Friday, April 1, 2011

लोन लेने से पहले किस्त का अनुमान -प्रॉपर्टी-बिज़नस-Navbharat Times

लोन लेने से पहले किस्त का अनुमान -प्रॉपर्टी-बिज़नस-Navbharat Times
होम लोन लेने पर हर महीने इसकी किस्त भी चुकानी होगी, यानी अपनी इनकम में से एक रकम हर महीने सेव करनी पड़ेगी। अच्छा हो कि लोन लेने से पहले इस बचत की आदत डाल ली जाए:

किराये के घर में रहने वालों के लिए 'अपना घर' एक मीठे सपने की तरह होता है। वे इस सपने को जल्दी से जल्दी पूरा करना चाहते हैं। प्रकाश (काल्पनिक पात्र) को ही लीजिए। उसे घर खरीदने के लिए यह बिल्कुल सही समय लग रहा है, इसलिए वह होम लोन के तमाम ऑप्शंस तलाश रहा है। उसे एक घर पसंद आया है। 30 लाख रुपये में 3 बीएचके। अब उसके सामने एक ही दुविधा है कि लोन ज्यादा समय के लिए लेना चाहिए या कम समय के लिए? पता नहीं किस स्थिति में टैक्स का ज्यादा लाभ मिलेगा?

मान लीजिए कि आठ-दस साल की कम अवधि के लिए लोन लिया जाता है, तो हर महीने ज्यादा किस्त देनी होगी। हर महीने ज्यादा अमाउंट देने के लिए संभव है कि लाइफस्टाइल से कुछ समझौता करना पड़े। हां, इतना जरूर है कि आप कर्ज के बोझ से जल्दी मुक्त हो सकते हैं। अगर लोन की अवधि 20-25 साल जितनी लंबी है, तो ईएमआई अमाउंट कम हो जाता है। लंबी अवधि का लोन कुछ महंगा पड़ता है। यह लोन लेने का यही फायदा है कि हर महीने कर्ज एक बोझ महसूस नहीं होता, यानी यह अफोर्डेबल होता है।

बहरहाल, ईएमआई कम हो या ज्यादा, इसे चुकाने के लिए एक निश्चित रकम हर महीने सुरक्षित रखनी पड़ती है। इसका इंतजाम तभी हो सकता है, जब थोड़ी प्लानिंग से काम लिया जाए।

ईएमआई का अनुमान
लोन लेने की प्रक्रिया पूरी करने से पहले अपनी ईएमआई की कैलकुलेशन कर लें। इससे आपको हमेशा अंदाजा रहेगा कि हर महीने कितनी रकम बचानी है। वैसे, लोन लेने से कुछ समय पहले ही यह एक्सरसाइज कर ली जाए, तो अच्छा है। तब आप ईएमआई शुरू होने से पहले ही उतनी रकम सेविंग्स के रूप में निकालना शुरू कर दें। इससे आप ईएमआई शुरू होने पर इसके आदी हो जाएंगे।

मार्जिन मनी बढ़ाएं
जब भी मकान लेने की सोचें, तो मार्जिन मनी के इंतजाम पर भी ध्यान दें। यह रकम जितनी ज्यादा होगी, लोन अमाउंट उतना कम होगा। भले ही होम लोन लेकर आप टैक्स में छूट ले सकते हैं, लेकिन इसकी भी एक सीमा है। इससे ज्यादा ईएमआई और ब्याज चुकाने को कोई अतिरिक्त लाभ आपको नहीं मिलेगा। ऐसे में लोन की रकम टैक्स में फायदे की सीमा तक ही रहे, तो बेहतर है।

ईएमआई पर्सेंटेज
आपकी री-पेमेंट कैपेसिटी आपकी आमदनी के अनुसार होनी चाहिए। मोटे तौर पर ईएमआई की रकम आपकी मंथली इनकम से 50 पर्सेंट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। तभी आप बाकी खर्चों के लिए भी रकम बचा सकेंगे।

अनुमान से बचें
सैलरी इंक्रीमेंट का अनुमान लगाकर लोन की रकम का फैसला न करें। खासतौर पर स्लो-डाउन के मौजूदा दौर में इंक्रीमेंट की पर्सेंटेज का पुख्ता अनुमान नहीं लगाया जा सकता। ऐसे में 2-3 साल बाद के सैलरी स्ट्रक्चर के हिसाब से लोन लेने की बजाय अपनी मौजूदा इनकम के आधार पर इस रकम का फैसला करें।

आकस्मिक फंड
अगर आपने फ्लोटिंग रेट पर लोन लिया है, तो ईएमआई कम या ज्यादा हो सकती है। ऐसे में हर महीने की इनकम मेंसे कुछ रकम बचाकर रखें, जिसका प्रयोग आप ईएमआई बढ़ने पर कर सकते हैं।

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