Friday, April 1, 2011

किराएदार नहीं, मकान मालिक बनें-प्रॉपर्टी-बिज़नस-Navbharat Times

किराएदार नहीं, मकान मालिक बनें-प्रॉपर्टी-बिज़नस-Navbharat Times

अपना घर लेने का सपना तो हर कोई देखता है, लेकिन इसे पूरा कब किया जाए, इसका फैसला कोई आसानी से नहीं ले पाता। अक्सर टालमटोल में कई बरस निकल जाते हैं और तब तक प्रॉपर्टी की कीमतें भी बढ़ चुकी होती हैं। यह भी कैलकुलेशन कर लेनी चाहिए कि जितना किराया दे रहे हैं, उतने में तो होम लोन की किस्त ही निकल जाएगी!

फैमिली के साथ किराए पर मकान लेकर रहने वाले हर इंसान का यही सपना होता है कि काश उसके पास भी अपना खुद का एक मकान हो। भले ही हर कोई अपने बजट में समय रहते घर खरीदने का सपना देखता है, लेकिन हमारे यहां सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियां कुछ ऐसी हैं कि घर खरीदने से पहले हर कोई आर्थिक पहलुओं के अलावा कुछ दूसरे पहलुओं पर भी सोच-विचार करने में लंबा समय गुजर जाता है, जबकि प्रॉपर्टी मार्केट का मिजाज कुछ ऐसा है कि जितनी जल्दी प्रॉपर्टी खरीद ली जाए, उतना अच्छा है।

वैसे, आज भी कुछ लोग किराए पर मकान लेकर रहना ज्यादा पसंद करते हैं, इसकी वजह मकान का किराया देकर मिलने वाली छूट भी हो सकता है। यह राहत वेतनभोगी कर्मचारियों को एचआरए और अपना बिजनेस करने वालों को सेक्शन 80 जीजी के तहत मिलती है, लेकिन इनके लागू होने की स्थितियां सीमित हैं और इस छूट के साथ कुछ शर्तें वगैरह भी जुड़ी हुई हैं। ऐसे में अपना मकान लेने का विकल्प ही बेहतर कहा जा सकता है, वह भी होम लोन लेकर।

इससे होम लोन के प्रिंसिपल और इंटरेस्ट की वापसी पर टैक्स रिबेट का लाभ लंबे समय तक लिया जा सकता है। प्रॉपर्टी बिजनेस से जुडे़ अशोक कुमार अग्रवाल कहते हैं, 'रिहायशी मकान में निवेश करने का आधार व्यक्ति का बजट, जमा पूंजी और जरूरत होते हैं। अगर आप मकान खरीदने की सोच रहे हैं, तो इसका अनुमान पहले ही लगा लेना चाहिए कि खरीदी जाने वाली प्रॉपर्टी का भविष्य क्या हो सकता है, यानी आने वाले दिनों में इस प्रॉपर्टी का कितना एप्रिसिएशन होगा?'

अगर आप मकान किराए पर लेते हैं, तो आपकी सोच और प्लानिंग का दायरा एकदम बदल जाता है, क्योंकि यहां आप पैसा लगा नहीं रहे हैं, बल्कि पैसा जोड़ने की प्लानिंग कर रहे हैं। अशोक के मुताबिक, किराए पर मकान लेते समय आपको ऑफिस से उस जगह की दूरी के अलावा मकान के आसपास की लोकेशन, बस स्टैंड, मेट्रो स्टेशन से दूरी और आपके बजट में फिट बैठ सकने वाली मार्केट के बारे में भी सोचना होता है। यही वजह है कि आज मेट्रो स्टेशनों के आसपास की रिहायशी प्रॉपर्टी का रेट लगातार बढ़ रहा है।

कैलकुलेशंस यह भी बताती हैं कि कोई व्यक्ति किराए पर मकान लेने के लिए जितनी रकम खर्च करता है, उसी रकम में कुछ राशि और जोड़कर अपना खुद का मकान हासिल कर सकता है। मिस्टर साहनी और उनकी वाइफ रेणु साहनी मल्टीनैशनल कंपनी में काम करते हैं। शादी के लगभग चार साल बाद भी दोनों को मकान खरीदने से ज्यादा अच्छा किराए पर रहना लगता है।

मिस्टर साहनी कहते हैं, 'अगर आपको करियर में जल्दी तरक्की हासिल करनी है, तो 35 साल की उम्र तक कम से कम 3 से 4 जॉब चेंज कर लेनी चाहिए। तभी सैलरी दोगुनी और तिगुनी तक बढ़ सकती है, वर्ना एक ही कंपनी में टिके रहने से सैलरी बढ़ने का ग्राफ हर साल 15-20 फीसदी बढ़ने तक ही रहता है।

साहनी के मुताबिक, इस ट्रेंड को फॉलो करने के लिए किसी एक जगह अपना मकान लेने से परेशानी हो सकती है, क्योंकि यह नहीं पता होता कि अगले ऑफिस की लोकेशन क्या होगी? वह बताते हैं कि उन्होंने अब तक दो बार जॉब चेंज की और हर बार मकान अपने ऑफिस के आसपास अपनी मनमर्जी का लिया, लेकिन अगर उनका खुद का मकान होता, तो वह शायद ऐसा नहीं कर पाते। या फिर शायद घर के दूर ऑफिस वाली जगह काम करने से ही संकोच करते। ऐसे में उनके हाथ से अच्छे अवसर भी निकल सकते थे।

दूसरी ओर, साउथ दिल्ली में एक कॉरपोरेट कंपनी में सीनियर एग्जेक्युटिव परमिंदर सिंह की सोच मिस्टर साहनी से बिल्कुल अलग है। परमिंदर कहते हैं, 'पिछले साल मैंने अपने ऑफिस से करीब 15 किमी दूरी पर फ्लैट खरीदा। मैं हर महीने मकान के किराए पर जितनी रकम खर्च करता था, उसी राशि में से कुछ रकम और जोड़कर फ्लैट की बैंक से लिए लोन की किश्त निकल जाती है। मुझे बैंक से लिए गए लोन पर टैक्स में भी अच्छी-खासी छूट मिल रही है। दरअसल, अगर आप होम लोन लेकर उसे अदा करते हैं, तो आपको आयकर कानून के सेक्शन 24 और 88 के अंतर्गत टैक्स में अच्छी खासी छूट मिलती है।'

ऐसे में अब जब होम लोन आसानी से उपलब्ध हैं और सरकार भी 25 लाख रुपये तक की कीमत वाले फ्लैट पर अपनी ओर से बैंक ब्याज पर एक फीसदी की सब्सिडी देती है, तो आपके लिए किराएदार से मकान मालिक बनने का यही सुनहरा मौका है।

बात पते की
- किराये की रकम में कुछ और जोड़कर निकल सकती है लोन की किश्त
- प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़ती ही हैं, इसलिए जल्दी ही प्रॉपर्टी ले लेना बेहतर
- प्रॉपर्टी खरीदने से पहले जरूरी है, उसके अप्रिशिएशन का अनुमान लगाना

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