंग हासिल करने की दौड़ में कई कंपनियां शामिल हैं। इनमें से एक श्री राम अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर है, जिसका मेगा प्रॉजेक्ट 'पलाइस रॉयल' पहली लीड प्लेटिनम रेटिंग हासिल करने की कोशिश कर रहा है और कंपनी का कहना है कि उनका मेगा प्रॉजेक्ट दुनिया की पहली ऐसी आवासीय बिल्डिंग है। दीवार पर टंगे दूसरे सर्टिफिकेशन की ओर इशारा करते हुए कंपनी के वाइस चेयरमैन और सीईओ विकास कासलीवाल ने बताया, 'हमारे पास इकलौती यही रेटिंग नहीं है।' उनका कहना है, 'पलाइस रॉयल भारत में सीईटीईसी सर्टिफाइड 5 पाम गोल्ड रेटिंग हासिल करने वाली पहली बिल्डिंग है।' पलाइस रॉयल भारत में बनी अब तक सबसे ऊंची (करीब 1,000 फीट ऊंची) बिल्डिंग होगी। इसमें वाटर रिसाइकलिंग ट्रीटमेंट से लेकर सभी तरह की सुविधाएं हैं। इसमें बिल्डिंग में आने वाली हवा की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। इसका मतलब यह है कि यहां बने अपार्टमेंट्स में आने वाली हवा ह्युमिडिटी और दुर्गंध से पूरी तरह मुक्त होगी। इसमें 100 फीसदी ऑन साइट सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का दावा किया गया है। इसमें एडवांस्ड इंटेलीजेंट बिल्डिंग मैनेजमेंट सिस्टम है और इसने कार्बन क्रेडिट के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है।
इस बिल्डिंग की इतनी सारी खासियतें जानने के बाद आपके मन में यही सवाल होगा कि इसकी कीमत भी काफी ज्यादा होगी? कासलीवाल लागत के पूरे गणित को कुछ इस तरह समझाते हैं। वह कहते हैं, 'आप प्रॉडक्ट की लागत को 100 रुपये और उस पर होने वाली आमदनी को 125 रुपये मानकर चल सकते हैं।' वह कहते हैं, 'मैंने इस प्रॉजेक्ट के लिए 100 के बजाय 103 रुपए खर्च किए हैं। हालांकि, मैं अभी इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हूं कि मुझे इस पर 120 रुपये की आमदनी होगी या 140 की, क्योंकि जो लोग ऐसे अपार्टमेंट खरीदते हैं वे लीड्स सर्टिफिकेट न होने के कारण इसे नहीं खरीद रहे हैं। सवाल उठता है कि आखिर में लागत के रूप में 100 रुपये के बजाय 103 रुपये क्यों खर्च कर रहा हूं? ऐसा इसलिए है, क्योंकि मेरा मकसद खुशी है। आखिरकार घर का मतलब खुशी ही होता है।'
जब कासलीवाल से पूछा गया है कि आपकी बात दार्शनिक लिहाज से तो ठीक है, लेकिन इसका कोई कारोबारी औचित्य नहीं बनता है? इस पर उनका कहना है, 'इसका कारोबारी औचित्य भी है।' कासलीवाल बताते हैं, 'जब मैं 103 रुपये खर्च करता हूं तो इसके दो मायने हैं। इतना पैसा खर्च करने से रनिंग कॉस्ट में करीब डेढ़ गुने की कमी आएगी और इसका फायदा बिल्डिंग में रहने वाले लोगों को मिलेगा। दूसरी अहम बात यह है कि इस अतिरिक्त खर्च के कारण बिल्डिंग की रीसेल वैल्यू ज्यादा होगी।' कासलीवाल का कहना है कि इस बिल्डिंग के लिए हमने कई पक्षों पर काम किया है जिसमें स्ट्रक्चरल कूलिंग, वेजेटेटिव फिल्टर लगाने के लिए आईआईटी के साथ काम करना और रेडिएशन घटाने से जुड़ी कोशिशें भी शामिल हैं। कासलीवाल का कहना है, 'ये सारी चीजें ही घर में खुशियां लाती हैं।'
वहीं दूसरी ओर, मुंबई के महंगे रिहायशी इलाके में बनी 'द कैपिटल' और बॉम्बे कुर्ला कॉम्प्लेक्स या बीकेसी भी लीड गोल्ड सर्टिफिकेशन हासिल करने की कोशिश में हैं। बीकेसी का दावा है कि उनकी ऑफिस बिल्डिंग दूसरी परंपरागत बिल्डिंग की तुलना में 30-35 फीसदी ज्यादा ऊर्जा सक्षम है। जबकि एएसएचआरएई/ ईसीबीसी-2007 के मुकाबले यह करीब 21 फीसदी ज्यादा ऊर्जा सक्षम है
आज ग्रीन (पर्यावरण के अनुकूल) सबसे ज्यादा चर्चित शब्द बन गया है। आप जब भी कपड़ों की खरीददारी, कपड़ों की धुलाई, जरूरी सामान खरीदने, पार्टी आयोजित करने, कागज का इस्तेमाल करने या घर की तलाश के लिए निकलते हैं तो इस शब्द से आपका सीधे तौर पर सामना होता है। इस शब्द की अहमियत उस समय और बढ़ जाती है, जबकि आपको ग्रीन बिल्डिंग (पर्यावरण के लिहाज से बेहतर) की तलाश हो। ग्रीन बिल्डिंग का मतलब यह है कि प्राकृतिक संसाधनों और स्रोतों का इस्तेमाल करके उस बिल्डिंग की कार्यक्षमता में सुधार किया जाए। माना जाता है कि ऐसी बिल्डिंग के आर्किटेक्चर, डिजाइन, कंस्ट्रक्शन और ऑपरेशन से लोगों को तरोताजा रहने और स्वास्थ्य को बेहतर करने में मदद मिलती है।
भारत और वैश्विक स्तर पर कई ऐसी संस्थाएं हैं, जिन्होंने इस क्षेत्र से जुड़े उपकरण और मानक विकसित किए हैं। उदाहरण के तौर पर, भारत में टेरी गृह (एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूशन) रेटिंग सिस्टम है। हालांकि, इस क्षेत्र में लोकप्रिय अमेरिकी लीड्स सर्टिफिकेशन ने कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया के जरिए भारतीय बाजार में कदम रखा है। अमेरिका से लीड्स ग्रीन बिल्डिंग स्टैंडर्ड के लिए लाइसेंस हासिल करने वाली द इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) भारत में नए लीड कंस्ट्रक्शन के सर्टिफिकेशन के लिए जिम्मेदार होगी। ग्रीन बिल्डिंग के क्षेत्र में गोल्ड और प्लेटिनम रेटिंग हासिल करने की दौड़ में कई कंपनियां शामिल हैं। इनमें से एक श्री राम अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर है, जिसका मेगा प्रॉजेक्ट 'पलाइस रॉयल' पहली लीड प्लेटिनम रेटिंग हासिल करने की कोशिश कर रहा है और कंपनी का कहना है कि उनका मेगा प्रॉजेक्ट दुनिया की पहली ऐसी आवासीय बिल्डिंग है। दीवार पर टंगे दूसरे सर्टिफिकेशन की ओर इशारा करते हुए कंपनी के वाइस चेयरमैन और सीईओ विकास कासलीवाल ने बताया, 'हमारे पास इकलौती यही रेटिंग नहीं है।' उनका कहना है, 'पलाइस रॉयल भारत में सीईटीईसी सर्टिफाइड 5 पाम गोल्ड रेटिंग हासिल करने वाली पहली बिल्डिंग है।' पलाइस रॉयल भारत में बनी अब तक सबसे ऊंची (करीब 1,000 फीट ऊंची) बिल्डिंग होगी। इसमें वाटर रिसाइकलिंग ट्रीटमेंट से लेकर सभी तरह की सुविधाएं हैं। इसमें बिल्डिंग में आने वाली हवा की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। इसका मतलब यह है कि यहां बने अपार्टमेंट्स में आने वाली हवा ह्युमिडिटी और दुर्गंध से पूरी तरह मुक्त होगी। इसमें 100 फीसदी ऑन साइट सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का दावा किया गया है। इसमें एडवांस्ड इंटेलीजेंट बिल्डिंग मैनेजमेंट सिस्टम है और इसने कार्बन क्रेडिट के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है।
इस बिल्डिंग की इतनी सारी खासियतें जानने के बाद आपके मन में यही सवाल होगा कि इसकी कीमत भी काफी ज्यादा होगी? कासलीवाल लागत के पूरे गणित को कुछ इस तरह समझाते हैं। वह कहते हैं, 'आप प्रॉडक्ट की लागत को 100 रुपये और उस पर होने वाली आमदनी को 125 रुपये मानकर चल सकते हैं।' वह कहते हैं, 'मैंने इस प्रॉजेक्ट के लिए 100 के बजाय 103 रुपए खर्च किए हैं। हालांकि, मैं अभी इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हूं कि मुझे इस पर 120 रुपये की आमदनी होगी या 140 की, क्योंकि जो लोग ऐसे अपार्टमेंट खरीदते हैं वे लीड्स सर्टिफिकेट न होने के कारण इसे नहीं खरीद रहे हैं। सवाल उठता है कि आखिर में लागत के रूप में 100 रुपये के बजाय 103 रुपये क्यों खर्च कर रहा हूं? ऐसा इसलिए है, क्योंकि मेरा मकसद खुशी है। आखिरकार घर का मतलब खुशी ही होता है।'
जब कासलीवाल से पूछा गया है कि आपकी बात दार्शनिक लिहाज से तो ठीक है, लेकिन इसका कोई कारोबारी औचित्य नहीं बनता है? इस पर उनका कहना है, 'इसका कारोबारी औचित्य भी है।' कासलीवाल बताते हैं, 'जब मैं 103 रुपये खर्च करता हूं तो इसके दो मायने हैं। इतना पैसा खर्च करने से रनिंग कॉस्ट में करीब डेढ़ गुने की कमी आएगी और इसका फायदा बिल्डिंग में रहने वाले लोगों को मिलेगा। दूसरी अहम बात यह है कि इस अतिरिक्त खर्च के कारण बिल्डिंग की रीसेल वैल्यू ज्यादा होगी।' कासलीवाल का कहना है कि इस बिल्डिंग के लिए हमने कई पक्षों पर काम किया है जिसमें स्ट्रक्चरल कूलिंग, वेजेटेटिव फिल्टर लगाने के लिए आईआईटी के साथ काम करना और रेडिएशन घटाने से जुड़ी कोशिशें भी शामिल हैं। कासलीवाल का कहना है, 'ये सारी चीजें ही घर में खुशियां लाती हैं।'
वहीं दूसरी ओर, मुंबई के महंगे रिहायशी इलाके में बनी 'द कैपिटल' और बॉम्बे कुर्ला कॉम्प्लेक्स या बीकेसी भी लीड गोल्ड सर्टिफिकेशन हासिल करने की कोशिश में हैं। बीकेसी का दावा है कि उनकी ऑफिस बिल्डिंग दूसरी परंपरागत बिल्डिंग की तुलना में 30-35 फीसदी ज्यादा ऊर्जा सक्षम है। जबकि एएसएचआरएई/ ईसीबीसी-2007 के मुकाबले यह करीब 21 फीसदी ज्यादा ऊर्जा सक्षम है
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